भारत के स्वास्थ्य सेवा और फार्मास्युटिकल क्षेत्र ने साल 2024 में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये 14,811 करोड़ रुपये जुटाए हैं। यह साल 2019 के बाद से जुटाई गई सबसे ज्यादा रकम है, जो वैश्विक अवसर बढ़ने के बीच दमदार घरेलू मांग से प्रेरित है। आंकड़ों के मुताबिक, रिकॉर्ड रकम जुटाने में साई लाइफ सांइसेज (3,043 करोड़ रुपये), आईकेएस हेल्थ (2,498 करोड़ रुपये), सैजिलिटी इंडिया (2,107 करोड़ रुपये) का बड़ा योगदान रहा है। भले ही पिछले साल के मुकाबले इस साल कम आईपीओ आए, लेकिन औसत निर्गम आकार में काफी उछाल देखी गई है। पिछले साल 21 कंपनियों के निर्गम आए थे और इस साल 13 कंपनियों ने बाजार में दस्तक दी है।
भारत में फार्मा उद्योग निवेश आकर्षित करने वाले शीर्ष क्षेत्र में शामिल हो गया है। साई लाइफ साइंसेज के आईपीओ मसौदे (डीआरएचपी) के मुताबिक, ‘वैश्विक फार्मास्युटिकल उद्योग में लंबी अवधि की मजबूत और टिकाऊ वृद्धि देखने को मिली है, जो मुख्य तौर पर गंभीर बीमारियों के बढ़ने, खराब जीवनशैली, बुजुर्गों की बढ़ती आबादी और स्वास्थ्य के प्रति सजगता से प्रेरित है।’
साल 2023 में वैश्विक फार्मास्युटिकल बाजार का आकार 1,451 अरब डॉलर था। इसके सालाना 6.2 फीसदी चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ बढ़कर साल 2028 तक 1,956 अरब डॉलर होने का अनुमान है। भारत में फार्मास्युटिकल क्षेत्र विदेशी निवेश के लिहाज से शीर्ष दस आकर्षक उद्योगों में से एक है, जिसका निर्यात अमेरिका और यूरोप जैसे विनियमित बाजारों सहित 200 से अधिक देशों में है।
जेनिथ ड्रग्स के आईपीओ मसौदे के मुताबिक, ‘मात्रा के लिहाज से वैश्विक जेनेरिक दवा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 20 फीसदी है, जो इसे सबसे बड़ा वैश्विक प्रदाता बनाता है। वित्त वर्ष 2023 में फार्मास्युटिकल निर्यात कुल 25.3 अरब डॉलर था, जिसमें सिर्फ मार्च 2023 में 2.48 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था।’
जानकारों का कहना है कि दवाओं की वैश्विक कमी भारतीय दवा विनिर्तामाओं को निर्यात बाजार का फायदा लेने की अनुमति दे रही है। नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के उपाध्यक्ष (शोध) श्रीकांत अकोलकर ने कहा, ‘घरेलू बाजार में ब्रांडेड जेनेरिक दवा कंपनियों का दबदबा है। खासतौर पर अमेरिका में उत्पादों की कमी बढ़ने एवं संयंत्र के बंद होने तथा अनुपालन से जुड़े मुद्दे होने का कारण निर्यात के अवसर फिर से बढ़ रहे हैं। बायोसिमिलर, जीएलपी-1 दवाओं, पेटेंट की अवधि खत्म होने और इंजेक्टेबल्स जैसी उभरती श्रेणियां आने वाले समय में मध्यम से दीर्घावधि में महत्त्वपूर्ण वृद्धि देने के लिए तैयार हैं।’
अस्पताल क्षेत्र में वैश्विक महामारी के बाद स्थिति में फिर से सुधार देखने को मिल रहा है। यह नए आईपीओ की बढ़ती सबस्क्रिप्शन दरों से पता भी चलता है। सैजिलिटी इंडिया और आईकेएस हेल्थ जैसी स्वास्थ्य देखभाल सेवा डिलिवरी पर केंद्रित कंपनियां स्वास्थ्य सेवा परिवेश के गैर पारंपरिक खंडों में निवेशकों के बढ़ते भरोसे को दर्शाती हैं।
इस क्षेत्र में आने वाले अवसरों में ऑफ पेटेंट उत्पाद, बायोसिमिलर और नए उपचार शामिल हैं। विश्लेषक मझोले और कस्बाई इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती मांग की ओर भी इशारा करते हैं, जो लंबी अवधि में उनकी वृद्धि को बल देंगे। भारत का स्वास्थ्य सेवा और फार्मास्युटिकल क्षेत्र घरेलू खपत और निर्यात अवसरों के सहारे लगातार बढ़ने के लिए तैयार है।
अकोलकर ने कहा, ‘दमदार ऐतिहासिक प्रदर्शन, नए पूंजीगत व्यय, अनुसंधान एवं विकास (आरऐंडडी) कार्यक्रम और आशाजनक भविष्य के नजरिये ने निवेशकों में विश्वास पैदा किया है और इससे ही इस क्षेत्र में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है और निवेश बढ़ा है।’