भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) म्युचुअल फंड (MF) योजनओं में निवेश पर आने वाला खर्च और कम करना चाहता है। सूत्रों ने कहा कि बाजार नियामक MF योजनाओं में आने वाले खर्च एवं शुल्कों की समीक्षा कर रहा है। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि SEBI एमएफ कंपनियों को निवेशकों द्वारा भुगतान किए जाने वाले सभी शुल्कों को टोटल एक्सपेंस रेश्यो (TER) के तहत रखने का निर्देश दे सकता है।
इस समय फंड प्रबंधन पर 18 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगता है जो TER के दायरे में नहीं आता है। इसके अलावा प्रतिभूति या शेयर खरीदने या बेचने पर आने वाला खर्च भी TER में शामिल नहीं है। निवेशकों को जितनी रकम खर्च करनी पड़ती है वे सभी निवेश पर आए खर्च में शामिल होती हैं। उदाहरण के लिए अगर किसी MF योजना के तहत 100 रुपये के शेयर खरीदते जाते हैं और ब्रोकरेज को 2 रुपये दिए जाते हैं तो निवेश पर आया खर्च 102 रुपये माना जाता है।
सूत्रों के अनुसार SEBI इन खर्चों को TER के दायरे में लाना चाहता है। इस संबंध में सेबी को भेजे गए सवाल का कोई जवाब नहीं आया। MF कंपनियों को एक योजना का प्रबंधन करने पर जितना खर्च आता है उसे TER कहा जाता है। TER में बिक्री एवं मार्केटिंग खर्च, विज्ञापन खर्च, प्रशासनिक खर्च, निवेश प्रबंधन शुल्क सहित अन्य खर्च आते हैं।
सेबी ने तय कर रखा है कि कोई MF योजना कितना TER ले सकती है। कोई इक्विटी योजना प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियों (assets under management) का अधिकतम 2.25 प्रतिशत रकम TER के रूप में ले सकती है। डेट योजनाओं के मामले में यह शुल्क 2 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।
GST और लेनदेन शुल्क को TER में शामिल करने से निवेश पर आने वाला खर्च कम हो जाएगा मगर इससे MF इंडस्ट्री का मुनाफा अर्जित करने की क्षमता कमजोर हो जाएगी क्योंकि बाजार नियामक कुल सीमा में बदलाव करने से इनकार कर सकता है।
सूत्रों ने कहा कि सेबी अतिरिक्त TER समाप्त करने से संबंधित एक प्रस्ताव पर भी विचार कर रहा है। सेबी MF कंपनियों को तथाकथित 30 बड़े शहरों से बाहर छोटी जगहों से निवेश लाने के बदले अतिरिक्त TER लेने की इजाजत देता है। बाजार से जुड़े लोगों का कहना है कि कई योजनाएं इस समय सेबी द्वारा स्वीकृत अधिकतम सीमा से कम ही टीईआर लेती है।
MF इंडस्ट्री के एक प्रतिनिधि ने कहा कि TER के तहत GST जैसे खर्च लाने से फंड कंपनियां जहां भी संभव दिखेगा वहां TER बढ़ाने पर विवश हो सकती हैं। पिछले कई वर्षों से सेबी निवेशकों के लिए एमएफ योजनाओं में निवेश पर खर्च कम करने के लिए कदम उठाता रहा है।
पिछली बार जब सेबी ने TER में कटौती की घोषणा की थी तो ज्यादातर फंड कंपनियों ने इसकी भरपाई के लिए कटौती का बोझ वितरकों पर डाल दिया था। अक्टूबर 2018 में सेबी ने दो बदलाव किए थे। पहले बदलाव के तहत नियामक ने टीईआर कम कर दिया था और दूसरे बदलाव के तहत वितरकों के अग्रिम कमीशन पर प्रतिबंध लगा दिया था।