भारतीय शेयर बाजारों ने अगस्त की समाप्ति लगातार दूसरे महीने बेंचमार्क और व्यापक सूचकांकों के नकारात्मक प्रदर्शन के साथ की। अगस्त में सेंसेक्स में 1.7 फीसदी की गिरावट आई तो निफ्टी 1.4 फीसदी कमजोर हुआ। निफ्टी मिडकैप 100 में 2.9 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 4.1 फीसदी की नरमी रही। सेंसेक्स और निफ्टी के लिए यह अक्टूबर-फरवरी 2025 के बाद सबसे लंबी मासिक गिरावट का दौर रहा।
बाजार पूरे महीने पहले भारतीय वस्तुओं पर 25 फीसदी टैरिफ लगाए जाने तथा फिर रूसी ऊर्जा की खरीद पर दंड के तौर पर 25 फीसदी का अतिरिक्त शुल्क से जूझते रहे।
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अमेरिका ने इसी महीने 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की थी जो बुधवार से लागू हो गए। इन शुल्कों से उन क्षेत्रों को नुकसान पहुंचने की आशंका है जो अमेरिका को निर्यात पर अत्यधिक निर्भर हैं, जैसे कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, और समुद्री उत्पाद।
हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के बीच शिखर बैठक से यूक्रेन युद्ध के समाधान और अतिरिक्त टैरिफ की वापसी की उम्मीदें जगी थीं, लेकिन वार्ता में कोई ठोस समझौता नहीं होने से यह उत्साह अल्पकालिक साबित हुआ। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में व्यापक सुधार के केंद्र सरकार के वादे तथा लगभग दो दशकों में भारत की पहली सॉवरिन क्रेडिट अपग्रेड होने से शेयर बाजार में तेजी आई, लेकिन अंततः निवेशकों के उदास मूड को ठीक करने में ये खबरें नाकाफी साबित हुईं।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 22,751 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की जिसकी भरपाई घरेलू संस्थानों ने 83,341 करोड़ रुपये की भारी खरीद के साथ कर दी।