वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका और केंद्रीय बैंकों की सतर्क मौद्रिक नीतियों के डर से निवेशक जोखिम वाली संपत्तियों से दूरी बना रहे हैं, जिससे देसी शेयर बाजार में आज बिकवाली देखी गई। वैश्विक बाजार में ईंधन के दाम और क्रेडिट सुइस बैंक की चिंता से भी निवेशकों का हौसला कमजोर पड़ा है।
सेंसेक्स 638 अंक लुढ़ककर 56,789 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 207 अंक नीचे 16,887 पर बंद हुआ। तेल उत्पादकों द्वारा उत्पादन में संभावित कटौती की आशंका से कच्चे तेल के दाम में तेजी आई, जिससे शेयरों की बिकवाली को बल मिला। ब्रेंट क्रूड 3 फीसदी से ज्यादा उछलकर 90 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया। सितंबर में देश की विनिर्माण गतिविधियों में नरमी का भी बाजार पर असर पड़ा है।
बैंकिंग दिग्गज क्रेडिट सुइस की वित्तीय स्थित बिगड़ने की खबर से अधिकतर यूरोपीय बाजारों में गिरावट दर्ज की गई और क्रेडिट सुइस का शेयर 10 फीसदी तक लुढ़क गया। मगर कर की उच्च दर में कटौती ब्रिटिश सरकार की योजना वापस होने से बाजार को कुछ राहत भी मिली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 590.6 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे। तीन महीने बाद सितंबर में विदेशी निवेशक शुद्ध बिकवाल रहे थे और उन्होंने 13,406 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे थे। विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल बढ़ने और डॉलर मजबूत होने से बिकवाली बढ़ी है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज में रिटेल शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘सुबह के कारोबार में बाजार घट-बढ़ से जूझता रहा और बाद में बिकवाली बढ़ने से इसमें तेज गिरावट दर्ज की गई। वैश्विक स्तर पर घबराहट बढ़ने और रिटेल, वाहन तथा एफएमसीजी जैसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले शेयरों में मुनाफासवूली का भी गिरावट में योगदान रहा। वैश्विक बाजार में स्थिरता आने तक निफ्टी कमजोर बना रहा सकता है।’
फेडरल रिजर्व सहित अधिकतर केंद्रीय बैंकों ने ऊंची मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए सख्त मौद्रिक नीति बरकरार रखने की बात दोहराई है। फेडरल रिजर्व ने पिछले महीने तीसरी बार ब्याज दर में 75 आधार अंक का इजाफा किया था। निवेशक अर्थव्यवस्था और मौद्रिक नीतियों के परिदृश्य का अंदाजा लगाने के लिए अमेरिका में रोजगार के आंकड़े आने का इंतजार कर रहे हैं।
रेलिगेयर ब्रोकिंग में वाइस प्रेसिडेंट (शोध) अजीत मिश्रा ने कहा कि कोई और बड़ी घटना नहीं होने के कारण निवेशकों की नजर वैश्विक बाजारों पर टिकी होंगी।
