कम लागत का फायदा उठाने और सिंगापुर तथा मॉरीशस जैसे लोकप्रिय क्षेत्रों में परिचालन संबंधित चुनौतियों से बचने के लिए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक(एफपीआई) गुजरात इंटरनैशनल फाइनैंस टेक-सिटी (गिफ्ट) में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहे हैं।
गिफ्ट-आईएफएससी पर पंजीकृत एफपीआई की संख्या पिछले चार महीने में दोगुनी हुई है। नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी (एनएसडीएल) के आंकड़ों से पता चलता है कि फरवरी 2024 तक गिफ्ट-आईएफएससी पर पंजीकृत एफपीआई की संख्या 41 हो गई थी जबकि अक्टूबर 2023 तक यह महज 21 थी।
कानूनी विश्लेषकों का कहना है कि कई फंड प्रबंधक भारत के इकलौते इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज सेंटर (आईएफएससी) में अपना आधार बढ़ाने की संभावना तलाश रहे हैं। इसकी वजह यह है कि भारतीय फंड प्रबंधक नियमन पर बेहतर स्पष्टता की वजह से टैक्स हैवेंस यानी कर के लिहाज से अनुकूल क्षेत्रों की तुलना में गिफ्ट सिटी को अपना रहे हैं।
आईसी यूनिवर्सल लीगल में पार्टनर ट्विंकल धमेचा ने कहा, ‘कई फंड प्रबंधकों ने दीर्घावधि नजरिये से गिफ्ट आईएफएससी व्यवस्था बनाने में दिलचस्पी लेनी शुरू की है, क्योंकि इनमें स्थापित उनके कारोबार उन सभी संभावित रणनीतियों के अनुकूल हो सकते हैं, जो फंड प्रबंधक अपनाना चाहते हैं।
कर लचीलापन और अनुकूलता ने भी इन्हें मॉरिशस और सिंगापुर जैसे पारंपरिक स्थानों के मुकाबले ज्यादा आकर्षक बना दिया है।’ विश्लेषकों का मानना है कि गिफ्ट सिटी में शर्तें और अनुपालन अन्य के मुकाबले कम हैं। उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा, गिफ्ट सिटी फंड निवेशकों को बगैर पैन के भारत में निवेश करने की भी सुविधा देते हैं। भारत और मॉरिशस के बीच डीटीएए में ताजा संशोधनों से भी गिफ्ट सिटी के जरिये आवेदनों की संख्या बढ़ सकती है।’
फरवरी में मॉरिशस सरकार ने बेस इरोजन ऐंड प्रॉफिट शिफ्टिंग पर ओईसीडी के प्रस्ताव पर अमल करने के प्रयास में भारत के साथ दोहरे कराधान परिहार समझौते (डीटीएए) में संशोधन का निर्णय लिया। कानूनी विश्लेषकों का कहना है कि
इससे एफपीआई की जांच का दायरा बढ़ सकता है।
भारत-केंद्रिंत फंडों के लिए गिफ्ट सिटी दूर होते हुए भी क्षेत्राधिकार के नजदीक होने का विकल्प मुहैया करा रही है। उदाहरण के लिए, गिफ्ट सिटी में टीम स्थापित करना कम जटिल काम है। यदि हेज फंड या एफपीआई पूरी तरह से डेरिवेटिव ट्रेडिंग का परिचालन करते हैं तो डेरिवेटिव आय को गिफ्ट सिटी में कर छूट मिल सकती है।
खेतान ऐंड कंपनी में पार्टनर साहिल शाह ने कहा, ‘विदेश में समस्याएं महसूस करने वाले भारतीय फंड प्रबंधकों के लिए गिफ्ट सिटी में इन्फ्रास्ट्रक्चर और कर्मियों को बनाए रखना ज्यादा आसान होगा। विदेशी निवेश पर नई व्यवस्था के साथ भारतीय फंड प्रबंधक वैश्विक विविधता की क्षमता की मदद से गिफ्ट सिटी में फंड स्थापित करने के लिए भारतीय और अन्य वैश्विक निवेशकों से रकम आकर्षित करने में सक्षम हैं।’
हालांकि गिफ्ट सिटी के जरिये वैश्विक निवेश पर आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया गया है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के आउटबाउंड लेनदेन शुरू हो गए हैं।