शेयर बाजार में हालिया उतार-चढ़ाव के बावजूद म्यूचुअल फंड कंपनियों द्वारा नए फंड लॉन्च करने की रफ्तार पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। हालांकि, अब कंपनियों की रणनीति में बदलाव देखा जा रहा है और वे ऐसे फंड लॉन्च करने पर जोर दे रही हैं जो स्थिरता और गुणवत्ता वाले शेयरों में निवेश करते हैं।
फरवरी की शुरुआत से अब तक म्युचुअल फंड कंपनियों ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से 44 नई स्कीम्स शुरू करने की मंजूरी मांगी है। इनमें 13 डेट फंड और 27 इक्विटी फंड शामिल हैं।
इनमें से ज्यादातर इक्विटी फंड ऐसे निवेश मॉडलों पर आधारित हैं, जो बड़े शेयरों (Large-cap), गुणवत्ता वाले शेयरों (Quality) और कम उतार-चढ़ाव वाले शेयरों (Low Volatility) पर फोकस करते हैं। ये वही रणनीतियां हैं जो हाल के कुछ वर्षों में निवेशकों के बीच कम लोकप्रिय थीं।
यह रुझान पिछले कुछ महीनों से बिल्कुल अलग है, जब सेक्टोरल, थीम आधारित और मोमेंटम फंड्स को तरजीह दी जा रही थी।
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नए लॉन्च होने वाले फंड्स में कई पैसिव फंड्स शामिल हैं, जो विभिन्न इंडेक्स को ट्रैक करेंगे। इनमें Nifty 200 Quality 30, Nifty Top 10/15/20 Equal Weight, Nifty 500 Low Volatility 50, Nifty 100 Low Volatility 30 और BSE Low Volatility जैसे इंडेक्स शामिल हैं। कुछ स्कीमें पहले ही लॉन्च हो चुकी हैं, जबकि कुछ आने वाले हफ्तों में शुरू होने की उम्मीद है।
यह बदलाव फंड मैनेजरों के सतर्क नजरिए को दर्शाता है। बड़े शेयरों (large-cap), खासकर बहुत बड़े शेयरों (mega-cap), को अब मिड और स्मॉलकैप शेयरों के मुकाबले ज्यादा उचित कीमत पर माना जा रहा है। साथ ही, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की वापसी की उम्मीद ने भी बड़े शेयरों को लेकर भरोसा बढ़ाया है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने इस महीने की शुरुआत में अपनी रिपोर्ट में कहा, “पिछले कुछ महीनों में वैल्यूएशन थोड़े नरम हुए हैं, हालांकि अभी भी ऊंचे हैं। हम मिड और स्मॉलकैप की तुलना में बड़े शेयरों को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि इनके वैल्यूएशन बेहतर हैं और एफपीआई की वापसी की संभावना है, जिससे इनका प्रदर्शन बेहतर रह सकता है।”
बाजार में जो नए फंड ऑफर (NFO) लॉन्च हो रहे हैं या प्लान किए जा रहे हैं, वे बड़ी कंपनियों (largecap space) के टॉप 10 से टॉप 20 स्टॉक्स पर केंद्रित हैं। इनमें इक्वल-वेट स्ट्रैटेजी अपनाई जा रही है, यानी फंड का पैसा सभी चुने गए शेयरों में बराबर बांटा जा रहा है।
इस समय एक और लोकप्रिय स्ट्रैटेजी लो वोलैटिलिटी है। इसका मकसद बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव के असर को कम करना होता है। इसमें ऐसे शेयर चुने जाते हैं जिनकी कीमतों में कम बदलाव होता है। इन स्टॉक्स का चयन अक्सर उनके डेली रिटर्न के स्टैंडर्ड डिविएशन के आधार पर किया जाता है।
पिछले तीन महीनों में लो वोलैटिलिटी इंडेक्स लगभग स्थिर रहा है, जबकि मोमेंटम इंडेक्स में करीब 15% की गिरावट आई है। क्वालिटी फैक्टर की भी वापसी की उम्मीद की जा रही है, जो पिछले कुछ सालों से वैल्यू स्ट्रैटेजी के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन कर रहा था।
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कुल मिलाकर, NFO सेगमेंट में जो तेजी 2024 में देखने को मिली थी, वह अब भी बनी हुई है। बीता साल NFO के लिहाज से रिकॉर्ड रहा, जहां पहली बार 200 से ज्यादा फंड लॉन्च हुए। हालांकि डेट फंड की लॉन्चिंग में गिरावट रही, लेकिन इक्विटी फंड (एक्टिव और इंडेक्स दोनों) के 150 से ज्यादा फंड लॉन्च हुए। यह आंकड़ा Morningstar India के डेटा पर आधारित है।
2024 में एक्विटी फंड्स में जोरदार इनफ्लो और रिकॉर्ड संख्या में निवेश खातों के जुड़ने की बड़ी वजह नए फंड लॉन्च रहे। इन फंड्स की शुरुआत खासतौर पर पॉपुलर सेक्टर्स और थीम्स पर केंद्रित रही। इनमें कई ऐसे फंड्स थे जो अपने-अपने इंडस्ट्री में पहली बार लॉन्च हुए थे, जैसे कि कैपिटल मार्केट, टूरिज्म, रियल एस्टेट, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, न्यू-एज ऑटोमोटिव और अन्य सेक्टोरल इंडेक्स को ट्रैक करने वाले फंड।
2024 में सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स की खूब मांग रही। इस कैटेगरी में एक्टिव फंड्स को सबसे ज्यादा इनफ्लो मिला और सबसे ज्यादा नए फोलियो जुड़े। सिर्फ एक्टिव थीमैटिक स्पेस में ही 40 नए फंड्स लॉन्च हुए।