अमेरिकी डॉलर के मुकाबले आज रुपया नए निचले स्तर पर पहुंच गया है। डीलरों ने कहा कि विदेशी निवेश लगातार बाहर जा रहा है और घरेलू इक्विटी में गिरावट आ रही है, जिसका असर मुद्रा पर पड़ रहा है। बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 78.97 पर बंद हुआ और पहले की बंदी की तुलना में इसमें 0.3 प्रतिशत की गिरावट आई है। कारोबार के दौरान रुपया एक दिन के कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 78.98 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया।
डीलरों ने कहा कि बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने उतार चढ़ाव सीमित करने के लिए मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया, वहीं केंद्रीय बैंक ने इस तरह के हस्तक्षेपों की रफ्तार सुस्त की है, जिससे मूल धारणाओं के मुताबिक रुपया बना रहे। रिजर्व बैंक ने 70.97 से 78.98 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर हस्तक्षेप किया।
फरवरी के आखिर में यूक्रेन युद्ध के बाद से रिजर्व बैंक ने रुपये में गिरावट का ढाल बनकर विदेशी मुद्रा भंडार का तेजी से इस्तेमाल किया। 25 फरवरी के बाद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 40.94 अरब डॉलर कम हुआ है।
घरेलू शेयर बाजार में गिरावट वजह से रुपया कमजोर रहा और महंगाई बढ़ने व अमेरिका में दरों में बढ़ोतरी को लेकर निराशा की वजह से वाल स्ट्रीट में गिरावट आई और उसने एशिया के शेयर बाजारों को भी अपनी चपेट में ले लिया।
बीएसई का सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी पहले की बंदी की तुलना में 0.3 प्रतिशत गिरकर बंद हुए। नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के आंकड़ों से पता चलता है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बड़े पैमाने पर बिकवाली की और उन्होंने जून में 6.3 अरब डॉलर के भारतीय शेयर बेचे।
मार्च 2020 से अब तक यह एफआईआई की सबसे बड़ी निकासी है। मार्च, 2020 वह महीना है, जब कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया था।
अब तक 2022 में विदेशी निवेशकों ने इक्विटी से 28.4 अरब डॉलर निकाला है। 2008 के वैश्विक संकट में 11.8 अरब डॉलर की निकासी बाजार से हुई थी। इस अवधि के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया 5.9 प्रतिशत कमजोर हुआ है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘फेडरल रिजर्व से क्यूटी (मात्रात्मक कसाव) के बाद विदेशी फंड के बाहर जाने और डॉलर की कमी के डर के बीच रुपये की धारणा कमजोर बनी हुई है।’
विश्लेषक ने कहा कि आने वाले दिनों में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 79.10 पर पहुंच सकता है। अगर निकट अवधि के हिसाब से रुपया मजबूत होता है तब भी यह प्रति डॉलर 78.38 से ज्यादा नहीं हो सकता।
बुधवार को तेल की कीमत में गिरावट आई। सबसे ज्यादा सक्रिय ब्रेंट क्रूड के सौदे पिछले 2 दिन में 2 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा है, क्योंकि यूएई ने अतिरिक्त आपूर्ति की संभावना से इनकार कर दिया। भारत अपनी कुल जरूरतों का 80 प्रतिशत से ज्यादा आयात करता है, ऐसे में रुपये में गिरावट से चालू खाते के घाटे पर बुरा असर पड़ सकता है।
उधर अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने 2022 में अब तक नीतिगत दरों में 150 आधार अंक की बढ़ोतरी की है और उम्मीद की जा रही है कि जून में नीतिगत दर में 50 से 75 अंक की बढ़ोतरी और होगी। अमेरिका के ब्याज बढ़ाने से उबरते बाजारों की संभावना धूमिल होगी।
एक सरकारी बैंक से जुड़े डीलर ने कहा, ‘रिजर्व बैंक ने आज 78.97 से 78.98 रुपये प्रति डॉलर पर हस्तक्षेप कियाष लेकिन हस्तक्षेप की मात्रा पिछले कुछ दिनों में कम हुई है।’ रिजर्व बैंक बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव और अटकलबाजी रोकना चाहता है, लेकिन वह उभरते बाजारों की तुलना में रुपये की बहुत मजबूती का जोखिम नहीं लेना चाहता, जब वैश्विक वजहों जैसे कच्चे तेल और अमेरिकी दरों का असर पड़ रहा है।