सरकार के स्वामित्व वाली भारतीय रेल खानपान एवं पर्यटन निगम (IRCTC) का शेयर गुरुवार को 6 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट का शिकार हुआ। सरकार द्वारा इस रेलवे टिकटिंग कंपनी में अन्य 5 प्रतिशत हिस्सेदारी घटाने की प्रक्रिया शुरू किए जाने के बाद इस शेयर में यह गिरावट देखी गई।
विश्लेषकों का कहना है कि सरकार द्वारा IRCTC में लगातार विनिवेश से शेयरों की आपूर्ति से संबंधित चिंताएं पैदा हुई हैं। वर्ष 2019 में शेयर बाजार में इसके प्रवेश के दौरान IRCTC में सरकार की हिस्सेदारी 87.4 प्रतिशत थी। पिछले तीन साल में केंद्र ने 25 प्रतिशत हिस्सेदारी घटाई है। नई बिक्री पेशकश (OFS) के बाद, केंद्र की हिस्सेदारी घटकर 62.4 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है, जिससे और विनिवेश की गुंजाइश बनी रहेगी।
इक्विनोमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम का मानना है, ‘सरकार OFS से परहेज कर सकती है। जब भी वह ऐसा करती है, शेयर में बड़ी गिरावट आती है।’ उनका मानना है कि सरकार को पूंजी जुटाने के अन्य विकल्पों पर विचार करना चाहिए।
बुधवार को, सरकर ने 680 रुपये प्रति शेयर का अंकित मूल्य तय किया, जो बाजार दर के मुकाबले करीब 7 प्रतिशत कम है। OFS को 4 करोड़ शेयरों की पेशकश के मुकाबले 5.5 करोड़ शेयरों के लिए आवेदन मिले। ज्यादातर आवेदन 681 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से प्राप्त हुए।
भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की शेयर बिक्री को अनुमान के मुकाबले काफी कमजोर प्रतिक्रिया मिली थी, जिससे सरकार पर सूचीबद्ध क्षेत्र में विनिवेश अवसर तलाशने के लिए दबाव है। पिछले महीने सरकार ने निजी क्षेत्र के ऋणदाता ऐक्सिस बैंक में अपनी संपूर्ण शेष हिस्सेदारी 3,839 करोड़ रुपये में बेची और इससे पहले उसने OFS के जरिये ONGC में 3,056 करोड़ रुपये में हिस्सेदारी बेची थी।
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स्वतंत्र इक्विटी विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा, ‘हमने ऐसी शेयर बिक्री से अन्य पीएसयू शेयरों की वैल्यू पर भी दबाव देखा है। इसके अलावा, उनके शेयर कमजोर प्रदर्शन करते हैं, क्योंकि ऐसी धारणा रहती है कि जब भी शेयर में तेजी आएगी, OFS की पेशकश की जाएगी। एक बार के बाद सरकार को दो साल तक OFS पर विचार नहीं करना चाहिए।’ IRCTC का शेयर 1,175 रुपये (अक्टूबर 2021) के अपने ऊंचे स्तरों से 40 प्रतिशत से ज्यादा नीचे आ गया है।
सरकार के लिए सूचीबद्ध कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए OFS लोकप्रिय विकल्पों में से एक बन गया है। इसके अलावा, सरकार ने एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) के जरिये भी अपनी हिस्सेदारी घटाई है, जिसमें उसके सार्वजनिक क्षेत्र के कई उद्यम शामिल हैं। सीपीएसई ईटीएफ और भारत ईटीएफ दो ऐसे उदाहरण हैं।