हाल ही में बाजार में आई गिरावट से बड़ौदा के छोटे निवेशक अमिताभ पांडे बुरी तरह प्रभावित हुए थे।
उनका 20 लाख रुपये के पोर्टफोलियो का वैल्युएशन 35 फीसदी कम हो गया था, लेकिन एक ओपन ऑफर उनके लिए मददगार साबित हुआ और उनके नुकसान की आधी भरपाई हो गई।
यह कैसे हुआ? पांडे ने छह साल पहले फ्लैट प्रॉडक्ट इक्विपमेंट के 14 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से 1,000 शेयर खरीदे थे। जनवरी में एक बहुराष्ट्रीय कॉकरील मैंटेनेंस व इंजेनियरी, एसए ने 517 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से 600 शेयर खरीदने का ऑफर दिया था। पांडे की तरह अब ओपन ऑफर से आस लगाए बैठे निवेशकों की संख्या बढ़ती जा रही है।
उनके लिए मंदी के जबड़े में फंसे बाजार में अपना पोर्टफोलियो बचाने का यह लुभावना विकल्प बन गया है। ज्ञातव्य है कि बंबई शेयर बाजार(बीएसई) का संवेदी सूचकांक-सेंसेक्स जनवरी के अपने सर्वोच्च स्तर से अब तक 33.18 फीसदी या 7006.55 अंक नीचे गिर चुका है। कुछ ही दिन पहले दाइची सांक्यो ने भारत की अग्रणी फार्मा कंपनी रैनबेक्सी लेबोरेटरी के लिए 737 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से ओपन ऑफर दिया।
यह ऑफर 10 जून को खत्म हुए बीते तीन माहों में रैनबेक्सी के शेयर की नेशनल शेयर बाजार (एनएसई) में औसतन क्लोजिंग प्राइस पर 53.5 फीसदी प्रीमियम हैं, जबकि 10 जून को कंपनी का शेयर जिस स्तर पर बंद हुआ उस पर 31.4 फीसदी प्रीमियम है। ओपन ऑफर की घोषणा होने के 12 दिन बाद पांडे ने रैनबेक्सी के 1,000 शेयर फिर खरीदे। उन्हें उम्मीद है कि नवंबर में जब यह ओपन ऑफर स्टार्ट होगा, तब वे कम से कम 10 फीसदी लाभ तो अर्जित कर ही लेंगे।
पांडे ने बताया कि अगर दाईची और अधिक शेयर की मांग करती है तो यह किसी बोनस से कम नहीं होगा। ओपन ऑफर से अपनी डगमगाती नैया के पार लगने की उम्मीद लगाने वाले रिटेल निवेशक अकेले नहीं है, संस्थागत निवेशक भी इसकी ओर बड़ी हसरतों से देख रहे हैं। उन्हें लगातार नीचे जा रहे बाजार में अपनी नेट असेट वेल्यू बढाने का यह कारगर माध्यम नजर आ रहा है।
इसके अतिरिक्त जून में डीएसपी मेरिल लिंच इक्विटी, कोटक अपार्च्युनिटीज फंड और यूटीआई डिविडेंड यील्ड फंड ने भी जून में रैनबेक्सी के शेयर खरीदे। इसी तरह गोकुलदास एक्सपोर्ट के मामले में भी निवेशकों को ओपन ऑफर से लाभ की उम्मीद है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल और डायचे एसेट मैनेजमेंट ने तो गोकुलदास के शेयर ओपन ऑफर से पहले जनवरी में ही खरीदे थे और घोषणा केबाद इन्हें रखने के बजाय बेच दिए। लेनेक्सेस एबीएस में भी यह ट्रेंड देखने को मिला।
प्रिंसिपल पीएनबी म्युचुअल फंड, जिसने ओपन ऑफर के ठीक पहले लेनेक्सेस के शेयर खरीदे थे, ने भी ओपन ऑफर घोषित होने वाले माह में ही यह शेयर बेच डाले। एक फंड मैनेजर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ओपन ऑफर मंदी में फंसे बाजार में थोड़ा आसरा देने वाले माने जा रहे हैं, लेकिन एक फंड या निवेशक एक ही कंपनी के आसपास अपना पोर्टफोलियो नहीं बना सकता।