भारत के हेल्थकेयर और फार्मास्युटिकल सेक्टर ने 2024 की शुरुआत में इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) के माध्यम से रिकॉर्ड 14,811 करोड़ रुपये जुटाए, जो पिछले 5-6 सालों में सबसे बड़ा निकास है। यह 2023 में 9,370 करोड़ रुपए के पिछले उच्च स्तर को पार कर गया, जो वैश्विक अवसरों के विस्तार के बीच मजबूत घरेलू मांग में बढ़ोतरी को दिखाता है।
इसमें बड़ा योगदान साई लाइफ साइंसेज (3,043 करोड़ रुपए), IKS हेल्थ (2,498 करोड़ रुपए) और सैगिलिटी इंडिया (2,107 करोड़ रुपए) का है।
इस साल IPO की संख्या कम (पिछले साल 21 की तुलना में 13) होने के बावजूद, औसत इश्यू साइज में काफी बढ़ोतरी देखी गई। भारत में फार्मा इंडस्ट्री इन्वेस्टमेंट के लिए सबसे आकर्षक क्षेत्रों में से एक है।
साई लाइफ साइंसेज के ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) के अनुसार, “वैश्विक फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में टिकाऊ दीर्घकालिक विकास देखने को मिला है। यह लोगों में स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता और जीवन शैली में बदलाव, बुजुर्गों की बढ़ती आबादी के कारण हो रहा है।”
वैश्विक फार्मास्युटिकल मार्केट का 6.2 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है। साल 2023 में इस मार्केट की वैल्यू 1451 अरब डॉलर थी, जो 2028 तक बढ़कर 1956 अरब डॉलर होने की संभावना है।
भारत में फार्मास्युटिकल सेक्टर फॉरेन इन्वेस्टमेंट के लिए टॉप 10 आकर्षक इंडस्ट्री में से एक है, जिसका निर्यात अमेरिका और यूरोप के बाजार सहित दुनिया के 200 से अधिक देशों तक पहुंचता है।
जेनिथ ड्रग्स के DRHP के अनुसार, ‘मात्रा के हिसाब से वैश्विक जेनेरिक दवा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है, जो भारत को दुनिया में एक ग्लोबल प्रोवाइडर के रूप में स्थापित करता है। वित्त वर्ष 2013 में फार्मास्युटिकल एक्सपोर्ट 25।3 बिलियन डॉलर था। सिर्फ मार्च 2023 में 2।48 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट किया गया था।’
विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक दवा की कमी के चलते भारतीय ड्रग मेकर्स के पास दुनिया के एक्सपोर्ट मार्केट में फायदा उठाने का मौका है।
नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) और इंडस्ट्री एक्सपर्ट श्रीकांत अकोलकर ने इसे बढ़ावा देने के मुख्य कारण पर कहते हैं, “ब्रांडेड जेनेरिक घरेलू मार्केट को चलाते हैं। दुनिया के कई देश, खासकर अमेरिका में, प्रोडक्ट की कमी और सुविधा बंद होने के चलते एक्सपोर्ट के मौके बढ़े हैं। बायोसिमिलर, जीएलपी-1 ड्रग्स और इंजेक्टेबल्स जैसी उभरती श्रेणियां भविष्य में बढ़ोतरी के लिए तैयार हैं। ”
इसके अलावा कोरोना महामारी के बाद हॉस्पिटल सेक्टर में भी दोबारा से बढ़ोतरी देखने को मिली है। नए IPO के लिए हाई सब्सक्रिप्शन रेट से इसका पता चलता है। हेल्थकेयर सर्विस डिलीवरी पर फोकस करने वाली कंपनियां सैगिलिटी इंडिया और IKS हेल्थकेयर कंपनियां हेल्थ केयर इकोसिस्टम के नॉन-ट्रेडिशनल के इन्वेस्टर के रुझानों को दर्शाती है।
इस सेक्टर में अगर अन्य अवसरों की बात करें तो इसमें ऑफ-पेटेंट प्रोडक्ट, बायोसिमिलर और इनोवेटिव थेरेपी शामिल हैं।
एक्सपर्ट इसके लिए टियर-2 और टियर-3 शहरों की ओर इशारा करते हैं, जो लॉंग टर्म ग्रोथ में अपना योगदान दे रही है।
अकोलकर कहते हैं, “भारत का हेल्थकेयर और फार्मास्युटिकल सेक्टर घरेलू खपत और निर्यात के मौके के सहयोग से ग्रोथ के लिए तैयार है। पहले भी अच्छा प्रदर्शन कर चुके और भविष्य में सकारात्मक होने के चलते इसने इन्वेस्टर्स में एक विश्वास पैदा किया है, जिसे इस में उनका इंटरेस्ट बढ़ रहा है। इसके चलते इनवेस्ट भी बढ़ा है।”