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भारतीय बाजारों में गिरावट से FPI संपत्तियों में बड़ी गिरावट, 2025 की अब तक की सबसे खराब शुरुआत

रुपये की कमजोरी और विदेशी निवेशकों की बिकवाली से बाजार दबाव में, एयूसी में 20% की गिरावट दर्ज

Last Updated- March 11, 2025 | 10:53 PM IST
FPI increases risk appetite, buys consumer durables FPI ने जोखिम क्षमता बढ़ाई, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में खरीदारी

भारतीय बाजारों के लुढ़कने से वैश्विक फंड प्रबंधकों की परिसंपत्तियों (एयूसी) में अब तक की दूसरी सबसे बड़ी गिरावट आई है। बाजारों की गिरावट का कारण विदेशी पूंजी की निकासी और रुपये की कमजोरी रही। बेंचमार्क सूचकांक निफ्टी और सेंसेक्स सितंबर के अपने सर्वोच्च स्तर से क्रमश: 15.2 फीसदी और 14 फीसदी टूटकर गिरावट वाले जोन में चले गए। पिछले दो सालों में हुए भारी निवेश के कारण व्यापक बाजारों में और भी ज्यादा बिकवाली हुई है। एनएसई मिडकैप 150 में पिछले उच्चस्तर से 19.9 फीसदी की गिरावट आई है जबकि एनएसई स्मॉलकैप 150 में 23 फीसदी की नरमी दर्ज हुई है।

चीन के प्रोत्साहन उपायों के बाद शुरू हुई बिकवाली अर्थव्यवस्था में मंदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के शुल्क कदमों से और तेज हो गई। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने पिछले साल अक्टूबर से अब तक 1.83 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं जबकि घरेलू फंड गिरावट पर खरीदारी कर रहे हैं। नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के आंकड़ों के अनुसार 2025 में एफपीआई 1.4 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध विक्रेता थे जो किसी भी वर्ष की सबसे खराब शुरुआत है।

बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार वैश्विक फंडों की बिकवाली के परिणामस्वरूप विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की इक्विटी परिसंपत्तियां सितंबर से करीब 20 फीसदी घटकर 62.38 लाख करोड़ रुपये रह गईं। यह दूसरी सबसे बड़ी गिरावट है। इससे पहले कोविड की वजह से हुई बिकवाली के कारण ऐसेट अंडर कस्टडी में 26.6 फीसदी की गिरावट आई थी। 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान एयूसी का डेटा आधिकारिक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध नहीं है।

परिभाषा के अनुसार ऐसेट अंडर कस्टडी एफपीआई के पास रही इक्विटी का कुल बाजार मूल्य है। वैश्विक फंडों के परिसंपत्ति मूल्य में गिरावट की वजह वैश्विक निवेशकों की बिकवाली, मुद्रा का अवमूल्यन और परिसंपत्ति की कीमतों में गिरावट हो सकती है।

हाल में डॉलर में उछाल के दौरान भारतीय रुपया 4.5 फीसदी कमजोर हुआ। रुपये में गिरावट से एफपीआई ज्यादा बिकवाली करते हैं क्योंकि कमजोर मुद्रा विदेशी निवेश के मूल्य को कम करती है। एलकेपी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक रूपक डे ने बताया, इससे सुरक्षित निवेश विकल्पों की तलाश करने वाले विदेशी निवेशकों की और अधिक बिकवाली को बढ़ावा मिलता है।

डे ने कहा कि एफपीआई एयूसी में गिरावट का एक मुख्य कारण अमेरिकी डॉलर का मजबूत होना है। उन्होंने कहा कि बजट में सीमित पूंजीगत व्यय और कमजोर कॉरपोरेट आय ने भारतीय इक्विटी में एफपीआई की बिकवाली बढ़ाने में योगदान दिया है। मौजूदा गिरावट में हालांकि वित्तीय शेयरों से सबसे ज्यादा निकासी देखी गई, लेकिन ये वे क्षेत्र थे जिनमें ऐसेट अंडर कस्टडी सबसे कम घटी।

First Published - March 11, 2025 | 10:53 PM IST

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