हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनैंस कॉरपोरेशन (HDFC) का HDFC Bank के साथ विलय लार्जकैप फंड प्रबंधकों की चुनौतियां बढ़ा सकता है। कई लार्जकैप फंड प्रबंधकों को उनके बेंचमार्कों द्वारा अर्जित रिटर्न के अनुरूप तेजी दर्ज करने में संघर्ष करना पड़ रहा है।
HDFC के साथ विलय के बाद HDFC Bank का BSE के सेंसेक्स और NSE के निफ्टी-50 सूचकांकों में संयुक्त भारांक सक्रिय म्युचुअल फंड (MF) योजनाओं के लिए निर्धारित सीमा के मुकबले काफी ज्यादा हो सकता है।
यदि HDFC Bank का शेयर बाजारों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करता है तो इससे लार्ज-कैप फंडों का प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है, क्योंकि वे सिंगल स्टॉक लिमिट (10 प्रतिशत तक निवेश) का पालन करने की वजह से इस शेयर पर अंडरवेट बने रहने के लिए बाध्य होंगे। MF नियमों के तहत सक्रिय योजनाओं को किसी एक शेयर में 10 प्रतिशत से ज्यादा निवेश की अनुमति नहीं है।
19 जून तक, इन दो शेयरों का निफ्टी-50 और सेंसेक्स में 13.9 प्रतिशत और 16 प्रतिशत का संयुक्त भारांक था। मौजूदा समय में, रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) का सेंसेक्स और निफ्टी, दोनों में 10 प्रतिशत से ज्यादा भारांक है।
ऐक्टिव फंडों के लिए निवेश प्रत्येक शेयर में 10 प्रतिशत पर सीमित होने से, जब भी RIL शेयर शानदार तेजी दर्ज करता है लार्जकैप फंड मैनेजर स्वयं को नुकसान में पाते हैं।
एक फंड प्रबंधक का कहना है, ‘फंड प्रबंधकों के लिए दोहरी अनिश्चितता पैदा होगी, क्योंकि, RIL और HDFC Bank, दोनों के लिए परिदृश्य आशाजनक है।’
ब्लूमबर्ग के आंकड़े से पता चलता है कि HDFC Bank के लिए 12 महीने का कीमत लक्ष्य उसके मौजूदा भाव की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक है, जबकि RIL में तेजी 10 प्रतिशत देखी गई है।
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पिछले समय में, फंड प्रबंधकों को संबद्ध सूचकांकों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन का सामना करना पड़ा, जिसकी मुख्य तौर पर वजह यह थी कि उनके पास पर्याप्त मात्रा में RIL का शेयर नहीं था। ताजा उदाहरण 2021-22 की दूसरी छमाही के दौरान देखा गया, जब शेयर कीमतों में भारी तेजी के बाद सूचकांकों में आरआईएल का भारांक (वेटेज) 12 प्रतिशत पर पहुंच गया था। जून 2020 में RIL का वेटेज निफ्टी-50 में 15 प्रतिशत की सर्वाधिक ऊंचाई पर पहुंच गया था।
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इस बदलाव से फंड प्रबंधकों को ज्यादा समस्याएं नहीं आएंगी, क्योंकि प्रदर्शन पर प्रभाव की भरपाई अन्य विकल्पों के जरिये की जा सकेगी।
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निवेश सलाहकार एवं शोध विश्लेषक संदीप सभरवाल का कहना है, ‘मैं इसे बड़ी समस्या के रूप में नहीं देखता। ऐक्टिव लार्जकैप फंडों में अच्छा प्रदर्शन करने के कई कारण हैं।’
मई के अंत तक, कई ऐक्टिव लार्ज-कैप फंडों का HDFC और HDFC Bank में 10 प्रतिशत से ज्यादा निवेश था। फंड प्रबंधकों का कहना है कि वे अपना निवेश घटाने से पहले बाजार नियामक सेबी से स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार कर रहे हैं।