भू-राजनीतिक और व्यापार टकराव में कमी के संकेत मिलने के बाद इक्विटी म्युचुअल फंड (एमएफ) योजनाओं ने छह महीने में पहली बार मई में अपनी नकद होल्डिंग कम कर दी।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार अग्रणी 20 फंड हाउसों के पास 31 मई तक अपने पोर्टफोलियो का 6.8 फीसदी नकद था जो अप्रैल 2025 के 7.2 फीसदी के रिकॉर्ड उच्च स्तर से कम है। फंड मैनेजर बाजार में गिरावट और बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच दिसंबर 2024 से नकदी का स्तर बढ़ा रहे थे।
मई के महीने में कई मोर्चों पर राहत मिली। संघर्ष विराम के बाद भारत-पाकिस्तान जंग की आशंका कम हुई जबकि भारत-ब्रिटेन व्यापार समझौते पर प्रगति और अमेरिका-चीन टकराव कम होने से कारोबारी परिदृश्य में सुधार हुआ। इसके अलावा, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के निरंतर निवेश ने घरेलू बाजार का मनोबल बढ़ाया।
बेंचमार्क सूचकांकों ने लगातार तीसरे महीने बढ़त बनाए रखी। निफ्टी और सेंसेक्स में क्रमशः 1.9 फीसदी और 1.8 फीसदी का इजाफा हुआ। व्यापक बाजारों ने बेहतर प्रदर्शन किया। बीएसई 500 में 3.5 फीसदी की वृद्धि हुई, जो महीनों की कमजोरी के बाद बाजार की धारणा में सुधार को दर्शाता है।
हालांकि, घरेलू निवेशकों की भागीदारी सुस्त रही। इक्विटी म्युचुअल फंडों में निवेश लगातार पांचवें महीने गिरकर 19,013 करोड़ रुपये रह गया जो 13 महीनों में सबसे कम है। इसके बावजूद, फंड मैनेजरों ने आक्रामक तरीके से नकदी का इस्तेमाल किया और मई में 49,000 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे जो अप्रैल की तुलना में करीब तीन गुना हैं।
अधिकांश बड़े फंड हाउसों ने नकदी का स्तर घटाया है। सबसे बड़े फंड हाउस एसबीआई ने अपनी नकदी होल्डिंग 10 फीसदी से घटाकर 8.6 फीसदी कर दी है जबकि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल की नकदी होल्डिंग 8.2 फीसदी से घटकर 6.9 फीसदी रह गई है। एक नोट में एसबीआई फंड ने संतुलित मूल्यांकन का हवाला देते हुए इक्विटी पर तटस्थ रुख बनाए रखा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ महीनों में 10 वर्षीय बॉन्डों के प्रतिफल में तीव्र गिरावट का मतलब यह है कि इक्विटी मूल्यांकन के हमारे पसंदीदा पैमाने पर (जिसमें इक्विटी प्रतिफल को सरकारी बॉन्ड प्रतिफल के सापेक्ष स्प्रेड के रूप में देखा जाता है) मूल्यांकन पिछले कुछ सप्ताहों में इक्विटी बाजारों में तेजी के बावजूद औसत के आसपास बना हुआ है।
इसमें कहा गया है, इसके अतिरिक्त हमारे स्वामित्व ढांचे के जरिए मापी गई इक्विटी धारणा पिछले वर्ष के गिरावट के बाद से तटस्थ दायरे में बनी हुई है।
उसने कहा, बॉन्ड यील्ड में हालिया गिरावट ने इक्विटी वैल्यूएशन को ऐतिहासिक औसत के करीब बनाए रखा है, यहां तक कि बाजार में तेजी के बाद भी। फंड हाउस ने कहा कि पिछले साल के ऊंचे स्तरों से नरम होने के बाद इसके प्रोप्राइटरी सेंटिमेंट के संकेतक तटस्थ बने हुए हैं।