जेपी मॉर्गन के सरकारी बॉन्ड सूचकांक- इमर्जिंग मार्केट्स (जीबीआई-ईएम) में आज भारत आधिकारिक रूप से शामिल हो गया मगर पहले दिन सरकारी बॉन्ड की यील्ड सपाट रही। उम्मीद से कम विदेशी निवेश आने पर निवेशक कुछ निराश हो गए, जिसका असर यील्ड पर भी पड़ा। बेंचमार्क बॉन्ड की यील्ड करीब 7 फीसदी रही, जो पहले के मुकाबले सपाट ही थी।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप के वाइस प्रेसिडेंट नवीन सिंह ने कहा, ‘हो सकता है कि लोगों ने इससे पहले कुछ खरीदा हो। अन्य डेरिवेटिव भी हैं जिनका कुछ फंडों ने उपयोग किया होगा। इसलिए तत्काल खरीदने की जरूरत नहीं है। वे धीरे-धीरे किस्तों में बॉन्ड खरीद सकते हैं।’
10 साल मियाद वाले बेंचमार्क बॉन्ड की यील्ड कारोबार के दौरान बढ़कर 7.02 फीसदी हो गई थी क्योंकि ट्रेडरों ने मुनाफे में अपने बॉन्ड बेच दिए। एक बड़े सरकारी बैंक के एक डीलर ने कहा, ‘जिनके पास बॉन्ड हैं वे पिछले कुछ दिनों से उसकी बिकवाली कर रहे हैं क्योंकि जितना निवेश आने की उम्मीद थी, उतना नहीं हुआ। तिमाही के अंत में कुछ मुनाफावसूली भी हुई है।’
क्लियरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार विदेशी बैंकों ने जून में सेकंडरी मार्केट से 46,954 करोड़ रुपये के सरकारी बॉन्डों की शुद्ध खरीद की। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने पूर्ण सुलभ मार्ग के जरिये इसी महीने 15,616 करोड़ रुपये मूल्य के सरकारी बॉन्ड खरीदे। गुरुवार को सरकारी बॉन्डों में 946 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आया था।
सितंबर 2023 में जेपी मॉर्गन ने घोषणा की थी कि वह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा पूर्ण सुलभ मार्ग (एफएआर) के तहत जारी सरकारी बॉन्डों को अपने जीबीआई-ईएम में शामिल करेगा। सूचकांक में देसी बॉन्ड को 10 महीने में धीरे-धीरे शामिल किया जाएगा। 31 मार्च, 2025 तक हर महीने बॉन्ड का भार 1 फीसदी बढ़ाया जाएगा। इस तरह 10 महीने में भारतीय बॉन्ड का भार बढ़कर चीनी बॉन्ड के बराबर 10 फीसदी हो जाएगा।
सितंबर 2023 में जब बॉन्ड को जेपी मॉर्गन के सूचकांक में शामिल करने का ऐलान किया गया था, उसके बाद से देश के सरकारी बॉन्डों में 10.4 अरब डॉलर का निवेश आया है। पूर्ण सुलभ मार्ग के तहत जारी 38 बॉन्ड में से 29 ही जेपी मॉर्गन बॉन्ड सूचकांक के लिए पात्रता की कसौटी पर खरे उतरते हैं। शर्तों के मुताबिक बॉन्ड का अंकित मूल्य 1 अरब डॉलर से अधिक होना चाहिए और उसके परिपक्व होने में ढाई साल से ज्यादा वक्त बचा होना चाहिए।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड के अनुसार सूचकांक में भारत के बॉन्ड का भार 10 फीसदी तक होने पर हर महीने कम से कम 2 अरब से 3 अरब डॉलर का निवेश होने का अनुमान है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड में एएसए के लिए मैक्रो ट्रेडिंग की सह-प्रमुख और भारत में वित्तीय बाजार की प्रमुख पारुल मित्तल सिन्हा ने कहा, ‘भारत विविधता के लिहाज से शानदार विकल्प है, जिसकी वृहद आर्थिक स्थिति मजबूत है और मुद्रा स्थिर है। हर महीने 2 से 3 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आ सकता है और अमेरिका में ब्याज दरें घटीं तो निवेश की रफ्तार बढ़ सकती है।’
उन्होंने कहा, ‘अक्टूबर 2023 से प्रवासी भारतीयों ने सरकारी बॉन्डों में करीबन 10 अरब डॉलर का निवेश किया है और डॉलर में निपटाए जाने वाले, रुपये वाले सुपरनैशनल बॉन्ड के जरिये करीब 5 अरब डॉलर का निवेश आया है। जून में ही 2.3 अरब डॉलर का निवेश हुआ है, जो मार्च 2025 के अंत तक 10 फीसदी भार होने के मजबूत भरोसे को दर्शाता है।’