कंपनियां अपने विलय-अधिग्रहण सौदे के लिए रकम जुटाने के उद्देश्य से म्युचुअल फंडों की ओर तेजी से रुख कर रही हैं क्योंकि बैंकों को ऐसे सौदों के लिए ऋण देने में तमाम पाबंदियों का सामना करना पड़ता है।
बाजार सहभागियों के अनुसार, म्युचुअल फंडों ने मैनकाइंड फार्मा द्वारा भारत सीरम्स ऐंड वैक्सींस के अधिग्रहण, निरमा द्वारा ग्लेनमार्क लाइफसाइंसेज के अधिग्रहण और टाटा कंज्यूमर्स द्वारा कैपिटल फूड्स एवं ऑर्गेनिक इंडिया के अधिग्रहण जैसे तमाम सौदों के लिए रकम उपलब्ध कराने में मदद की है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नियमों के कारण ऐसे सौदों के ऋण उपलब्ध कराने में बैंकों के लिए अपनी सीमाएं हैं। फंड मैनेजरों का मानना है कि ऋण जुटाने के लिए अन्य साधनों की ओर कंपनियों के रुख किए जाने से बाजार में कई ऋण पत्र आएंगे। उपभोक्ता कंपनियों के अधिग्रहण और कॉरपोरेट दिवालिया मामलों के कारण होने वाले सौदों से भविष्य में इस रुझान को गति मिलेगी।
बंधन म्युचुअल फंड के फंड मैनेजर देबराज लाहिड़ी ने कहा कि अधिग्रहण सौदों के लिए वित्तपोषण में ऋण एवं इक्विटी के बारे में निर्णय कंपनी के प्रबंधन द्वारा मामले के आधार पर किया जाता है। यह कंपनी की जरूरतों और मौजूदा पूंजी ढांचे पर निर्भर करता है। मगर अधिग्रहण की योजना बनाने वाली कंपनियां रकम जुटाने के लिए अब पूंजी बाजार की ओर रुख करने लगी हैं जिसमें म्युचुअल फंड ऋण योजनाएं भी शामिल हैं।
लाहिड़ी के अनुसार, विदेशी मुद्रा ऋण पर ब्याज दरें कम होती हैं लेकिन यदि विदेशी परिसंपत्ति का अधिग्रहण न किया जाए और विदेशी मुद्रा का नकद प्रवाह पर्याप्त न हो तो उसमें हेजिंग लागत भी जुड़ जाती है।
मिरे ऐसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) के मुख्य निवेश अधिकारी (तय आय) महेंद्र कुमार जाजू ने कहा कि कुछ कंपनियों ने विलय-अधिग्रहण के लिए बॉन्ड बाजार से बड़ी रकम जुटाई है। उन्होंने कहा कि आगामी तिमाहियों के दौरान इसमें तेजी दिखने के आसार हैं।
मैनकाइंड फार्मा भारत सीरम ऐंड वैक्सींस के अधिग्रहण के लिए ऋण पत्र जारी कर 5,000 करोड़ रुपये से अधिक रकम जुटाई थी। इसी प्रकार अहमदाबाद के निरमा समूह ने ग्लेनमार्क लाइफ साइंसेज के अधिग्रहण के लिए रकम जुटाने में मदद करने के लिए बॉन्ड जारी कर 3,500 करोड़ जुटाए। इस सौदे से समूह को औषधि क्षेत्र में अपनी मौजूदगी को बेहतर करने में मदद मिली क्योंकि ग्लेनमार्क ऐक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रेडिएंट्स (एपीआई) बनाती है। टाटा कंज्यूमर ने चिंग्स सीक्रेट सहित तमाम उत्पाद बनाने वाली कंपनी कैपिटल फूड्स और हर्बल सप्लीमेंट एवं चाय जैसे उत्पाद बनाने वाली कंपनी ऑर्गेनिक इंडिया के अधिग्रहण के लिए वाणिज्यिक पत्र जारी कर करीब 3,500 करोड़ रुपये जुटाए थे।
मैनकाइंड फार्मा, निरमा और टाटा कंज्यूमर को भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।
यह रुझान ऐसे समय में दिख रहा है जब कोविड महामारी के बाद भारतीय बाजार में विलय-अधिग्रहण सौदों तेजी दर्ज की गई है। साल 2019 तक के पिछले 5 वर्षों में हर साल औसतन में लगभग 1,822 सौदे होते थे। मगर 2019 के बाद से 5 वर्षों की अवधि में यह आंकड़ा करीब 54 फीसदी बढ़कर सालाना 2,806 सौदों तक पहुंच गया। प्रबंधन परामर्श फर्म कियर्नी के पार्टनर और प्रमुख (भारत में निजी इक्विटी एवं विलय-अधिग्रहण) सुमत चोपड़ा के अनुसार, मिडकैप कंपनियां भी विलय-अधिग्रहण में काफी सक्रियता दिखा रही हैं।