अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड (एमएफ) योजनाओं में निवेश से जुड़े भारतीय निवेशक 2022 में वैश्विक बाजारों में आई बड़ी गिरावट से चिंतित नहीं हैं। एमएफ उद्योग द्वारा जारी आंकड़े से पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) में नया निवेश दिसंबर 2021 से नवंबर 2022 की अवधि के 12 महीनों में से 10 में बिकवाली के मुकाबले ज्यादा रहा।
नए निवेश के लगातार प्रवाह से यह भी सुनिश्चित हुआ है कि अंतरराष्ट्रीय एफओएफ की प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) बहुत ज्यादा कमजोर नहीं पड़ी हैं। पिछले एक साल में इन फंडों की एयूएम सिर्फ 15 प्रतिशत घटीं और 24,000 करोड़ रुपये से गिरकर 20,300 करोड़ रुपये रह गईं, यहां तक कि कई लोकप्रिय योजनाओं में 20-30 प्रतिशत के बीच भी गिरावट आई।
वैल्यू रिसर्च के आंकड़े से पता चलता है कि अमेरिकी टेक फंडों में निवेश करने वाले एफओएफ में पिछले एक साल में बड़ी गिरावट आई। एडलवाइस यूएस टेक्नोलॉजी इक्विटी एफओएफ, मिरई ऐसेट एनवाईएसई फांग+ ईटीएफ एफओएफ और मोतीलाल ओसवाल नैस्डैक 100 एफओएफ जैसी लोकप्रिय योजनाओं में पिछले एक साल में (5 जनवरी तक) 25-36 प्रतिशत के बीच गिरावट आई है।
उद्योग के अधिकारियों और निवेश सलाहकारों का मानना है कि ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से निवेशक निवेश से जुड़े हुए हैं। निवेशकों में इसे लेकर समझ बढ़ रही है कि इक्विटी बेहद उतार-चढ़ाव वाली परिसंपत्ति वर्ग है, जो खासकर दीर्घावधि निवेश के लिए उपयुक्त है।
लैडर7 वेल्थ प्लानर्स के सुरेश सदगोपन का कहना है, ‘निवेशकों में परिपक्वता बढ़ने का संकेत मिलता है। पिछले कुछ वर्षों से निवेशकों द्वारा घबराहट के साथ बिकवाली नहीं की गई है।’ उन्होंने कहा, ‘हमें अब चिंतित निवेशकों से फोन नहीं आते हैं। हम सामान्य तौर पर अपने ग्राहकों को पोर्टफोलियो में नया निवेश शामिल करने से पहले उन्हें सलाह मुहैया कराते हैं, जिससे कि वे ऐसे परिवेश में तैयार रहें।’
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अन्य मुख्य कारक है कराधान। हालांकि अंतरराष्ट्रीय एफओएफ इक्विटी में निवेश करते हैं, लेकिन उनके प्रतिफल पर भारत में डेट फंडों की तरह कर लगता है। तीन साल से कम
अवधि के निवेश को शॉर्ट-टर्म के तौर पर वर्गीकृत किया गया है और उस पर आयकर स्लैब के अनुसार कर लगता है। 3 साल से अधिक अवधि के निवेश पर इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20 प्रतिशत कर लागू है।
विश्लेषकों का कहना है कि चूंकि कराधान सामान्य तौर पर अल्पावधि लाभ पर ज्यादा होता है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंडों में निवेश करने वाले निवेशक लंबी अवधि से जुड़े होते हैं। मिरे ऐसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) के प्रमुख (ईटीएफ) सिद्धार्थ श्रीवास्तव ने कहा, अंतरराष्ट्रीय फंडों में निवेश लंबी अवधि का होता है, क्योंकि यह कराधान से जुड़ा होता है।