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सेबी ने FPI के लिए डिस्क्लोजर नियमों में छूट का प्रस्ताव रखा

चुनिंदा यूनिवर्सिटी फंडों और बिना प्रवर्तक वाली कंपनियों में निवेश को सेबी से मिल सकती है राहत

Last Updated- February 28, 2024 | 11:18 PM IST
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बाजार नियामक सेबी ने चुनिंदा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) और बिना प्रवर्तक वाली फर्मों के शेयरों के डिस्क्लोजर में और छूट देने का प्रस्ताव रखा है। हा​ल में शुरू हु​ई अतिरिक्त डिस्क्लोजर की अनिवार्यता के तहत किसी एक कॉरपोरेट समूह में अपनी परिसंपत्तियों का 50 फीसदी से ज्यादा निवेश करने वाले FPI को उनके लाभार्थी और आर्थिक हितों के बारे में जानकारी देनी होगी।

डिस्क्लोजर के सख्त नियमों से सुनिश्चित होगा कि कंपनियां FPI मार्ग का इस्तेमाल कर न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता के नियमों से बचने की कोशिश तो नहीं कर रही हैं। हालांकि नियामक को लगता है कि ऐसी चिंता उन कंपनियों में नहीं पैदा होगी जहां कोई प्रवर्तक नहीं हैं।

प्रस्ताव यह है कि डिस्क्लोजर में छूट तभी दी जाएगी जब समूह में ऐसे सभी FPI की कम्पोजिट होल्डिंग कुल इक्विटी शेयर पूंजी का तीन फीसदी से कम है। सेबी ने चर्चा पत्र में कहा है कि कस्टोडियन और डिपॉजिटरी बिना प्रवर्तक वाली कंपनियों में तीन फीसदी की इस सीमा के इस्तेमाल को हर दिन के आखिर में ट्रैक करेंगे।

जब तीन फीसदी की सीमा पूरी होती हो या इसका उल्लंघन होता है तो डिपॉजिटरी व कस्टोडियन इस सूचना को अगले दिन की ट्रेडिंग की शुरुआत से पहले सार्वजनिक कर देंगे। तीन फीसदी की सीमा अधिग्रहण नियमन के उल्लंघन से जुड़े जोखिम पर नियंत्रण के लिए है, जिसके तहत अतिरिक्त डिस्क्लोजर अनिवार्य किया गया है जब होल्डिंग में अहम बदलाव होता हो। इसके​ अतिरिक्त सेबी ने यूनिवर्सिटी फंडों और संबंधित एनडॉमेंट को भी छूट देने का प्रस्ताव किया है, जो कैटेगरी-1 FPI में आते हैं।

उदाहरण के लिए यूनिवर्सिटी निश्चित तौर पर क्यूएस रैंकिंग में 200 अग्रणी में शामिल होना चाहिए और उनका भारतीय इक्विटी निवेश उनकी प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों का 25 फीसदी से कम होना चाहिए (जो 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होना चाहिए)। सेबी ने इन प्रस्तावों पर 8 मार्च तक सुझाव मांगे हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन, यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज, कार्नेल यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया कुछ ऐसी यूनिवर्सिटी है, जो भारत में कैटिगरी-1 FPI के तौर पर पंजीकृत हैं। यह जानकारी एनएसडीएल के आंकड़ों से ​मिली।

50 फीसदी एकल समूह में निवेश के अतिरिक्त जिन FPI की भारतीय इक्विटी में ऐसेट अंडर कस्टडी 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होगी तो उसे भी अतिरिक्त खुलासा करना होगा। सेबी के शुरुआती अनुमान के मुताबिक ऐसे FPI की परिसंपत्तियां 2.6 लाख करोड़ रुपये थीं और यहां सीमा से ऊपर होल्डिंग भी है। हालांकि सही FPI को सुनिश्चित करना और व्यापक होल्डिंग वालों पर अतिरिक्त खुलासे का भार डाला गया है, लेकिन सेबी ने बाद में FPI की कई श्रेणियों को छूट प्रदान की थी। परिणामस्वरूप FPI एयूसी का शुद्ध असर काफी कम रहने की संभावना है।

कुछ निश्चित न्यायाधिकार क्षेत्र के सॉवरिन वेल्थ फंड, कुछ निश्चित पब्लिक रिटेल फंड और नियामक के पास पंजीकृत पूल्ड इन्वेस्टमेंट व्हीकल को अतिरिक्त खुलासे के नियमों से छूट मिली है। आठ न्यायाधिकार क्षेत्रों में एक्सचेंजों पर ट्रेड होने वाले ईटीएफ को भी छूट मिली है, लेकिन भारत में सूचीबद्ध इक्विटी में उनका निवेश निश्चित तौर पर 50 फीसदी से कम होना चाहिए।

ये क्षेत्र हैं अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा और आईएफएससी। सेबी के बोर्ड ने जून 2023 में FPI नियमन में बदलाव की मंजूरी दी थी। नए नियम 1 फरवरी से प्रभावी हो गए हैं। प्रभावित FPI को अपनी होल्डिंग को फिर से संतुलित करने या अतिरिक्त जानकारी जमा कराने के लिए अगस्त तक का समय मिला है।

First Published - February 28, 2024 | 11:18 PM IST

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