डॉलर के मुकाबले रुपये में मंगलवार को तेज गिरावट आई क्योंकि निवेशकों ने जोखिम लेने से परहेज किया और बुधवार के दो अहम घटनाक्रम (आम बजट और फेडरल रिजर्व के मौद्रिक नीति बयान) से पहले अमेरिकी मुद्रा में सुरक्षित ठिकाना खोजा।
डॉलर के मुकाबले देसी मुद्रा 81.93 पर टिकी, जो सोमवार को 81.50 के स्तर पर रही थी। कारोबारी सत्र में रुपया पिछले मनोवैज्ञानिक स्तर 82 को तोड़ते हुए 82.07 के निचले स्तर को छू गया।
आम बजट की घोषणा से पहले सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल घटा क्योंकि ट्रेडरों का मानना है कि पिछले हफ्ते कीमतों में जरूरत से ज्यादा गिरावट आ चुकी है। डीलरों ने यह जानकारी
दी। 10 वर्षीय बेंचमार्क बॉन्ड का प्रतिफल छह आधार अंक घटकर 7.32 पर बंद हुआ। बॉन्ड की कीमतें व प्रतिफल एक दूसरे के विपरीत दिशा में चलते हैं।
पिछले हफ्ते 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल नवंबर के बाद के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था क्योंकि बाजार आगामी वर्ष में प्रतिभूतियों की भारी आपूर्ति का अनुमान लगा रहे थे।
बजट में सरकार राजकोषीय घाटे का लक्ष्य घटाकर अगले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी का 5.8 से 5.9 फीसदी कर सकती है। अनुमान से ज्यादा राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से बॉन्ड और रुपये में और कमजोरी आ सकती है क्योंकि भारत की सॉवरिन रेटिंग उसके उच्च कर्ज-जीडीपी अनुपात से सीमित हो गई है।
मंगलवार का निचला स्तर 10 जनवरी के बाद अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये का कारोबारी सत्र के दौरान सबसे कमजोर स्तर था, ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। साल 2023 में अब तक डॉलर के मुकाबले रुपये में एक फीसदी की तेजी आई है।
फेड हालांकि दरों में बढ़ोतरी की मात्रा घटा सकता है लेकिन ट्रेडर अमेरिकी केंद्रीय बैंक के उस संकेत से आशंकित हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में ब्याज दरें अनुमान से ज्यादा लंबे समय तक ऊंची बनी रहेगी। अमेरिका में ज्यादा ब्याज दरें वैश्विक निवेश को वापस उस देश में लाता है, जिससे डॉलर मजबूत होगा।
शिनहन बैंक के उपाध्यक्ष (ग्लोबल ट्रेडिंग सेंटर) कुणाल सोढानी ने कहा, डॉलर इंडेक्स, डॉलर-युआन में मजबूती और विदेशी बैंकों से इक्विटी की निकासी पाई गई, जिसने रुपये को नीचे धकेल दिया।
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उन्होंने कहा, डॉलर-रुपये के लिए 81.50 अच्छे आधार के तौर पर काम करता है, वहीं 82.30 का स्तर पहला अहम प्रतिरोध स्तर, जिसके बाद 82.55 का स्तर। 3.30 बजे अमेरिकी डॉलर इंडेक्स 102.50 पर था, जो सोमवार को इस समय 101.68 पर रहा था।
भारतीय इक्विटी से निकलने वाले विदेशी निवेशकों के लिएब्रिटेन के बड़े बैंक समेत अन्य विदेशी बैंकों की तरफ से अमेरिकी डॉलर की खरीदारी ने भी मंगलवार को रुपये को नीचे खींच लिया। डीलरों ने यह जानकारी दी।