भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने मंगलवार को शेयर बाजार में कारोबार के लिए फंड को ‘ब्लॉक’ करने की सुविधा का प्रस्ताव रखा है। इस कदम से निवेशकों के पैसे का शेयर ब्रोकरों के हाथों दुरुपयोग रोकने में मदद मिलेगी। यह सुविधा प्राथमिक बाजार या आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के मामले में पहले से है। इसमें निवेशक के खाते से पैसा तभी कटता है, जब उसे IPO के तहत शेयर आवंटित करने की सूचना दी जाती है।
सेबी ने अपने एक परामर्श पत्र में कहा है कि शेयर बाजारों में खरीद-फरोख्त के लिए कोष या फंड को ब्लॉक करने की सुविधा मिलने से निवेशकों को बैंक खाते में रोकी गई राशि पर कारोबार करने की सहूलियत मिल पाएगी। इस तरह निवेशकों को अपना पैसा शेयर ब्रोकर को भेजने की जरूरत ही खत्म हो जाएगी।
इसके अलावा फंड ब्लॉक की सुविधा से समाशोधन निगम (Clearing Corporation) ग्राहक स्तर की निपटान दृश्यता यानी पे-इन और पे-आउट दोनों सेवाएं मुहैया करा पाएंगे। यह काम ग्राहक या निवेशक और क्लियरिंग निगम के बीच फंड एवं प्रतिभूतियों के सीधे निपटान के जरिये किया जाएगा।
सेबी ने कहा कि इस प्रक्रिया से ग्राहकों की पूंजी का शेयर ब्रोकर के स्तर पर दुरुपयोग नहीं हो पाएगा और उनकी पूंजी से जुड़े जोखिम भी कम होंगे। मौजूदा व्यवस्था के तहत ग्राहकों का पैसा शेयर ब्रोकर एवं क्लियरिंग सदस्य से होते हुए समाशोधन निगम तक पहुंचता है। इसी तरह समाशोधन निगम की तरफ से जारी की गई राशि ग्राहक तक पहुंचने के पहले क्लियरिंग सदस्य एवं शेयर ब्रोकर के पास जाती है।
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समाशोधन निगम अपने सदस्यों को अंतिम निपटान निर्देश हर दिन जारी करते हैं लेकिन ग्राहकों के स्तर पर देनदारियों का निपटारा शेयर ब्रोकर ही करते हैं। सेबी ने इस प्रस्ताव पर 16 फरवरी तक सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित की हैं। प्रस्तावित मॉडल के तहत पैसा ग्राहक के खाते में ही बना रहेगा लेकिन उसे समाशोधन निगम के पक्ष में ब्लॉक कर दिया जाएगा।
ब्लॉक की तय अवधि खत्म होने या निगम की तरफ से उसे हटाए जाने तक यह राशि ब्लॉक ही रहेगी। समाशोधन निगम ग्राहक के खाते से उतनी ही राशि निकाल पाएंगे जितनी राशि ब्लॉक की गई थी।