संस्थागत निवेशकों को अब किसी ब्रोकर के जरिए कारोबार करने की जरूरत नहीं, वो अब सीधे ही बाजार में अपने सौदे कर सकेंगे।
ब्रोकर अब अपने संस्थागत निवेशकों को अपने एक्सचेंज ट्रेडिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने दे सकते हैं जिससे कि ये क्लायंट बाजार में सीधे ही अपने सौदे कर सकें। लेकिन इसके लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर ब्रोकर ही मुहैया कराएगा। सेबी ने ब्रोकरों को इस बात की मंजूरी दे दी है।इस सुविधा को डायरेक्ट मार्केट एक्सेस सुविधा यानी डीएमए नाम दिया गया है।
इसके जरिए क्लायंट दुनिया में कहीं भी हों, वो अपने ब्रोकर का ट्रेडिंग प्लैटफार्म बिना किसी दखल के इस्तेमाल कर सकेंगे। इस सुविधा का एक फायदा यह भी है कि अपने ऑर्डर पर क्लायंट का पूरा नियंत्रण होगा, ये ऑर्डर ज्यादा तेजी से एक्जिक्यूट हो सकेंगे, साथ ही गलतियों की संभावना भी कम रहेगी, ज्यादा पारदर्शिता होगी, लिक्विडी बढ़ेगी, बड़े ऑर्डर पर खर्च घटेगा और क्लायंट को हेजिंग और आर्बिट्राज के अवसर भी ज्यादा मिलेंगे।
इसके लिए ब्रोकर क्लायंट से नो युअर क्लायंट की सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उन्हें ये सुविधा देने के लिए अधिकृत करेगा। डीएमए सुविधा के तहत किए जाने वाले सारे कारोबार के लिए ब्रोकर ही जिम्मेदार होगा। उन्हें अपने क्लायंट की सारी जानकारी भी अपने पास रखनी होगी, मसलन यूसर डीटेल, आईडी आदि।
जो ब्रोकर अपने क्लायंट्स को ये सुविधा देना चाहते हैं उन्हे इसके लिए इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर और सिस्टम की जानकारी के साथ एक्सचेंज को अर्जी देनी होगी, जिसे एक सेक्योरिटी ऑडिटर प्रमाणित करेगा।ब्रोकरों को यह सुविधा देने के लिए अपने क्लायंट के साथ एक करार करना होगा, जिसमें यह बात भी साफ साफ लिखी होगी कि क्लायंट इस सुविधा का इस्तेमाल खुद के सौदों के लिए ही करेगा और वह अपने नाम पर किसी और के सौदे इस प्लैटफार्म से नहीं करेगा।
करार के तहत तय सीमा से ज्यादा कारोबार करने पर या फिर किसी और तरह से करार का उल्लंघन करने पर ब्रोकर को यह सुविधा कभी वापस लेने का अधिकार होगा। क्लायंट को कारोबार के संबंध में ब्रोकर की शर्तों का पालन करना होगा। सेबी ने एक्सचेंजों से इस संबंध में एक मॉडल करार पत्र तैयार करने को कहा है। रिस्क असेसमेंट, क्रेडिट क्वालिटी और क्लायंट के मार्जिन के आधार पर ब्रोकर हर डीएमए क्लायंट की ट्रेडिंग और पोजीशन लिमिट तय करेगा।
ब्रोकरों को यह भी देखना होगा कि सभी डीएमए ऑर्डर उसके रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए होकर ही जाएं।सेबी की इस मंजूरी पर ब्रोकर खुश है, उनका कहना है कि दुनिया के दूसरे शेयर बाजारों में भी डीएमए लागू है।
हालांकि एमके शेयर ऐंड स्टॉक ब्रोकर्स के संस्थागत डेरिवेटिव्स कारोबार के संदीप सिंघल के मुताबिक इस कदम से ब्रोकिंग उद्योग में कुछ कंसॉलिडेशन भी होगा। उनके मुताबिक संस्थागत निवेशक डीएमए सुविधा लेने के लिए भरोसे के ब्रोकर ही चुनेंगे इससे छोटे ब्रोकरों का यह धंधा मुश्किल होगा और उन्हे बड़े ब्रोकरों के साथ मिलकर काम करना होगा।