बाजार नियामक जिसे सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने ऑनलाइन स्टॉक ब्रोकर आदित्य बिड़ला मनी (Aditya Birla Money) पर लगे ब्रोकर नियमों के उल्लंघन के सभी आरोपों से बरी कर दिया है। इससे जुड़ा आदेश सेबी ने 18 जुलाई को जारी कर दिया है।
बता दें कि Aditya Birla Money पर ब्रोकर रेगुलेशन्स यानी ब्रोकर फर्म से जुड़े नियमों का पालन न करना का आरोप लगा था, जिसे सेबी ने जांच में गलत पाया और इन
सभी चार्जेज को खारिज कर दिया।
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सितंबर 2009 और मार्च 2013 के बीच, सेबी के अधिकारी इस बात की जांच कर रहे थे कि कुछ कंपनियां जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके निष्क्रिय पड़े खातों यानी डीमैट खाते में शेयरों को शेयरों को फिजिकल रूप से डीमैट खाते में डाल रही हैं।
इस संबंध में, आदित्य बिड़ला मनी पर अपने ग्राहकों में से एक अभय दत्तात्रेय के लेनदेन के संबंध में अपने व्यवसाय के संचालन में उचित कौशल, देखभाल, परिश्रम, व्यावसायिकता और दक्षता का प्रयोग करने में विफल रहने का आरोप लगाया गया था।
जांच से पता चला कि ब्रोकरेज ने ग्राहक की ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर को प्रभावी ढंग से वेरिफाइड नहीं किया था और इसने ग्राहक के लेन-देन की सूचना वित्तीय खुफिया इकाई (FIU) को नहीं दी थी, जो उसकी आय के अनुरूप नहीं था।
इन पर विचार करते हुए, यह आरोप लगाया गया कि Aditya Birla Money ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (स्टॉक-ब्रोकर) रेगुलेशन, 1992 के रेगुलेशन 9 (एफ) के साथ पढ़ी गई अनुसूची II में निर्दिष्ट आचार संहिता के खंड ए (2) के प्रावधानों का उल्लंघन किया था।
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इसके बाद, सेबी ने इन आरोपों की जांच के लिए एक डेजिनेटेड अथॉरिटी (DA) नियुक्त किया। जांच के बाद, डीए ने पाया कि ग्राहक के विवरण को सत्यापित न करने का पहला आरोप स्थापित नहीं हुआ था, लेकिन संदिग्ध लेनदेन की रिपोर्ट न करने के दूसरे आरोप में जांच होनी चाहिए।
डीए के अनुसार, मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम पर सेबी के सर्कुलर के अनुसार, ब्रोकरेज ग्राहक के कुछ लेनदेन की रिपोर्ट एफआईयू को देने के लिए बाध्य थी, “जो वह करने में विफल रही”।
इसलिए, डीए ने सिफारिश की थी कि ब्रोकरेज के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को तीन महीने के लिए सस्पेंड कर दिया जाए। ब्रोकरेज को कारण बताओ नोटिस (show-cause notice ) भी जारी किया गया और ब्रोकरेज ने अपनी बात रखी।
इन सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद सेबी का अंतिम आदेश आया है। ब्रोकरेज ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जिन शेयरों की जांच हो रही है, वह ग्राहक को ऑफ-मार्केट लेनदेन के माध्यम से प्राप्त हुए थे।
इसलिए, सेबी के आदेश में कहा गया है, “ब्रोकर के रूप में नोटिस प्राप्तकर्ता, ग्राहक के खाते में ऐसे शेयरों के क्रेडिट में शामिल नहीं हो सकता है”।
सेबी के आदेश में कहा गया है, ग्राहक को शेयर उपहार के रूप में या अन्यथा प्राप्त हो सकते थे। चूंकि इन शेयरों की प्राप्ति में नोटिस प्राप्तकर्ता यानी Aditya Birla Money शामिल नहीं थी, तो इसे लेकर यह कुछ नहीं कर सकती है कि ये वैध हैं या नहीं। नोटिस प्राप्तकर्ता के पास ऐसे शेयरों के स्रोत पर संदेह करने का कोई कारण नहीं था क्योंकि ग्राहक के पास पहले से ही उसके डीमैट खाते में शेयर थे। सेबी ने अपने नोटिस में कहा ।
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