भले ही बाजारों को वैश्विक वृद्धि से जुड़ी अनिश्चितता से जूझना पड़ रहा है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले महीनों में इंडेक्स और लार्ज-कैप म्युचुअल फंडों (MF) में अन्य योजनाओं के मुकाबले निवेश प्रवाह बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि ऐसी कंपनियों की आधारभूत शक्ति और इंडेक्स फंडों की लागत प्रभावशीलता की वजह से ऐसा हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि MF में कुल प्रवाह मिश्रित रह सकता है।
360 वन वेल्थ (360 ONE Wealth)के वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष साहिल कपूर ने कहा कि एक वर्ष से कम अवधि की परिपक्वता वाले डेट म्युचुअल फंड, आर्बिट्रेज और हाइब्रिड फंडों की तरह निवेश आकर्षित करते रहेंगे।
इक्विटी म्युचुअल फंड क्षेत्र में इंडेक्स फंड आकर्षक बने रहने की संभावना है। पैसिव निवेश रणनीतियों के लिए निवेशकों की वरीयता और इन फंडों की लागत प्रभावशीलता की वजह से ऐसा होने के आसार हैं।
एक्टिव इक्विटी MF योजनाओं में सकल निवेश प्रवाह अप्रैल में सालाना आधार पर 34 प्रतिशत गिरकर 25,400 करोड़ रह गया, जिससे शुद्ध निवेश प्रवाह घटकर 6,480 करोड़ रुपये रह गया, जो नवंबर 2022 के बाद का सबसे निचला स्तर है।
मार्च में शुद्ध निवेश प्रवाह 12 महीने के शीर्ष स्तर 20,500 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था, जबकि सकल प्रवाह 38,641 करोड़ रुपये रहा।
सेगमेंट के लिहाज से लार्ज कैप म्युचुअल फंडों में अप्रैल के दौरान 52.63 करोड़ रुपये का निवेश प्रवाह हुआ, जो मार्च के 911 करोड़ रुपये के प्रवाह से काफी कम है।
इसके विपरीत स्मॉल-कैप एमएफ ने 2,182.44 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश प्रवाह आकर्षित किया और मिड-कैप MF में 1,791 करोड़ रुपये का निवेश देखा गया।
क्वांटम म्युचुअल फंड के फंड मैनेजर (इक्विटी) जॉर्ज थॉमस ने कहा मार्च के महीने में आम तौर पर भारी निवेश प्रवाह रहता है क्योंकि यह वित्त वर्ष का आखिरी समय होता है। अलबत्ता वैश्विक अनिश्चितता और डेट परिसंपत्तियों को प्रभावित करने वाली अधिक ब्याज दरों के कारण MF प्रवाह में दबाव बना हुआ है।
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इसके अलावा विश्लेषकों ने इस गिरावट के लिए अप्रैल में कोई नई फंड पेशकश (NFO) नहीं होने, ELSS श्रेणी में कम प्रवाह का अनुभव, अप्रैल में परिपक्व होने वाली कुछ क्लोज-एंडेड योजनाओं और सीजनल कमजोर महीने वाली अवधि को जिम्मेदार ठहराया है।
उन्होंने कहा कि अप्रैल में एमएफ उद्योग के मामले में प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति (AUM) मासिक आधार पर 5.6 प्रतिशत बढ़कर 41.6 लाख करोड़ रुपये हो गई। विश्लेषकों का मानना है कि आगे चलकर एमएफ प्रवाह के भविष्य की राह मुख्य रूप से बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करेगी।
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कपूर ने कहा कि अगर बाजार स्थिर रहता है, तो निवेशक विश्वास हासिल कर सकते हैं और मुनाफा वसूली में जुटने के बजाय अपने निवेश को बनाए रखने का विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि काफी कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि आर्थिक संकेतक और वैश्विक घटनाएं क्या रुख लेती हैं।