देश की तीसरी सबसे बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) टाटा कैपिटल अक्टूबर के पहले हफ्ते में अपना बहुप्रतीक्षित इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) लाने की तैयारी कर रही है। पहले यह इश्यू सितंबर में लॉन्च होना था, लेकिन टाटा मोटर्स फाइनेंस के साथ मर्जर की मंजूरी में देरी के कारण इसे टालना पड़ा।
कंपनी को मई में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) से मंजूरी मिली थी। इसके बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने समयसीमा बढ़ाने की अनुमति दे दी थी।
31 मार्च 2025 तक टाटा कैपिटल की कुल संपत्ति ₹2.2 लाख करोड़ थी और पिछले तीन वर्षों में इसमें औसतन 28 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। यह IPO वित्तीय क्षेत्र का अब तक का सबसे बड़ा इश्यू होगा, जिसके जरिए कंपनी ₹16,500 से ₹17,500 करोड़ जुटाने की योजना बना रही है। IPO में कुल 47.58 करोड़ शेयर बेचे जाएंगे। इनमें से 21 करोड़ नए शेयर जारी होंगे, जबकि 26.58 करोड़ शेयर मौजूदा शेयरहोल्डर्स बेचेंगे।
टाटा संस, जो अभी 92.83 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती है, 23 करोड़ शेयर बेचेगी। इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन (IFC), जिसकी हिस्सेदारी 1.7 प्रतिशत है, अपनी आधी हिस्सेदारी यानी 3.58 करोड़ शेयर बेचेगी। IPO के बाद टाटा समूह की हिस्सेदारी 95.6 प्रतिशत से घटकर 86.5 प्रतिशत रह जाएगी।
टाटा कैपिटल का कारोबार रिटेल, छोटे और मध्यम उद्यम (SME) और कॉरपोरेट सेगमेंट में फैला है। इसकी सब्सिडियरी टाटा कैपिटल हाउसिंग फाइनेंस होम लोन, लोन against प्रॉपर्टी और बिल्डर लोन उपलब्ध कराती है। 31 मार्च 2025 तक इसका लोन पोर्टफोलियो ₹66,402 करोड़ का था, जिसमें शामिल थे:
हाल ही में टाटा मोटर्स फाइनेंस का टाटा कैपिटल में मर्जर पूरा हुआ। यह कंपनी भारत में कमर्शियल वाहनों की फाइनेंसिंग में अग्रणी रही है। मर्जर के बाद टाटा कैपिटल का क्रेडिट कॉस्ट 0.9 प्रतिशत से बढ़कर 1.4 प्रतिशत हो गया। 31 दिसंबर 2024 तक टाटा मोटर्स फाइनेंस की संपत्ति ₹36,515 करोड़ थी। कंपनी ने हाल ही में वैश्विक रोडशो भी किए, जिनमें निवेशकों ने मजबूत रुचि दिखाई।