रुपये में गिरावट इस हफ्ते जारी है और पिछले कुछ दिनों में यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 0.5 फीसदी टूट चुका है क्योंकि पिछले हफ्ते देसी मुद्रा में तीव्र बढ़त के बाद आयातक लगातार डॉलर की खरीदारी कर रहे हैं। मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 81.77 पर टिका, जो सोमवार को 81.62 पर बंद हुआ था।
देसी मुद्रा पिछले हफ्ते के आखिर में डॉलर के मुकाबले 81.34 पर बंद हुई थी। पिछले हफ्ते डॉलर के मुकाबले रुपये में 1.7 फीसदी की मजबूती आई थी।भारतीय रिजर्व बैंक की डॉलर खरीद और विदेशी निवेशकों की लगातार निवेश निकासी का भी रुपये की फिसलन पर असर पड़ा। यह जानकारी ट्रेडरों व विश्लेषकों ने दी।
कोटक सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (करेंसी डेरिवेटिव व ब्याज दर डेरिवेटिव) ए. बनर्जी ने कहा, आरबीआई शायद हस्तक्षेप कर रहा है क्योंकि जिस हिसाब से निर्यात घट रहा है, आरबीआई बाजार को सहारा देने पर शायद विचार कर रहा है। शुरू में माना गया था कि आरबीआई 80 प्रति डॉलर के आसपास आरबीआई उतरेगा, लेकिन लगता है कि आरबीआई 81 प्रति डॉलर के आसपास उतर चुका है। ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि एफपीआई अभी भी बिकवाली कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, राष्ट्रीकृत बैंकों की तरफ से डॉलर की खरीदारी से कीमतें बढ़ सकती हैं क्योंकि सटोरियों को इतने कम फॉरवर्ड प्रीमियम पर अमेरिकी डॉलर को शॉर्ट करने का भरोसा नहीं है। एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने 81.40-81.50 प्रति डॉलर के आसपास शायद खरीदारी की होगी। जनवरी में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 2.1 अरब डॉलर की भारतीय इक्विटी की शुद्ध बिकवाली की है। एनएसडीएल के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
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सरकार के ताजा आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर 2022 में भारत का व्यापार घाटा एक महीने पहले के 23.4 अरब डॉलर से बढ़कर 23.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया। ज्यादा घाटे की मुख्य वजह तेल निर्यात में क्रमिक नरमी है, वहीं आयात स्थिर रहा है। विश्लेषकों ने ये बातें कही। डीलरों ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में सुधार ने भी इस हफ्ते रुपये की कमजोरी में योगदान किया है क्योंकि तेल आयातक अपेक्षाकृत आकर्षक स्तर पर डॉलर की खरीद की ओर बढ़े। पिछले हफ्ते स्थानीय मुद्रा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 1.7 फीसदी मजबूत हुआ था।