कंपनी मामलों का मंत्रालय विदेश में गैर-सूचीबद्ध कंपनियों की सूचीबद्धता की शर्तों को अंतिम रूप दे रहा है। नए नियम-कायदों को अंतिम रूप मिल जाने के बाद स्टार्टअप और लघु एवं मझोले उद्यमों के लिए विदेश में पूंजी जुटाना आसान हो जाएगा। मंत्रालय विदेश में सीधी सूचीबद्धता के लिए निर्धारित शर्तें आकर्षक और आसान रखना चाहता है। शुरू में कंपनी मामलों का मंत्रालय 8 देशों में इन इकाइयों को सूचीबद्ध होने की इजाजत दे सकता है। इन देशों में अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कोरिया, जापान, फ्रांस, जर्मनी और कनाडा शामिल हैं। इनके अलावा गुजरात में अहमदाबाद के निकट इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेस सेंटर्स अथॉरिटी (आईएफएससीए) की गिफ्ट सिटी भी इसमें है। गिफ्ट सिटी भारत में एक विदेशी न्याय क्षेत्र के तौर पर काम करता है। हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर, दुबई जैसे नामी वित्तीय केंद्रों को टक्कर देने के लिए अहमदाबाद के निकट इस गिफ्टी सिटी की स्थापना की गई है।
इस बारे में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘विदेश में सूचीबद्धता से जुड़े नियमों को जल्द अंतिम रूप देना हमारी प्राथमिकता है। इस संबंध में संबंधित पक्षों के साथ बातचीत हुई है। यह पहल देश की केवल बड़ी कंपनियों के लिए ही नहीं होगी, बल्कि छोटी कंपनियों के लिए भी विदेश में पूंजी जुटाना आसान हो जाएगा।’
विशेषज्ञों का कहना है कि विदेश में सूचीबद्ध होने की चाह रखने वाली हरेक स्टार्टअप इकाई दूसरे देश में साझेदारों के माध्यम से कारोबार कर रही है या वहां कंपनी गठित कर रही है और यह सिलसिला पिछले कई वर्षों से चल रहा है।
5आइडियाज स्टार्टअप सुपरफ्यूल के संस्थापक गौरव काछरू ने कहा, ‘यह एक बड़ा बदलाव न होकर उद्योग जगत में पहले से चल रही कवायद को औपचारिक रूप देना है। इस कदम से दो देशों में परिचालन करने पर कानूनी फीस, कराधान और अन्य संरचनात्मक मदों में जाने वाली कंपनियों की लागत कम होगी।’
ये नियम-कायदे इस महीने के अंत तक जारी हो सकते हैं। नए नियमों का लाभ लेने के लिए कंपनियों के मुनाफे, उनकी शुद्ध हैसियत, चुकता पूंजी और सालाना कारोबार पर विचार किया जाएगा। नकारात्मक हैसियत वाली कोई कंपनी को यह लाभ नहीं मिल सकेगा। अगर कोई कंपनी आईएफएससी गिफ्ट सिटी में सूचीबद्ध होना चाहती है तो उसके लिए इन शर्तों में थोड़ी ढील दी जाएगी। अधिकारी ने कहा, ‘आवश्यक शर्तों में थोड़ी ढील देकर हम कंपनियों को गिफ्टी सिटी में सूचीबद्ध होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं।’
विदेश में सूचीबद्ध होने की चाह रखने वाली किसी कंपनी को एक फॉर्म-लीप (लिस्टिंग फॉर इक्विटी शेयरर्स इन परमिशिबल ज्यूरीडिक्शंस)-भरना होगा और अनुमति के लिए कंपनी मामलों के मंत्रालय को सौंपना होगा। सरकार के सूत्रों ने कहा कि सभी मानदंडों को पूरा करने पर कंपनी को अनुमति मिल जाएगी। अधिकारी ने कहा, ‘इन अनुपालन नियमों से किसी कंपनी पर किसी तरह का अनावश्यक दबाव नहीं बढ़ेगा।’ मंत्रालय ने अनिवार्य दोहरी सूचीबद्धता की शर्त पर भी समाप्त कर दी है। इससे कंपनियों के लिए विदेश में सूचीबद्ध होने से पहले भारत में सूचीबद्ध होना जरूरी नहीं होगा।
