भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) शेयर बाजार में सौदों का निपटान तत्काल करने की महत्त्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहा है। सौदों के निपटान चक्र को टी+2 (ट्रेड और दो दिन) से टी+1 (ट्रेड और एक दिन) करने के एक साल से भी कम समय में सौदों का निपटान फौरन करने के लिए नया प्रस्ताव आया है।
SEBI की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने आज कहा, ‘शेयर बाजार के लिए अस्बा की तरह भुगतान प्रणाली पर काम करते समय हमने महसूस किया कि सौदों का निपटान फौरन करना संभव है। टी+1 की तरह ही, सौदों का निपटान तुरंत करने वाला भारत दुनिया का पहला देश होगा।’
SEBI प्रमुख ने कहा कि शेयर बाजार के लिए अस्बा की तरह भुगतान व्यवस्था, शेयर सौदों के निपटान चक्र को टी+1 और आईपीओ तथा म्युचुअल फंड लेनदेन का निपटान का समय घटाकर टी+3 करने जैसे ट्रेडिंग ढांचे में बदलाव से निवेशकों को सालाना करीब 3,500 करोड़ रुपये की बचत होगी। उन्होंने कहा, ‘जैसे-जैसे पारिस्थितिकी तंत्र ज्यादा क्षमता विकसित करेगा, आंकड़े बढ़ते जाएंगे।’ तत्काल निपटान की व्यवस्था केवल डिलिवरी आधारित सौदों और निवेशकों के चुनिंदा समूह के लिए ही हो सकती है।
बुच ने संकेत दिया कि यह अलग ट्रेडिंग सेगमेंट हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह अगले वित्त वर्ष तक लागू हो सकता है। इस बीच बाजार नियामक सूचीबद्धता खत्म करने के नियमन में व्यापक बदलाव लाने पर काम कर रहा है ताकि सूचीबद्ध कंपनियां अगर चाहें तो उन्हें निजी बनने के लिए उचित अवसर मिल सके।
उद्योग जगत द्वारा सूचीबद्धता खत्म करने के लिए रिवर्स बुक बिल्डिंग (आरबीबी) ढांचे के खिलाफ दिए गए प्रस्तुतिकरण के बाद यह कदम उठाया गया है। इसके तहत प्रवर्तकों को अपनी कंपनी की सूचीबद्धता खत्म करने के लिए कुल शेयरधारिता का कम से कम 90 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण करना होगा। प्रवर्तकों का कहना था कि आरबीबी व्यवस्था काफी सख्त है और इसके दुरुपयोग की भी आशंका रहती है।
Also read: Sebi ने Mutual Funds को दी ज्यादा ESG योजनाएं शुरू करने की इजाजत, क्या आपको इन्वेस्ट करना चाहिए?
SEBI प्रमुख ने कहा, ‘कुछ ऑपरेटर सूचीबद्धता खत्म करने का प्रस्ताव देने वाली कंपनियों के शेयर पर कब्जा जमा लेते हैं और अपनी शेयरधारिता 10 फीसदी से ज्यादा कर लेते हैं। इसके बाद 90 फीसदी शेयरों के बोली को काफी ऊंचा बढ़ा दिया जाता है। इससे सूचीबद्धता खत्म करने करना कठिन हो जाता है।’ उन्होंने कहा कि उद्योग ने यही समस्या व्यक्त की है। इसलिए समिति ने विचार किया है कि इस समस्या को कैसे दूर किया लाए।
बुच ने कहा कि निश्चित मूल्य पर सूचीबद्धता खत्म करने की अनुमति देने का प्रस्ताव है। इस बारे में अंतिम रूपरेखा SEBI द्वारा गठित केके मिस्त्री की अध्यक्षता वाली समिति तय करेगी। सूचीबद्धता खत्म करने के निए नियम पर परामर्श पत्र साल के अंत तक जारी किया जा सकता है।
इसके साथ ही बाजार नियामक ‘ट्रेडिंग प्लान’ की समीक्षा कर रहा है, जिसका उपयोग भेदिया कारोबार निषेध नियमन के तहत कंपनी के अंदर के व्यक्तियों द्वारा अपनी कंपनियों के शेयरों के सौदों में किया जाता है। वर्तमान में प्रबंधन के पदों पर बैठक लोग नियमित ट्रेड के लिए 6 महीने पहले की ट्रेडिंग योजना बना सकते हैं। इससे भेदिया कारोबार निषेध नियमन का उल्लंघन किए बगैर शेयरों की खरीद-फरोख्त में सहूलियत होती है।
SEBI के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण ने कहा कि ट्रेडिंग योजना की मौजूदा प्रक्रिया कठिन है। इसलिए नियामक मूल्य दायरे में लचीलापन लाने के लिए नया दृष्टिकोण अपना रहा है ताकि इस प्रकार की ट्रेडिंग योजना को लागू किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस संबंध में एक परामर्श पत्र अगले महीने जारी किया जाएगा।
Also read: SEBI ने Aditya Birla Money को किया बरी, सभी आरोप खारिज
नए और मौजूदा नियमों को लागू करने की प्रक्रिया को सुचारु बनाने के लिए बाजार नियामक ने एम्फी, सीआईआई, फिक्की और एसोचैम जैसे उद्योग संगठनों को इसमें शामिल करने की योजना बनाई है। इससे प्रक्रिया का मानकीकरण होगा। बुच ने इसे SEBI के दृष्टिकोण में ढांचागत बदलाव करार देते हुए मुख्य धारा के मीडिया में फैली अफवाहों का जवाब देने के लिए नए नियम का उदाहरण भी दिया।
SEBI प्रमुख ने कहा कि बाजार नियामक को फीडबैक मिला है कि कंपनियों को खबरों पर नजर रखने की व्यवस्था पर सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। बुच ने स्पष्ट किया कि SEBI की ऐसी कोई मंशा नहीं है कि नए नियमों का अनुपालन करने के लिए कंपनियों पर ऊंची लागत का बोझ डाला जाए।