Mutual Fund February 2025 Data: शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव का असर म्युचुअल फंड निवेश पर भी दिखा है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) द्वारा बुधवार 12 मार्च को जारी आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2025 में इक्विटी म्युचुअल फंड में इनफ्लो 26% घटकर ₹29,303.34 करोड़ रह गया। फरवरी के आंकड़े यह भी दिखाते हैं कि ओपन-एंडेड इक्विटी फंड्स में लगातार 48वें महीने भी नेट इनफ्लो पॉजिटिव बना रहा। हालांकि, यह गिरावट ऐसे समय में आई है जब बाजार में तेज करेक्शन (गिरावट) देखने को मिला। SIP इनफ्लो में भी हल्की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान में इनफ्लो का स्तर मजबूत बना हुआ है।
फरवरी 2025 में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए म्युचुअल फंड में कुल ₹25,999 करोड़ का इनफ्लो आया जो जनवरी 2025 के ₹26,400 करोड़ के मुकाबले थोड़ा कम है। हालांकि, बाजार में उतार-चढ़ाव और करेक्शन के बावजूद, SIP इनफ्लो का स्तर मजबूत बना हुआ है जो खुदरा निवेशकों के निवेश अनुशासन और लॉन्ग टर्म आउटलुक को दर्शाता है।
जनवरी में SIP के जरिए 26,400 करोड़ रुपये बाजार में आए। दिसंबर में यह आंकड़ा 26,459 करोड़ रुपये था, जबकि नवंबर में 25,320 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था।
मिराए एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) की हेड ऑफ डिस्ट्रीब्यूशन एंड स्ट्रैटेजिक अलायंसेस, सुरंजना बोर्थाकुर ने कहा कि फरवरी महीने के छोटा होने के कारण आंशिक रूप से SIP इनफ्लो में कमी आई है, लेकिन यह गिरावट बहुत ज्यादा नहीं है। उनका कहना है कि निवेशकों को अपने SIP निवेश जारी रखने चाहिए, क्योंकि यह यूनिट्स जमा करने का सही समय हो सकता है।
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फरवरी 2025 में इक्विटी म्युचुअल फंड में इनफ्लो 26% घटकर ₹29,303.34 करोड़ रह गया। जनवरी में यह 39,687.78 करोड़ रुपये था।फरवरी 2025 में लार्ज-कैप फंड्स में ₹2,866 करोड़ का इनफ्लो दर्ज किया गया, जो पिछले महीने के ₹3,063.3 करोड़ से कम रहा। स्मॉलकैप फंड्स में ₹3,722.5 करोड़ का इनफ्लो आया, जो जनवरी में दर्ज ₹5,721 करोड़ के मुकाबले काफी कम रहा। मिडकैप फंड्स में भी गिरावट देखी गई, जहां इनफ्लो ₹3,407 करोड़ रहा, जो पिछले महीने के ₹5,148 करोड़ के मुकाबले कम है।
निवेशकों ने सेक्टोरल/थीमैटिक म्युचुअल फंड में सबसे ज्यादा 5,711.58 करोड़ रुपये का निवेश किया। हालांकि पिछले महीने में दर्ज 9,016.60 करोड़ के मुकाबले यह काफी कम रहा। दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा निवेश फ्लैक्सी कैप म्युचुअल फंड में आया। निवेशकों में इसमें 5,104.22 करोड़ रुपये का निवेश किया। हालांकि इस कैटिगरी में भी पिछले महीने के 5,697.58 करोड़ रुपये के मुकाबले इनफ्लो में हल्की गिरावट देखी गई।
हाइब्रिड फंड्स में ₹6,804 करोड़ का इनफ्लो दर्ज किया गया, जो जनवरी में आए ₹8,767.5 करोड़ के मुकाबले कम रहा। लिक्विड फंड्स में गिरावट और भी अधिक रही, जहां इनफ्लो ₹4,977 करोड़ तक सिमट गया, जबकि जनवरी में ₹91,593 करोड़ का इनफ्लो दर्ज किया गया था।
