मंदी की आशंका कम होने और वित्तीय शेयरों (financial stocks) में बढ़ोतरी से भारतीय इक्विटी बेंचमार्कों को मदद मिली। इस वजह से सोमवार को कारोबारी सत्र की न सिर्फ समाप्ति बढ़त के साथ हुई बल्कि पिछले सत्र के सभी नुकसान की भी भरपाई हो गई।
बेंचमार्क सेंसेक्स 710 अंकों यानी 1.16 फीसदी की बढ़त के साथ 61,764 पर बंद हुआ, जो 31 मार्च के बाद की सबसे बड़ी उछाल है। निफ्टी ने 195 अंक यानी 1.08 फीसदी की बढ़त के साथ 18,269 पर कारोबार की समाप्ति की।
सेंसेक्स व निफ्टी अब अपने-अपने सर्वोच्च स्तर से क्रमश: 1,520 अंक यानी 2.4 फीसदी और 549 अंक यानी 2.9 फीसदी दूर है। दोनों बेंचमार्क 1 दिसंबर को सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा था।
ज्यादातर वैश्विक बाजारों में बढ़ोतरी दर्ज हुई क्योंकि शुक्रवार को अमेरिकी बाजारों में तेज बढ़ोतरी के बाद जोखिम को लेकर अवधारणा सुधरी। अमेरिका में रोजगार के आंकड़े शुक्रवार को जारी हुए थे, जिसने निवेशकों के बीच मंदी के डर को थोड़ा कम कर दिया। गैर-कृषि संबंधी रोजगार में पिछले महीने 2.53 लाख की बढ़ोतरी हुई जबकि 1.85 लाख बढ़त का अनुमान था। बेरोजगारी की दर घटकर कई दशक के निचले स्तर 3.4 फीसदी पर आ गई।
हालांकि आर्थिक वृद्धि और कंपनियों की आय को लेकर परिदृश्य अभी भी धुंधला है क्योंकि इस पर स्पष्टता नहीं है कि क्या केंद्रीय बैंकों की तरफ से हुई ब्याज बढ़ोतरी सर्वोच्च स्तर पर पहुंच चुकी है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने हालांकि संकेत दिया है कि वह ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर विराम का फैसला ले सकता है, जो आंकड़ों पर आधारित होगा, लेकिन यूरोजोन के केंद्रीय बैंक ने इसके उलट बयान दिया है।
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यूरोपीय सेंट्रल बैंक के सदस्य के. नॉट के बयान में महंगाई की काफी ऊंची दर के बीच ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जरूरत पर जोर दिया गया है।
अमेरिकी रोजगार के आंकड़ों ने बाजार के एक वर्ग के बीच इस कयास को बढ़ावा दिया है कि फेड जून में लगातार 11वीं बार ब्याज बढ़ोतरी का रास्ता खुला रख सकता है।
HDFC और HDFC Bank समेत अन्य वित्तीय शेयरों में बढ़ोतरी से सूचकांकों को इजाफा दर्ज करने में मदद मिली। शुक्रवार को नुकसान मोटे तौर पर HDFC और HDFC Bank के शेयरों में गिरावट के कारण हुआ था जब वैश्विक सूचकांक प्रदाता MSCI ने ऐलान किया था कि उन दोनों के विलय के बाद बनने वाली इकाई का भारांक उससे कम होगा, जितने कि उम्मीद बाजार कर रहा है।
सोमवार को HDFC Bank में दो फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई और HDFC में 1.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
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रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष (तकनीकी शोध) अजित मिश्रा ने कहा, मजबूत वैश्विक संकेतों से तेज शुरुआत हुई, जो चुनिंदा दिग्गजों में खरीदारी के साथ और मजबूत हुआ। पिछले तीन कारोबारी सत्रों में बाजार के भागीदारों ने इंडेक्स में काफी घटबढ़ का अनुभव किया है, हालांकि कुल मिलाकर तेजी के नजरिये ने काफी हद तक नुकसान को सीमित कर दिया। हमारा मानना है कि ट्रेड तब तक सतर्कता के साथ अपना काम जारी रखेंगे जब तक कि एक या दो सत्र में कुछ स्थिरता न आ जाए।
सकारात्मक तिमाही आय और बेहतर आर्थिक आंकड़ों ने निवेशकों का सेंटिमेंट ऊंचा रखा। अप्रैल में PMI और GST कलेक्शन से संकेत मिला कि वैश्विक अवरोध के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था सुदृढ़ है।
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आने वाले समय में निवेशक अमेरिका के प्रमुख उपभोक्ता कीमत सूचकांक पर नजर रखेंगे, जिसमें खाद्य व ऊर्जा शामिल नहीं है और इस पर फेड की नजर रहती है।
मोतीलाल ओसवाल के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि हफ्ते में बाजार का सकारात्मक रुख जारी रहेगा, जिसे कंपनियों की आय व एफपीआई की सतत खरीदारी से सहारा मिलेगा। निवेशक आर्थिक संकेतकों पर नजर रखेंगे।
बाजार में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात मजबूत था और 1,998 शेयर चढ़े जबकि 1,654 में गिरावट आई। तीन को छोड़कर सेंसेक्स के बाकी शेयरों में बढ़ोतरी दर्ज हुई। रिलायंस इंडस्ट्रीज में 1.2 फीसदी की उछाल आई और सूचकांक की बढ़त में सबसे ज्यादा योगदान किया।