सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने निफ्टी बैंक इंडेक्स के नियमों में ढील देने का प्रस्ताव रखा है, जिससे HDFC Bank और ICICI Bank पर करीब 1 बिलियन डॉलर की बिकवाली का दबाव कम हो सकता है। ये दोनों बैंक निफ्टी बैंक इंडेक्स में भारी वेटेज रखते हैं, और नए नियमों की वजह से इनके शेयरों में बिकवाली का खतरा मंडरा रहा था। SEBI के इस कदम से बाजार में हलचल कम होने की उम्मीद है।
अभी निफ्टी बैंक इंडेक्स में HDFC Bank का वेटेज 29.1% और ICICI Bank का 26.5% है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के साथ, जिसका वेटेज 8.7% है, ये तीनों बैंक मिलकर इंडेक्स का 64% से ज्यादा हिस्सा बनाते हैं। यह SEBI के तय नियमों से कहीं ज्यादा है। SEBI ने मई में नॉन-बेंचमार्क इंडेक्स, जैसे निफ्टी बैंक, में किसी एक स्टॉक का वेटेज 20% और शीर्ष तीन स्टॉक्स का कुल वेटेज 45% तक सीमित करने का नियम बनाया था। साथ ही, इंडेक्स में कम से कम 14 स्टॉक्स होने चाहिए, जबकि निफ्टी बैंक में अभी सिर्फ 12 स्टॉक्स हैं।
नए नियमों के पालन के लिए HDFC Bank और ICICI Bank के वेटेज को काफी कम करना होगा। IFFL कैपिटल के सीनियर वीपी श्रीराम वेलायुधन के मुताबिक, HDFC Bank से 553 मिलियन डॉलर (लगभग 4,815 करोड़ रुपये) और ICICI Bank से 416 मिलियन डॉलर (लगभग 3,620 करोड़ रुपये) की बिकवाली हो सकती है। यह राशि कोटक महिंद्रा बैंक (297 मिलियन डॉलर), एक्सिस बैंक (237 मिलियन डॉलर) और SBI (201 मिलियन डॉलर) जैसे अन्य बैंकों में बंट सकती है। निफ्टी बैंक इंडेक्स को फॉलो करने वाले पैसिव फंड्स में 34,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है, इसलिए यह बदलाव बाजार में बड़ी हलचल मचा सकता है।
SEBI ने बाजार को अचानक झटके से बचाने के लिए “ग्लाइड पाथ” का प्रस्ताव दिया है, जिसमें वेटेज को कई महीनों में धीरे-धीरे बदला जाएगा। इस पर बाजार से राय मांगी गई है। एक्सपर्ट्स ने इस कदम का स्वागत किया है, लेकिन कुछ का मानना है कि इंडेक्स को और बड़ा करना चाहिए। नुवामा अल्टरनेटिव एंड क्वांटिटेटिव रिसर्च के हेड अभिलाश पगारिया ने कहा, “इंडेक्स में 16-18 स्टॉक्स होने चाहिए। टॉप पांच लिक्विड बैंकों का वेटेज 15-20% के बीच हो सकता है, बाकी का वेटेज बराबर बंटना चाहिए। कम फ्लोट वाले स्टॉक्स को ज्यादा वेटेज देना इंडेक्स की सही तस्वीर को बिगाड़ सकता है।”
यह प्रस्ताव SEBI के डेरिवेटिव्स मार्केट सुधार का हिस्सा है, जिसका मकसद जोखिम कम करना और इंडेक्स की विश्वसनीयता बढ़ाना है। जुलाई में SEBI ने न्यूयॉर्क की जेन स्ट्रीट पर निफ्टी बैंक इंडेक्स में कथित हेरफेर के लिए कार्रवाई की थी।