देश का सबसे बड़ा कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (SBI) 4,544 करोड़ रुपये के एडीशनल टियर-1 (AT1) बॉन्ड की बिक्री को अंतिम रूप दे सकता है। बैंक की कुल 10,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी करने की योजना है।
सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि बैंक ने मूल रूप से 2,000 करोड़ रुपये के बेस साइज की योजना बनाई थी, जिसमें 8,000 करोड़ रुपये का ग्रीनशू ऑप्शन था।
इस मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा, ‘SBI AT1 बॉन्डों का आवंटन 8.20 प्रतिशत कूपन पर 4,544 करोड़ रुपये के लिए होगा, जिसका काल ऑप्शन 21 फरवरी, 2033 होगा।’
कूपन वह ब्याज दर होती है, जिसका निवेशकों को आवर्ती भुगतान किया जाता है।
सूत्र ने कहा, ‘यह संभव है कि जब कूपन दर की बात आए तो उम्मीदों में कुछ अंतर हो। यह संभव है कि उन्होंने (SBI) आक्रामक स्तर पर पूरी राशि के स्तर पर नहीं जाने का विकल्प चुना हो। बहरहाल SBI ने इस वित्त वर्ष में बहुत बेहतरीन दरों पर AT1 बॉन्ड से धन जुटाया है।’
बुधवार को 10 साल का बेंचमार्क सरकारी बॉन्ड प्रतिफल 7.37 प्रतिशत पर बंद हुआ।
पिछले 2 सप्ताह के दौरान कॉर्पोरेट बॉन्ड प्रतिफल तेजी से बढ़ा है। इस बढ़ोतरी की वजह भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से रीपो रेट में एक बार फिर बढ़ोतरी की चिंता है, क्योंकि महंगाई बढ़ी है।
डीलरों ने कहा कि सितंबर में SBI की ओर से जारी 5 साल के काल ऑप्शन वाले AT1 बॉन्ड का बाजार में मौजूदा कारोबार 8.10 से 8.15 प्रतिशत पर चल रहा है। यह 7.75 प्रतिशत कूपन पर जारी हुए थे, जिसकी तुलना में यह बहुत ज्यादा है। बॉन्ड की कीमतें और प्रतिफल विपरीत दिशा में चलते हैं।
स्टेट बैंक ने 14 दिसंबर, 2022 में कहा था कि उसने एडीशनल टियर-1 बॉन्डों के माध्यम से 10,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है। यह धन कारोबार में बढ़ोतरी के समर्थन के लिए जुटाया जाना है। बैंक ने 18 जनवरी को 15 साल के इन्फ्रास्ट्रक्चर ऋण के माध्यम से 9,718 करोड़ रुपये जुटाए थे, जिसमें बॉन्डों की धारिता का कूपन 7.70 प्रतिशत था।
जनवरी में बॉन्ड की बिक्री के पहले SBI ने 6 दिसंबर, 2022 को 10,000 करोड़ रुपये का 10 साल का इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड 7.51 प्रतिशत कूपन पर जारी किया था।
पिछले कुछ महीने से बैंकों ने पूंजी जुटाने के लिए डेट इश्यूएंस की कवायद तेज की है। इसकी वजह यह है कि जमा में वृद्धि की दर लगातार ऋण में वृद्धि की तुलना में उल्लेखनीय रूप से कम है। इसकी वजह से बैंकों पर धन जुटाने को लेकर दबाव बना हुआ है, जिससे कि ऋण की मांग में बढ़ोतरी को पूरा कर सकें।
भारतीय रिजर्व बैंक के हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि 27 जनवरी, 2022 को बैंक की ऋण वृद्धि की दर पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 16.3 प्रतिशत थी। वहीं इस अवधि के दौरान जमा में वृद्धि की दर 10.5 प्रतिशत थी।