बाजार नियामक सेबी ने म्युचुअल फंड उद्योग निकाय एम्फी को पत्र लिखकर प्रोत्साहन पैकेज के नियमों पर और चीजें और स्पष्ट कर दी है। पत्र में कहा गया है, डेट रिसर्च एनालिस्टों को डेट व हाइब्रिड योजनाओं की यूनिट दी जा सकती है, वहीं इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट को इक्विटी व हाइब्रिड योजनाओं की यूनिट दी जा सकती है।
इसमें कहा गया है, एकबारगी का भुगतान मसलन बोनस, अनुलाभ (जो मासिक वेतन का हिस्सा नहीं है) को भी कॉस्ट टु कंपनी का हिस्सा माना जा जाएगा।
प्रोत्साहन पैकेज का नया ढांचा एमएफ अधिकारियों के हित को अपने यूनिटधारकोंं से जोडऩे के लिए बनाया गया है, जो 1 अक्टूबर से प्रभावी होगा। सोमवार को सेबी ने प्रोत्साहन पैकेज वाले परिपत्र मेंं बदलाव करते हुए फंड हाउस को प्रमुख कर्मियों को सीटीसी का 20 फीसदी एमएफ यूनिट के तौर पर देने को कहा था, जो तीन साल के लिए लॉक होगा।
उद्योग की कंपनियोंं ने कहा कि राहत की उनकी मांग पूरी नहीं हुई। एक अग्रणी फंड हाउस के वरिष्ठ प्रबंध निदेशक ने कहा, उद्योग ने जो चिंता सामने रखी थी, उसका जवाब नियामक ने नहीं दिया। हम इसमें कवर होने वाले कर्मचारी के दायरे पर कुछ छूट चाहते हैंं, लेकिन इसका समाधान नहीं किया गया। ये बदलाव स्थिति को और जटिल बनाएंगे, खास तौर से छोटे व मझोले फंड हाउस के लिए।
बाजार नियामक सेबी ने मूल परिपत्र में लिखे प्रमुख कर्मचारियों की जगह डेजिग्नेटेड एम्पलॉयी का इस्तेमाल किया है। पहले सेबी ने एक सूची जारी की थी कि कौन से कर्मी प्रमुख माने जाएंगे, जिस पर उद्योग की सिखायत थी कि इसमें स्टाफर को भी शामिल किया गया है, जिसका फंडों के प्रबंधन से कोई वास्ता नहीं है।
अधिकारियों ने कहा कि आने वाले समय में उद्योग प्रतिभाओं को आकर्षित करने में चुनौतियों का सामना करेगा क्योंंकि उनके कर्मियों का टेक होम वेतन घट जाएगा। उन्होंने कहा कि तीन साल की लॉक इन अवधि के बाद निवेश निकासी के नियम भ्रामक हैं और इसमें और स्पष्टता की दरकार होगी।
पहले सेबी ने कहा था कि सभी गैर-नकद लाभ व अनुलाभ को 20 फीसदी के आंकड़े तक पहुंचने के लिए सीटीसी में शामिल किया जाना चाहिए। हालांकि नियामक ने स्पष्ट किया है कि सुपरएनुएशन के लाभ व ग्रैच्युटी को इस बाबत सीटीसी में शामिल नहीं किया जाएगा।
