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Interview: गिरावट के बीच तेजी के अवसर भी बरकरार: जानकीरामन रंगाराजू

जानकीरामन ने इस बारे में बताया कि कैसे मूल्यांकन में ढील ने विभिन्न बाजार पूंजीकरण में अवसरों को बढ़ावा दिया है।

Last Updated- January 06, 2025 | 10:19 PM IST
Opportunities for growth remain even amid the decline: Janakiraman Rangaraju गिरावट के बीच तेजी के अवसर भी बरकरार: जानकीरामन रंगाराजू

फ्रैंकलिन टेम्पलटन ऐसेट मैनेजमेंट में इमर्जिंग मार्केट्स इ​क्विटी-इंडिया के मुख्य निवेश अ​धिकारी जानकीरामन रंगाराजू ने समी मोडक के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि बाजार में हाल में पैदा हुई अस्थिरता के कई कारण हैं। जानकीरामन ने इस बारे में बताया कि कैसे मूल्यांकन में ढील ने विभिन्न बाजार पूंजीकरण में अवसरों को बढ़ावा दिया है। मुख्य अंश:

हाल के महीनों में घरेलू बाजारों में उतार-चढ़ाव बढ़ा है। इस उतार-चढ़ाव के कारण क्या हैं?

बढ़ते उतार-चढ़ाव के लिए कई कारकों को जिम्मेदार माना जा सकता है। सितंबर तिमाही के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी एक प्रमुख कारण थी, जिसकी वजह से कॉरपोरेट आय कमजोर हो गई। यह मंदी विनिर्माण में गिरावट, पूंजीगत व्यय में कमी और खपत में वृद्धि के कारण हुई थी। अन्य कारकों में भूराजनीतिक तनाव, मुद्रास्फीति में उतार-चढ़ाव, अमेरिकी चुनाव और भारतीय बाजारों का महंगा मूल्यांकन शामिल थे।

वित्त वर्ष 2025 की कमजोर पहली छमाही के बाद आय वृद्धि में कब से सुधार की उम्मीद है?

वित्त वर्ष के शुरू में, बाजार निफ्टी-50 कंपनियों की वित्त वर्ष 2025 की आय वृद्धि 15 फीसदी के आसपास रहने का अनुमान जता रहे थे। हालांकि, अब ऐसा लग रहा है कि हम इन कंपनियों के लिए केवल ऊंचे एक अंक में आय वृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। इस संशोधित दृष्टिकोण में कई कारक योगदान करते हैं। सबसे पहली बात तो यह है कि पूंजीगत व्यय पर सरकारी खर्च अपेक्षा से कम रहा है। वर्ष की पहली छमाही में, सरकारी खर्च 15 फीसदी तक घट गया है, जिससे बजट अनुमानों के मुकाबले करीब 1.4 लाख करोड़ रुपये की कमी को बढ़ावा मिला है।

वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में होने वाले चुनावों और उसके बाद सरकार गठन के कारण यह मंदी संभवतः अस्थायी है। दूसरा, शहरी खपत भी कमजोर पड़ी है जो कमजोर पारिश्रमिक वृद्धि की वजह से हो सकती है। हमें उम्मीद है कि सरकारी पूंजीगत खर्च में मंदी अस्थायी होगी और वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में खर्च में वृद्धि होने की संभावना है। 2025-26 तक, निफ्टी 50 कंपनियों की आय वृद्धि 13-15 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है।

बाजार के लिए अल्पाव​धि सकारात्मक और नकारात्मक कारक क्या हैं?

नए अमेरिकी प्रशासन ने वै​​श्विक व्यापार दरों में संभावित वृद्धि का संकेत दिया है, जिसका अमेरिका, भारत और चीन समेत वै​श्विक वृद्धि पर प्रभाव पड़ सकता है। इससे अमेरिकी मुद्रास्फीति और ब्याज दरें भी प्रभावित हो सकती हैं। वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं के कारण भारत में निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में मंदी अल्पाव​धि वृद्धि को और ज्यादा प्रभावित कर सकती है। भारत की वृद्धि को प्रभावित करने वाले अन्य वैश्विक कारकों में चीन के नीतिगत कदम, ब्याज दर संबंधी निर्णय, अमेरिकी नीतिगत उपाय, मुद्रा संबं​धित जोखिम और भू-राजनीतिक घटनाक्रम शामिल हैं।

डॉनल्ड ट्रंप की नीतियों से कौन से क्षेत्र या शेयर प्रभावित हो सकते हैं और भारतीय निवेशकों पर क्या असर दिख सकता है?

अमेरिकी व्यापार नीतियों में संभावित बदलावों से चीन और अन्य देशों (भारत समेत) के बीच दरों में अंतर हो सकता है। इससे कुछ हद तक भारतीय निर्यात को फायदा हो सकता है। निवेशकों को फार्मास्युटिकल, सूचना प्रौद्योगिकी और रसायन जैसे पारंपरिक क्षेत्रों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक्स और सौर ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में नए अवसरों पर भी नजर रखनी चाहिए। बाजार में अस्थिरता की आशंका है, लेकिन हाल में आई गिरावट ने आय में कटौती के बावजूद कुछ तेजी की संभावनाएं पैदा की हैं।

मौजूदा मूल्यांकन पर आपका क्या आकलन है?

पिछले तीन वर्षों में भारत का मूल्यांकन बढ़ा है। कुछ क्षेत्रों में सरकारी खर्च के कारण मूल्यांकन बढ़ा हुआ दिखा है जिसकी वजह से विकास की उम्मीदें कमजोर पड़ गई हैं।

First Published - January 6, 2025 | 10:19 PM IST

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