यूनिट लिंक बीमा पॉलिसी को एंडोमेंट पॉलिसी के समांतरचलाने के लिये बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण(इरडा) ने बीमा कंपनियों से कहा कि वे एकल प्रीमियम वाली पॉलिसियों के मामले में चुनी गई अवधि के आधार पर न्यूनतम सम एश्योर्ड या बीमा कवर को बढ़ाएं।
दस साल से कम अवधि की एकल प्रीमियम वाली यूलिप पॉलिसी में कुल बीमा कवर एकल प्रीमियम का 125 गुना होना चाहिए। उसी प्रकार दस साल से अधिक अवधि वाली यूलिप पॉलिसी में बीमा कवर एकल प्रीमियम का 110 गुना होना चाहिए।
नियमित प्रीमियम वाली यूलिप योजनाओं में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है और इन पॉलिसियों में बीमा कवर सालाना देय प्रीमियम का पांच गुना रहेगा।
इरडा केएक्चुअरी सदस्य आर कानन ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा ‘यह कदम यूनिट लिंक्ड पॉलिसियों की लंबी अवधि के गुण-धर्मों को बढ़ाये जाने के लिए किया जा रहा है।
पिछले दो सालों में यूलिप की औसत अवधि 12.5 साल से गिरकर आठ साल हो गई है। इससे कंपनियों के पास लंबी अवधि तक बीमा धनराशि रहेगी और बीमाधारक भी लंबी अवधि की बीमा योजना का लाभ उठा सकेंगे।’
ये नए प्रावधान 1 अप्रैल से लागू होंगे।
वर्तमान प्रावधानों में मृत्यु कवर को यूलिप पॉलिसियों की अवधि के साथ निर्धारित नहीं किया जाता है।
वर्तमान प्रावधानों के अनुसार एकल प्रीमियम के मामले में बीमा की राशि (सम एश्योर्ड) एकल प्रीमियम की 125 फीसदी होनी चाहिये जबकि नियमित सालाना देय एकल प्रीमियम के मामले में यह पांच गुनी होनी चाहिये।
बीमा क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोले जाने के बाद यूलिप बीमा योजनायं बहुत लोकप्रिय हो गयी हैं। जीवन बीमाकर्ता कंपनियों के नए बिजनेस प्रीमियम में यूलिप के प्रीमियम का योगदान 70 प्रतिशत से अधिक है।
दिसंबर 2005 में बीमा नियामक ने यूलिप के लिये दिशा-निर्देश जारी किये थे और बीमा कंपनियों को अपने उत्पादों को इन प्रावधानों के तहत परिवर्तित करने के लिए कहा था।
बीमा कंपनियों से तब 30 अप्रैल 2006 तक इन दिशा-निर्देशों को लागू करने के लिये कहा गया था।
विशेषज्ञों के अनुसार बीमा नियामक नहीं चाहता है कि बीमा क्षेत्र में यूलिप फंड अपनी लोकप्रियता खो दें।