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Services Sector Funds: रिस्क लेने का है दम? तो सैटेलाइट पोर्टफोलियो में करें शामिल, 5-10 साल में मिल सकता है दमदार रिटर्न

सर्विसेस-थीम पर आधारित फंड्स को अपने कुल कॉर्पस का कम से कम 80% हिस्सा इस सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में निवेश करना अनिवार्य होता है।

Last Updated- May 29, 2025 | 4:32 PM IST
Mutual Fund

Services sector funds: थीमैटिक और सेक्टोरल फंड्स (Thematic and sectoral funds) उन निवेशकों के बीच लोकप्रिय हैं जो ज्यादा जोखिम उठाकर बाजार से बेहतर रिटर्न कमाना चाहते हैं। सरकार के प्रोत्साहन के चलते जहां मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर (manufacturing sector) ने खासा ध्यान खींचा है। वहीं, सर्विस सेक्टर (services sector) भी तेजी से उभर रहा है और निवेशकों के लिए लाभदायक साबित हो सकता है। इसी संभावित मौके को भुनाने के लिए मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी (MOAMC) ने हाल ही में मोतीलाल ओसवाल सर्विसेज फंड (Motilal Oswal Services Fund) लॉन्च किया है।

मोतीलाल ओसवाल एएमसी के एसोसिएट फंड मैनेजर भालचंद्र शिंदे ने कहा, “सर्विस सेक्टर में ऐसे कई उद्योग शामिल हैं जो बढ़ती आय, शहरीकरण और डिजिटलकरण अपनाने के चलते लाभान्वित हो रहे हैं। संरचनात्मक मजबूती (structural tailwinds) और निर्यात प्रतिस्पर्धा में सुधार के साथ इस सेक्टर में लंबी अवधि की जबरदस्त संभावनाएं हैं।”

जहां फार्मा, आईटी और बीएफएसआई जैसे सेक्टोरल फंड्स पहले से ही काफी लोकप्रिय हैं। वहीं व्यापक थीम (broader-theme) वाले फंड्स निवेशकों को ज्यादा डायवर्सिफाइड एक्सपोजर दे सकते हैं। निफ्टी सर्विसेज सेक्टर टोटल रिटर्न इंडेक्स (Nifty Services Sector Total Return Index) ने पिछले पांच वर्षों में 22.5% का रिटर्न दिया है।

सर्विसेस-थीम पर आधारित फंड्स को अपने कुल कॉर्पस का कम से कम 80% हिस्सा इस सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में निवेश करना अनिवार्य होता है।

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सर्विस सेक्टर में दिख रही तेज ग्रोथ की संभावना

सर्विस सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा हिस्सा है। इकोनॉमिक सर्वे 2025 के अनुसार, सकल मूल्य वर्धन (GVA) में इसकी हिस्सेदारी FY14 में 50.6% थी, जो FY25 में बढ़कर 55.3% हो गई है। प्रति व्यक्ति आय (per capita income) में बढ़ोतरी से सर्विस सेक्टर की मांग और बढ़ने की उम्मीद है, जिससे लिस्टेड कंपनियों में निवेश के नए अवसर बन सकते हैं।

इस मौके को भुनाने के लिए म्युचुअल फंड एक प्रभावी माध्यम हो सकते हैं। स्क्रिपबॉक्स के फाउंडर और सीईओ अतुल सिंघल कहते हैं, “ये फंड प्राइवेट बैंक, आईटी सर्विसेज, टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म्स, फार्मास्युटिकल्स, अस्पतालों, डायग्नोस्टिक्स और कंज्यूमर-फेसिंग कंपनियों जैसे कई हाई-ग्रोथ सेक्टर्स में निवेश का अवसर देते हैं। इंटरनेट की बढ़ती पहुंच, फाइनेंशियल प्रोडक्टल अपनाने का रुझान और महत्वाकांक्षी खपत (aspirational consumption) करने वाली युवा आबादी मिलकर सर्विस सेक्टर को आगे भी गति देती रहेगी।”

जोखिम का रखें ध्यान

डायवर्सिफाइड फ्लेक्सी-कैप फंड्स के मुकाबले सर्विस फंड्स का निवेश कुछ चुनिंदा कंपनियों तक सीमत होता है। साथ ही ये फंड्स सर्विस सेक्टर के बाहर तेजी से बढ़ने वाले दूसरे सेक्टर्स में पैसा नहीं लगा सकते।

कुछ सेक्टर्स में वैल्यूएशन ज्यादा दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में निवेशकों को मुनाफा कमाने के लिए लंबे समय तक निवेशित रहना पड़ सकता है। वॉलेट वेल्थ के फाउंडर और सीईओ एस. श्रीधरन कहते हैं, “सेक्टर/थीमैटिक फंड्स में कॉन्संट्रेशन रिस्क होता है। साथ ही, किसी थीम के हालिया प्रदर्शन के आधार पर निवेश करना अक्सर बेहतर नतीजे नहीं देता।”

शिंदे कहते हैं, “सर्विस फंड्स साइक्लिकल उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं। इनमें निवेश के लिए मार्केट टाइमिंग और सेक्टर की समझ जरूरी होती है।”

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सर्विस फंड्स में सावधानी से करें निवेश

ऐसे फंड्स उन निवेशकों के लिए बेहतर हो सकते हैं जो अनुभवी हों और ज्यादा जोखिम उठाने को तैयार हों। शिंदे कहते हैं, “इन फंड्स में जोखिम और उतार-चढ़ाव ज्यादा होता है, इसलिए इनमें सावधानी से निवेश करना चाहिए। सर्विस फंड्स उन निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प हैं जिनकी रिस्क लेने की क्षमता ज्यादा है। साथ ही उनका निवेश दृष्टिकोण लंबी अवधि यानी करीब 5–10 साल का होना चाहिए।”

डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स में पहले से ही सर्विस सेक्टर का अच्छा-खासा एक्सपोजर होता है। इसलिए अगर निवेशक इस थीमैटिक फंड को न भी चुनें तो ज्यादा नुकसान नहीं होगा। सिंघल कहते हैं, “यह फंड स्थिरता या नियमित आय चाहने वाले कंजर्वेटिव निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। जिन निवेशकों के कोर इक्विटी फंड्स में पहले से ही फाइनेंशियल्स और आईटी सेक्टर का ज्यादा एक्सपोजर है, उन्हें भी इन फंड्स से बचना चाहिए।”

सर्विस फंड्स को न बनाए पोर्टफोलियो का मुख्य हिस्सा

सर्विस फंड को न तो पोर्टफोलियो का मुख्य हिस्सा बनाना चाहिए और न ही इसे पोर्टफोलियो की पहली होल्डिंग होना चाहिए। श्रीधरन कहते हैं, “सर्विस फंड्स को सैटेलाइट पोर्टफोलियो का हिस्सा बनाया जा सकता है। निवेशक अपने कुल पोर्टफोलियो का करीब 5–10% हिस्सा इन फंड्स में लगा सकते हैं।”

निवेशकों को इन फंड्स में सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए निवेश करना चाहिए। सिंघल कहते हैं, “आपको इनमें कम से कम 5–7 साल तक निवेशित रहने की मानसिकता रखनी चाहिए ताकि यह थीम आर्थिक और नीतिगत चक्रों (economic and policy cycles) में पूरी तरह से असर दिखा सके।”

First Published - May 29, 2025 | 4:16 PM IST

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