स्टॉक एक्सचेंजों, डिपोजिटरी और क्लियरिंग कॉरपोरेशन में संचालन व्यवस्था मजबूत बनाने की कोशिश के तहत भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सोमवार को मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (एमआईआई) की इंटरनल ऑडिट प्रणाली और ऑडिट समिति की संरचना के मानकों में संशोधन किया। नए मानक तीन महीने बाद प्रभावी होंगे।
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एमआईआई की ऑडिट समिति में अब मैनेजिंग डायरेक्टर समेत कोई एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (एमडी) नहीं होगा। हालांकि एमडी कमेटी का हिस्सा नहीं होंगे, लेकिन उन्हें कमेटी के अध्यक्ष की अनुमति से बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जा सकेगा। मगर उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं होगा।
इसी तरह, एमआईआई के प्रमुख प्रबंधन कर्मियों को ऑडिट समिति जब भी ऑडिटर की रिपोर्ट पर विचार करेगी, उसकी बैठकों में उन्हें सुने जाने का अधिकार होगा। लेकिन उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं होगा।
ये संशोधन उद्योग जगत से प्राप्त फीडबैक और सेबी की सेकंडरी मार्केट एडवायजरी कमेटी (एसएमएसी) के साथ विचार-विमर्श के बाद किए गए हैं। ऑडिट समिति की जिम्मेदारी संबंधित पक्ष के लेनदेन को मंजूरी देना, वित्तीय विवरणों की जांच करना और वित्तीय नियंत्रण और जोखिम प्रबंधन प्रणालियों का मूल्यांकन करना है।