भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ईएसजी रेटिंग प्रदाता (ईआरपी) ढांचे में लगभग एक वर्ष पहले इसकी शुरूआत के बाद से पहला बड़ा संशोधन करने की योजना बना रहा है। पिछले साल, नियामक ने ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) रेटिंग प्रदान करने वाली सभी संस्थाओं के लिए पंजीकरण कराना और ईआरपी लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया था। इस कदम का उद्देश्य पारदर्शिता और मानकीकरण को बढ़ावा देना था।
सेबी ने अब ईआरपी फ्रेमवर्क में प्रमुख संशोधन और बदलाव शामिल करने का प्रस्ताव दिया है। इनमें जारीकर्ता के साथ ईएसजी रेटिंग रिपोर्ट साझा करना औरईआरपी को अन्य उत्पादों की रेटिंग करने की अनुमति देना शामिल है।
ईआरपी दो तरह के राजस्व मॉडलों इश्यूअर-पे और सब्सक्राइबर-पे पर अमल करते हैं। कोई सदस्य म्युचुअल फंड, जारीकर्ता, बैंक या ऊंचे ईएसजी स्कोर वाली कंपनियों में निवेश को इच्छुक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक हो सकता है। जारीकर्ता एक सूचीबद्ध कंपनी है जो ईएसजी-केंद्रित फंडों को आकर्षित करने के लिए स्वयं को रेटिंग दिलाने का इरादा रखती है।
मौजूदा फ्रेमवर्क के तहत, ईआरपी को जारीकर्ता (रेटेड इकाई) के साथ ईएसजी रेटिंग रिपोर्ट पहले से साझा करनी होगी, भले ही रेटिंग ग्राहक द्वारा अधिकृत हो। ईआरपी ने सेबी के समक्ष अपनी चिंता जताते हुए कहा कि इससे कारोबार में नुकसान होने की संभावना है।
नियामक ने अब प्रस्ताव रखा है कि सब्सक्राइबर-पे मॉडल का अनुसरण करने वाले ईआरपी, ईएसजी रेटिंग रिपोर्ट को रेटेड जारीकर्ता और ग्राहकों के साथ एक ही समय में साझा कर सकते हैं।
सेबी ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि सब्सक्राइबर-पे मॉडल के आधार पर ईआरपी भी रेटेड जारीकर्ता को प्रतिनिधित्व का अवसर प्रदान करेगा। सेबी ने कहा है, ‘निर्धारित समय-सीमा के भीतर रेटेड इकाई से प्राप्त सभी टिप्पणियों या स्पष्टीकरणों को ईआरपी द्वारा रेटिंग रिपोर्ट के शेष के रूप में शामिल किया जाएगा।’
लगभग एक दर्जन संस्थाओं ने ईएसजी रेटिंग प्रदाताओं (ईआरपी) के लिए विनियामक लाइसेंस प्राप्त कर लिया है या प्राप्त करने की प्रक्रिया में हैं, हालांकि बाजार अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है तथा राजस्व के स्रोत सीमित नजर आ रहे हैं।