भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने क्लियरिंग कॉरपोरेशन (Clearing Corporation) को नकदी, सावधि जमाओं और बैंक गारंटी के जरिये बैंकों में अपने लेनदेन में बदलाव लाने का निर्देश दिया है।
नए मानकों के अनुसार, एएए रेटिंग वाले बैंकों के लिए सभी लिक्विड एसेट को ध्यान में रखते हुए किसी बैंक में एक्सपोजर अब पिछले तीन महीने के औसत दैनिक लेनदेन के 15 प्रतिशत के अंदर रहना चाहिए। वहीं एए रेटिंग वाले बैंकों के लिए यह सीमा 10 प्रतिशत निर्धारित की गई है।
बाजार नियामक ने एक्सपोजर के लिए बैंकों के चयन के संबंध में वित्त, पूंजी पर्याप्तता, दीर्घावधि क्रेडिट रेटिंग जैसे मानकों के आधार पर अन्य नियम भी तय किए हैं।
एक्सपोजर से संबंधित मानकों में बदलाव के साथ साथ बाजार नियामक ने सीसी द्वारा स्वीकृत किए जाने वाले मौजूदा कॉलेटरल में भी बदालाव किए हैं।
नकदी, बैंक एफडी, बैंक गारंटी, लिक्विड म्युचुअल फंडों या सरकारी प्रतिभूतियों की यूनिट को लिक्विड ऐसेट समझा गया है।