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ITC, HDFC बैंक 10% गिरे! 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर से BSE 500 के 300 शेयरों में भारी गिरावट

मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों के शेयरों को और भी ज्यादा नुकसान हुआ है, उनके सूचकांक अपने सर्वोच्च स्तरों से 4% नीचे हैं।

Last Updated- May 08, 2024 | 3:25 PM IST
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भारतीय शेयर बाजार में आज कल गिरावट देखने को मिल रही है। निवेशकों द्वारा भारी मात्रा में शेयर बेचे जाने से बाजार में गिरावट आई है, जिससे सभी क्षेत्रों की कंपनियों के शेयर प्रभावित हुए हैं। कई शेयरों की कीमतें अपने 52 हफ्तों के उच्चतम स्तर से 50% से अधिक नीचे चली गई हैं।

सेंसेक्स और निफ्टी में 2% की गिरावट

बाजार के प्रमुख संकेतक, सेंसेक्स और निफ्टी 50 भी अपने सर्वकालिक उच्च स्तरों से करीब 2% नीचे हैं। मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों के शेयरों को और भी ज्यादा नुकसान हुआ है, उनके सूचकांक अपने सर्वोच्च स्तरों से 4% नीचे हैं।

कैपिटलमार्केट के आंकड़ों के अनुसार, बीएसई 500 इंडेक्स अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के मुकाबले 3% नीचे है। साथ ही इस इंडेक्स की 323 कंपनियों के शेयर अपने 52 हफ्तों के सबसे ऊंचे स्तर से 10% से भी ज्यादा नीचे आ गए हैं। चिंता की बात ये है कि 34 कंपनियों के शेयर तो 30% से भी ज्यादा नीचे गिर चुके हैं और 134 कंपनियों के शेयर अपने पिछले साल के रिकॉर्ड उच्च से 20% से ज्यादा नीचे हैं।

पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस गिरावट में सबसे आगे

इस गिरावट में पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस सबसे आगे है। इसके शेयर अपने 52 हफ्तों के सबसे ऊंचे स्तर से करीब 67% नीचे आ चुके हैं। वहीं स्पार्क, जी एंटरटेनमेंट, राजेश एक्सपोर्ट्स और डेल्टा कॉर्प जैसे शेयर भी 54-56% की गिरावट झेल चुके हैं।

वोडाफोन आइडिया (33 फीसदी नीचे), पीवीआर आइनॉक्स (30 फीसदी नीचे), यस बैंक (30 फीसदी नीचे), अडानी टोटल गैस (28 फीसदी नीचे), एलटीआईमाइंडट्री (27 फीसदी नीचे), एचसीएल टेक्नोलॉजीज (22 फीसदी नीचे), एमआरएफ (18 फीसदी नीचे), बजाज फाइनेंस (16 फीसदी नीचे), विप्रो (15 फीसदी नीचे), एचडीएफसी बैंक (14 फीसदी नीचे) और आईटीसी (12 फीसदी नीचे) जैसे शेयर अपने 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर से 10 फीसदी से अधिक गिर चुके हैं।

चिंताओं से घिरा घरेलू बाजार

घरेलू शेयर बाजार इन दिनों कई तरह की चिंताओं से घिरा हुआ है। सबसे बड़ी चिंता है मार्च तिमाही में कंपनियों के निराशाजनक प्रदर्शन की। इसके अलावा, अभी बाजार का मूल्यांकन काफी ऊंचा है, जो लंबे समय के लिए टिक पाना मुश्किल लग रहा है।

साथ ही, बाजार कुछ सकारात्मक पहलुओं को नजरअंदाज कर रहा है और आगे बढ़ने के लिए नये उत्साह की कमी है। इस साल ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें भी कम हैं, जो बाजार की धारणा को और कमजोर कर रही हैं।

लोकसभा चुनाव के नतीजे जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, बाज़ार इस बात को लेकर चिंतित है कि क्या मौजूदा सरकार को पूर्ण बहुमत मिलेगा। अगर ऐसा होता है, तो इससे मौजूदा नीतिगत बदलावों में भरोसा बढ़ेगा।

First Published - May 8, 2024 | 3:25 PM IST

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