भारत में एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs) ने पिछले पांच वर्षों में जबरदस्त ग्रोथ हासिल की है। मार्च 2025 तक, ETFs का कुल एसेट अंडर मैनजमेंट (AUM) पांच गुना से ज्यादा बढ़कर ₹8.38 लाख करोड़ तक पहुंच गया। मार्च 2020 में यह ₹1.52 लाख करोड़ था। फंड हाउस ज़ेरोधा ने यह जानकारी दी। ETFs का बढ़ता आधार निवेशकों की बदलती प्राथमिकताओं की ओर स्पष्ट संकेत करता है। अब ETFs भारतीय म्युचुअल फंड उद्योग की कुल ₹65.74 लाख करोड़ की AUM में 13% का योगदान कर रहे हैं, जबकि मार्च 2020 में यह हिस्सा लगभग 7% था।
ज़ेरोधा की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों में भारत में ETFs का दायरा काफी तेजी से बढ़ा है। देश में उपलब्ध ETFs की कुल संख्या का लगभग तीन गुना हो जाना इस बात का संकेत है कि निवेश के विकल्पों की विविधता में जबरदस्त इजाफा हुआ है। इस विस्तार में 2022 में सिल्वर-समर्थित नए कमोडिटी ETFs की शुरुआत भी शामिल है, जिससे निवेशकों के पास अब अधिक विकल्प उपलब्ध हो गए हैं।
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मार्च 2020 तक रिटेल निवेशकों का ETFs में एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) लगभग ₹5,335 करोड़ था। अगले पांच वर्षों में, यानी मार्च 2025 तक यह बढ़कर ₹17,800 करोड़ से ज्यादा हो गया। ETFs स्कीम्स में रिटेल निवेशक फोलियो की संख्या में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। मार्च 2020 में यह आंकड़ा 23.22 लाख था, जो मार्च 2025 तक बढ़कर लगभग 2.63 करोड़ हो गया—यानी रिटेल भागीदारी में दस गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।
ज़ेरोधा फंड हाउस के सीईओ विशाल जैन ने कहा, “यह विश्लेषण भारतीय ईटीएफ के एक नए दौर की ओर इशारा करता है, जहां रिटेल निवेशकों की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है और उत्पादों की विविधता भी बढ़ी है, जिसका असर ट्रेडिंग वॉल्यूम में साफ दिख रहा है।”
भारत में ETFs का ट्रेडिंग वॉल्यूम तेजी से बढ़ा है। वित्त वर्ष 2019-20 में यह ₹51,101 करोड़ था, जो बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में ₹3.83 लाख करोड़ हो गया—यह सात गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी है। खास बात यह है कि पिछले एक साल में ही ट्रेडिंग वॉल्यूम दोगुने से ज्यादा हो गया है।
फंड हाउस ने कहा कि हाई लिक्विडिटी निवेशकों के लिए एक बड़ा फायदा है, क्योंकि इससे ट्रेडिंग आम तौर पर ज्यादा आसान और प्रभावी हो जाती है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि ईटीएफ के अलग-अलग एसेट क्लास में ट्रेडिंग वॉल्यूम में फर्क हो सकता है।
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ETFs में कुल निवेश का लगभग 80% हिस्सा इक्विटी ईटीएफ से आता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले पांच वर्षों (मार्च 2020 से मार्च 2025) के दौरान यह औसत लगभग 80% के आसपास ही रहा है। इसका मतलब है कि ज्यादातर निवेशकों को इक्विटी में निवेश करने के लिए ETFs का तरीका पसंद है। यह दिखाता है कि शेयर बाजार में निवेश के लिए ETFs एक आसान और असरदार विकल्प बन गया है।