बाजार नियामक सेबी ने आरोप लगाया है कि एनएसई की पूर्व एमडी व सीईओ चित्रा रामकृष्णा और परिचालन अधिकारी (समूह) व उनके सलाहकार आनंद सुब्रमण्यन ने अपने कार्यकाल के दौरान नैशनल स्टॉक एक्सचेंज में मनी मेकिंग स्कीम चलाई।
11 फरवरी को सेबी की तरफ से पारित आदेश में उचित अप्रैजल, दस्तावेजीकरण या फाइल नोटिंग के बिना बार-बार वेतन बढ़ोतरी को रेखांकित किया गया है और इसमें कहा गया है कि इस कार्य में मानव संसाधन प्रमुख या नामांकन व मुआवजा समिति को भी शामिल नहीं किया गया। इसके अलावा आदेश में यह भी कहा गया है कि सुब्रमण्यन को हर महीने एक तय रकम किसी अनाम व्यक्ति को कृतज्ञता के तौर पर देने का निर्देश दिया गया था।
सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत बरूआ ने आदेश में कहा है, यह मनी मेकिंग स्कीम का ज्वलंत षडयंत्र नजर आ रहा है, जिसमें रामकृष्णा व सुब्रमण्यन किसी अनाम व्यक्ति के साथ शामिल थे। इसके तहत रामकृष्ण, सुब्रमण्यन के वेतन में बढ़ोतरी करेंगी और फिर अनाम व्यक्ति को बढ़े हुए वेतन का भुगतान किया जाएगा। इससे यह भी पता चलता है कि उनके वेतन में मनमाने तरीके से बढ़ोतरी की गई।
एनएसई से पहले सुब्रमण्यन बामर ऐंड लॉरी की इकाई के साथ उपाध्यक्ष के तौर पर काम कर रहे थे और वह भी 15 लाख रुपये सालाना से कम वेतन पर। उन्हें मार्च 2013 में एनएसई में शामिल किया गया और वेतन रहा 1.68 करोड़ रुपये सालाना, जिसमें 42 लाख रुपये वेरिएबल पे था। अप्रैल 2016 में सुब्रमण्यन का वेतन बढ़कर 4.21 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था, जो पूर्व नियोक्ता से मिलने वाले वेतन के मुकाबले 28 गुना ज्यादा है।
सुब्रमण्यन को वहां सिर्फ कंसल्टेंट के तौर पर नियुक्त किया गया था, बावजूद इसके उनका वेतन इतना ज्यादा था।
एनएसई को दी जानकारी में रामकृष्णा ने कहा है कि सुब्रमण्यन को दिए गए वेतन पर उनका कोई नियंत्रण नहीं था। इस दलील को सेबी ने खारिज कर दिया।