facebookmetapixel
LensKart IPO: 31 अक्टूबर को खुलेगा ₹7,278 करोड़ का आईपीओ, प्राइस बैंड ₹382-₹402 तय; जानिए हर डीटेलPMAY Online Registration: ऑनलाइन आवेदन शुरू, घर बनने की राह हुई आसान6-9 महीनों में ₹792 तक जा सकता है Hospital Stock, ब्रोकरेज ने कहा – खरीदने का सही मौकानतीजों के बाद Kotak Mahindra Bank पर आया ₹2510 तक का टारगेट, ब्रोकरेज ने दी BUY की सलाहGold silver price today: सस्ते हुए सोना चांदी; खरीदारी से पहले चेक करें आज के रेटबाय नाउ, पे लेटर: BNPL से करें स्मार्ट शॉपिंग, आमदनी का 10-15% तक ही रखें किस्तेंअभी नहीं थमा टाटा ट्रस्ट में घमासान! मेहली मिस्त्री के कार्यकाल पर तीन ट्रस्टियों की चुप्पी ने बढ़ाया सस्पेंसStock Market Update: Sensex ने 550 पॉइंट की छलांग लगाई, निफ्टी 25,950 के पार; RIL-बैंकों की बढ़त से बाजार चहकासीमेंट के दाम गिरे, लेकिन मुनाफे का मौका बरकरार! जानिए मोतीलाल के टॉप स्टॉक्स और उनके टारगेटStocks To Watch Today: Lenskart की IPO एंट्री से बाजार में हलचल, आज इन दिग्गज शेयरों पर रहेगी निवेशकों की नजर

Market Outlook: भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता और TCS के नतीजे तय करेंगे इस हफ्ते बाजार की दिशा

Market Outlook: Religare Broking Ltd में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) अजीत मिश्रा के मुताबिक, 9 जुलाई को अमेरिका की टैरिफ डेडलाइन सबसे बड़ा ट्रिगर साबित हो सकती है।

Last Updated- July 06, 2025 | 2:03 PM IST
Stock market today
Representative Image

Market Outlook: इस हफ्ते शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए ‘रिसिप्रोकल टैरिफ’ यानी प्रतिशोधात्मक शुल्क की 90 दिन की रोक 9 जुलाई को खत्म हो रही है। ऐसे में भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार बातचीत से अगर कोई सकारात्मक नतीजा निकलता है, तो यह बाजार में उत्साह ला सकता है। खासकर, उन सेक्टर्स को फायदा मिलेगा जो निर्यात पर निर्भर हैं।

इसके अलावा, देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में से एक टीसीएस (TCS) के अप्रैल-जून तिमाही नतीजे भी निवेशकों की नजर में रहेंगे। विदेशी निवेशकों की गतिविधियों का भी बाजार पर असर दिख सकता है।

गौरतलब है कि अमेरिका ने भारत समेत कई देशों से आने वाले उत्पादों पर 26% तक अतिरिक्त इंपोर्ट ड्यूटी लगाने का फैसला किया था। हालांकि, भारत को 90 दिनों की राहत दी गई थी, जो अब खत्म हो रही है। इसलिए 9 जुलाई से पहले कोई ठोस निर्णय सामने आता है या नहीं, इस पर बाजार की दिशा निर्भर करेगी।

इस हफ्ते का समय भारतीय शेयर बाजारों के साथ-साथ दुनियाभर के इक्विटी मार्केट्स के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।

Religare Broking Ltd में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) अजीत मिश्रा के मुताबिक, 9 जुलाई को अमेरिका की टैरिफ डेडलाइन सबसे बड़ा ट्रिगर साबित हो सकती है। इसका असर ग्लोबल ट्रेड की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है। इसी दिन अमेरिकी फेडरल रिजर्व की FOMC मीटिंग के मिनट्स भी जारी होंगे, जिसे निवेशक बारीकी से ट्रैक करेंगे।

वहीं, घरेलू स्तर पर निवेशकों की नजर कंपनियों के तिमाही नतीजों पर रहेगी। Q1 रिजल्ट सीजन की शुरुआत बड़ी कंपनियों से हो रही है, जिनमें आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी TCS और रिटेल क्षेत्र की प्रमुख कंपनी Avenue Supermarts के नतीजे खास रहने वाले हैं। इनके प्रदर्शन से आने वाले हफ्तों की कारोबारी धारणा तय हो सकती है।

यह भी पढ़ें: LIC New Plan: ₹5 लाख सम एश्योर्ड और हर साल 9.50% तक रिटर्न! LIC की पॉलिसी से पाएं दोहरा लाभ

इस हफ्ते शेयर बाजार की दिशा कई अहम पहलुओं पर निर्भर करेगी, जिसमें ब्रेंट क्रूड की कीमतों में हलचल और डॉलर-रुपया का ट्रेंड खास रहेगा। इसके साथ ही निवेशकों की नजर भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर भी टिकी रहेगी।

Geojit Investments के रिसर्च हेड विनोद नायर का कहना है, “अगर भारत-अमेरिका ट्रेड वार्ता से कोई सकारात्मक परिणाम निकलता है, तो इससे बाजार में सेंटीमेंट और मजबूत हो सकता है। खासकर आईटी, फार्मा और ऑटो जैसे ट्रेड-सेंसिटिव सेक्टर को इसका फायदा मिलेगा। चूंकि broader इंडेक्स पहले से ही ऊंचाई पर कारोबार कर रहे हैं, इसलिए अब निवेशक Q1 के नतीजों पर नजर रखेंगे जो इस हफ्ते से शुरू हो रहे हैं।”

पिछले हफ्ते बाजार में गिरावट दर्ज की गई थी। BSE सेंसेक्स 626.01 अंक या 0.74% टूटा, जबकि NSE निफ्टी में 176.8 अंक या 0.68% की गिरावट आई।

Motilal Oswal Financial Services के रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका ने कहा, “कुल मिलाकर बाजार में फिलहाल कंसोलिडेशन देखने को मिल सकता है, क्योंकि निवेशक भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर स्पष्टता का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, Q1 FY26 के नतीजों से पहले कंपनियों के अपडेट के चलते स्टॉक विशेष हलचल बनी रह सकती है।”

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी. के. विजयकुमार का कहना है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बाजार में खरीदारी फिर से शुरू होगी या नहीं, यह दो अहम बातों पर निर्भर करेगा।

पहला, अगर भारत और अमेरिका के बीच कोई व्यापार समझौता होता है, तो इससे बाजार को सपोर्ट मिलेगा और एफआईआई निवेश में भी तेजी आ सकती है।

दूसरा, वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (Q1 FY26) के नतीजों के संकेत अहम होंगे। अगर कंपनियों के नतीजे बेहतर और मुनाफे में सुधार के संकेत देते हैं, तो यह एफआईआई के लिए पॉजिटिव सिग्नल होगा।

हालांकि, अगर इन दोनों मोर्चों पर निराशा मिलती है, तो इसका असर बाजार पर पड़ सकता है और एफआईआई निवेश भी प्रभावित हो सकता है।

First Published - July 6, 2025 | 2:03 PM IST

संबंधित पोस्ट