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बढ़ते प्रतिफल से बाजारों में फिसलन जारी

Last Updated- December 11, 2022 | 7:57 PM IST

बेंचमार्क सूचकांक लगातार दूसरे कारोबारी सत्र मेंं टूट गए क्योंंकि भारत व अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल में बढ़ोतरी जारी रही, जिससे निवेशक इक्विटी निवेश को लेकर जोखिम-प्रतिफल के अनुपात का दोबारा आकलन करने के लिए प्रोत्साहित हुए।
10 वर्षीय अमेरिकी ट्रेजरी प्रतिफल दिसंबर 2018 के बाद के सर्वोच्च स्तर 2.82 फीसदी पर पहुंच गया, वहीं देसी 10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूतियों का प्रतिफल भी 10 साल के नए उच्चस्तर 7.19 फीसदी पर पहुंच गया।
जोखिम वाली परिसंपत्तियों को लेकर निवेशकों की इच्छा पर चोट पड़ी है क्योंकि फेडरल रिजर्व की तरफ से महंगाई पर लगाम कसने के लिए मौद्रिक सख्ती के कदम से दुनिया भर में बॉन्ड प्रतिफल में काफी बदलाव हुआ है।
करीब 666 अंक टूटने के बाद बेंचमार्क सेंसेक्स अंत में 388 अंकों की फिसलन के साथ 58,576 पर बंद हुआ। दूसरी ओर निफ्टी 144 अंकों की गिरावट के साथ 17,530 रुपये पर बंद हुआ। पिछले छह कारोबारी सत्रों में यह दोनों सूचकांकों की पांचवीं गिरावट है। पिछले हफ्ते सेंसेक्स व निफ्टी जनवरी के बाद पहली बार 60,000 व 18,000 के ऊपर निकले थे। तब से दोनों सूचकांकों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की सतत बिकवाली के बीच 3  फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज हुई है।
मंगलवार को एफपीआई ने 3,128 करोड़ रुपये के शेयर बेचे जबकि देसी निवेशकों ने 870 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। एक दिन पहले व्हाइट हाउस प्रेस सेक्रेटरी जेन पास्की ने संवाददाताओं को बताया था कि मार्च में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुख्य महंगाई असाधारण रूप से ज्यादा होने की आशंका है। रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से ऊर्जा की कीमतें बढऩे के कारण महंगाई और बढ़ी है।
विश्लेषकों ने कहा कि महंगाई के आंकड़े फेडरल रिजर्व को मौद्रिक सख्ती आक्रामकता से आगे बढ़ाने का मामला बना देंगे। फेड 1994 के बाद पहली बार सख्त मौद्रिक नीति लागू करना शुरू कर सकता है। पिछले महीने फेडरल रिजर्व ने 2018 के बाद पहली बार बेंचमार्क ब्याज दरें 25 आधार अंक बढ़ाई है।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, भारत में भी महंगाई उच्च स्तर पर बनी रहने की आशंका है। जिंसों की कीमतों में नरमी और आपूर्ति में सुधार से यह ठीक हो सकता है। देसी बाजार मार्च तिमाही के नतीजों के अनुमान को लेकर भी सतर्क है।
चीन में कोविड के बढ़ते मामले और उसके बाद लॉकडाउन ने वैश्विक आपूर्ति शृंखला पर असर डालने का जोखिम पैदा कर दिया है, जो पहले ही यूक्रेन युद्ध के कारण अवरोधित है। आपूर्ति शृंखला के अवरोध और जिंसों की कीमतों में बढ़ोतरी ने निवेशकों को इस बात को लेकर चिंतित कर दिया है कि क्या वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है।
मंगलवार को ब्रेंट क्रूड भी थोड़ा बढ़कर 102 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचा। तेल की कीमतें रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से ही बढऩी शुरू हो गई थी, लेकिन चीन में कोविड के बढ़ते मामलों के बाद कीमतें फिसली है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, बुधवार को बाजार महंगाई के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया जताएगा। साथ ही ईसीबी के नीतिगत फैसले का भी वैश्विक बाजार पर असर दिखेगा। आय का सीजन शुरू हो चुका है और हम कंपनियों के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे हैं। सरकारी सुधार और मजबूत आर्थिक रिकवरी को देखते हुए लंबी अवधि के लिहाज से इक्विटी बाजार का ट्रेंड सकारात्मक बना हुआ है। 

First Published - April 12, 2022 | 11:09 PM IST

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