बोर्थाकुर ने कहा, “अधिकांश इक्विटी फंड्स में इनफ्लो घटा है, हालांकि फोकस्ड फंड कैटेगरी में यह मजबूत बना रहा। सेक्टोरल फंड्स, जिनमें पिछले महीनों में असामान्य रूप से अधिक इनफ्लो आया था, वहां गिरावट देखी गई और इनफ्लो ₹5,700 करोड़ तक सीमित रहा। यह गिरावट तब भी हुई जब इस कैटेगरी में सात नए फंड ऑफर्स (NFOs) लॉन्च हुए, जिन्होंने करीब ₹2,000 करोड़ जुटाए। हालांकि, कुल मिलाकर NFO लॉन्च की गति बरकरार रही। फरवरी में 29 नए फंड लॉन्च हुए, जिनमें लगभग ₹4,000 करोड़ का इनफ्लो आया।”
चॉइस वेल्थ के AVP अक्षत गर्ग ने कहा, “फरवरी के म्युचुअल फंड फ्लो से निवेशकों की रणनीति में बदलाव नजर आया है। निवेशक वैश्विक अनिश्चितता के बीच ग्रोथ के मौके और जोखिम को संतुलित करने की कोशिश कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि इक्विटी म्युचुअल फंड्स में ₹29,303.34 करोड़ का इनफ्लो दर्ज किया गया, जो जनवरी के ₹39,000 करोड़ से कम रहा। यह गिरावट तेजी से बढ़े बाजार में मुनाफावसूली (profit booking) और बजट के बाद सतर्क निवेश के कारण आई।
फरवरी 2025 में इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) फंड्स में ₹615 करोड़ का इनफ्लो दर्ज किया गया, जो जनवरी में आए ₹797 करोड़ की तुलना में कम रहा। बोर्थाकुर ने कहा कि जनवरी से मार्च के बीच आमतौर पर ELSS फंड्स में निवेश बढ़ता है, लेकिन इस बार इनफ्लो सुस्त रहा। केंद्रीय बजट में नए टैक्स रिजीम को आकर्षक बनाए जाने के कारण ELSS में निवेश प्रभावित हुआ है। हालांकि, अब भी ELSS लॉन्ग टर्म निवेश के लिए एक बेहतर विकल्प हैं।
फरवरी 2025 में डेट म्युचुअल फंड्स से ₹6,525.56 करोड़ का नेट आउटफ्लो दर्ज किया गया, जबकि जनवरी में इस श्रेणी में ₹1.28 लाख करोड़ का नेट इनफ्लो देखने को मिला था। डेट फंड्स में सबसे अधिक निकासी अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स से हुई, जहां से ₹4,281.02 करोड़ की निकासी दर्ज की गई, जबकि मनी मार्केट फंड्स में ₹3,275.97 करोड़ की बिकवाली देखी गई। हालांकि, लिक्विड फंड्स में ₹4,976.97 करोड़ का नेट इनफ्लो आया, जिससे कुछ हद तक नुकसान की भरपाई हुई। वहीं, कॉरपोरेट बॉन्ड फंड्स में ₹1,064.84 करोड़ की नेट खरीदारी दर्ज की गई, जिससे यह सेगमेंट पॉजिटव बना रहा।
क्लाइंट एसोसिएट्स के सीनियर एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (वेल्थ) अभिषेक खुडानिया ने कहा, “फरवरी 2025 के म्युचुअल फंड फ्लो में निवेशकों की भावनाओं में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है। खासकर इक्विटी और हाइब्रिड फंड्स की ओर, जो हालिया बाजार सुधारों से प्रेरित है। जहां डेट फंड्स में ₹6,500 करोड़ का नेट आउटफ्लो दर्ज किया गया, वहीं इक्विटी फंड्स ने मजबूत ₹29,000 करोड़ का निवेश आकर्षित किया, जो ओपन-एंडेड स्कीम्स में कुल नेट इनफ्लो का 73% रहा। यह इस वित्तीय वर्ष के पहले 10 महीनों में 38% की तुलना में बड़ा उछाल है।”
उन्होंने आगे कहा, “थीमैटिक और सेक्टोरल फंड्स निवेशकों की प्राथमिकता में बने हुए हैं, जो इस वित्तीय वर्ष में कुल इक्विटी इनफ्लो का 37% हिस्सा रखते हैं। इसके अलावा, फ्लेक्सी-कैप और मल्टी-कैप स्कीम्स की बढ़ती लोकप्रियता, जो कुल इक्विटी इनफ्लो में 21% का योगदान करती है, यह दर्शाती है कि निवेशक डायवर्स और फ्लैक्सिबल इक्विटी एक्सपोजर की ओर बढ़ रहे हैं।”
फरवरी 2025 में म्युचुअल फंड इंडस्ट्री का कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 4.04% घटकर ₹64.53 लाख करोड़ पर आ गया, जो जनवरी में ₹67.25 लाख करोड़ था। इस गिरावट की मुख्य वजह इक्विटी सेगमेंट में मार्क-टू-मार्केट (MTM) नुकसान रही, जिससे म्यूचुअल फंड उद्योग पर दबाव बना।