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IDBI बैंकः कल, आज और कल

IDBI बैंक एक ऐसा निजी बैंक है जिसे कुछ उन शर्तों को पूरा करना होता है जो एक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक को करना होता है।

Last Updated- June 21, 2023 | 7:44 PM IST
IDBI Bank
BS

भारत सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के लिए यह अच्छी खबर होनी चाहिए कि IDBI बैंक वित्त वर्ष 2023 के लिए लाभांश का भुगतान करने के लिए तैयार है। इसमें LIC और सरकार की हिस्सेदारी क्रमशः 49.24 प्रतिशत और 45.48 प्रतिशत है। हालांकि लाभांश भुगतान शेयरधारकों की मंजूरी से ही संभव है।

पिछली बार उसने 2015 में लाभांश (7.5 प्रतिशत) का भुगतान किया था जिससे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इसे अपनी त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (PCA) के दायरे में लाने पर मजबूर हुआ और इस वजह से इसकी वृद्धि बाधित हुई। इस बार IDBI ने 10 फीसदी लाभांश भुगतान की योजना बनाई है। यह मार्च 2021 में PCA के दायरे से बाहर हो गया था।

IDBI बैंक एक ऐसा निजी बैंक है जिसे कुछ उन शर्तों को पूरा करना होता है जो एक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक को करना होता है। इस पर नजर डालते हैं कि इसके निजीकरण से जुड़े पहलू क्या हैं। LIC इसमें अपनी 30.24 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 19 प्रतिशत के स्तर पर आ जाएगी। भारत सरकार 30.48 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी और अपनी हिस्सेदारी घटाकर 15 प्रतिशत करेगी, लेकिन इसे सार्वजनिक शेयरधारिता ही माना जाएगा।

इसका मतलब है कि बिक्री के बाद LIC और भारत सरकार की संयुक्त हिस्सेदारी 94.72 प्रतिशत से घटकर 34 प्रतिशत रह जाएगी। अब 60 प्रतिशत हिस्सेदारी नए मालिक के पास होगी जिससे यह वास्तव में एक निजी बैंक बन जाएगा।

इस प्रक्रिया में देरी होने की वजह से मीडिया में संभावित दावेदारों को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। IDBI बैंक के विनिवेश को टाले जाने संबंधी मीडिया रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देते हुए निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने 17 मार्च को ट्वीट किया, ‘मीडिया में आई खबरें भ्रामक, काल्पनिक और आधारहीन हैं। कई अभिरुचि पत्र (EOI) मिलने के बाद EOI के बाद के चरण की परिभाषित प्रक्रिया के अनुसार लेनदेन ट्रैक पर बना हुआ है।’ दीपम सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में सरकारी हिस्सेदारी का प्रबंधन करता है। मीडिया की खबरों में संभावित बोलीदाताओं के बारे में भी कयास लगाए जा रहे हैं।

इसके लिए कोटक महिंद्रा बैंक सहित पांच को लेकर अटकलें जताई जा रही हैं जिसमें, कनाडा के अरबपति प्रेम वत्स का फेयरफैक्स समूह, सीएसबी बैंक के प्रवर्तक और अमीरात एनबीडी बैंक पीजेएससी, दुबई के सरकारी स्वामित्व वाला बैंक और संपत्ति के मामले में पश्चिम एशिया के सबसे बड़े बैंकिंग समूहों में से एक शामिल हैं। दीपम के अलावा एकमात्र इकाई जो इस घटनाक्रम की जानकारी रख रही है, वह परामर्श कंपनी KPMG है।

IDBI बैंक में रणनीतिक विनिवेश के लिए अभिरुचि पत्र आमंत्रित करने वाला प्रारंभिक सूचना ज्ञापन, पिछले साल अक्टूबर में जारी किया गया था। तकनीकी बोलियों की मांग की गई थी। कई बोली लगी भी हैं और उनमें से कम से कम एक को खारिज कर दिया गया है।

अब RBI के साथ विचार-विमर्श जारी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि बैंक का स्वामित्व हासिल करने के लिए नियामक के ‘उपयुक्त और उचित’ मानदंडों पर कितने बोली लगाने वाले लोग फिट बैठते हैं। फिर वित्तीय बोली आमंत्रित की जाएगी।

इसके बाद IDBI बैंक को बोली लगाने वालों के लिए वर्चुअल डेटा रूम खोलना होगा। पूरी प्रक्रिया दिसंबर तक पूरी हो जानी चाहिए, जिससे दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की भारत सरकार की योजना का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।

हम IDBI बैंक की सेहत की जांच करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध डेटा का विश्लेषण कर सकते हैं। बैंक के वर्तमान प्रबंध निदेशक (MD) और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO), राकेश शर्मा ने 10 अक्टूबर, 2018 को कार्यभार संभाला। उन्होंने सितंबर 2018 की तिमाही की आमदनी की घोषणा की, जो संभवतः इसके इतिहास में सबसे खराब है।
इससे पहले जून 2018 तिमाही में बैंक की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (NPA) 30.78 प्रतिशत और शुद्ध NPA 18.76 प्रतिशत थीं। सितंबर में सकल NPA बढ़कर 31.78 प्रतिशत हो गया, जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे अधिक है, जबकि शुद्ध NPA थोड़ा कम होकर 17.3 प्रतिशत हो गया।

सितंबर 2018 तिमाही में इसका शुद्ध घाटा 3,602 करोड़ रुपये रहा था। दिसंबर 2015 और मार्च 2016 में लगातार दो तिमाहियों में बैंक को शुद्ध घाटा हुआ था लेकिन अगली दो तिमाहियों में इसमें फिर से सुधार दिखा। दिसंबर 2016 में बैलेंसशीट फिर से घाटे में थी और यह रुझान दिसंबर 2019 तक बरकरार रहा। उस समय तक उसे 45,064 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हो चुका था।

मार्च 2020 में मुनाफे का रुझान फिर से वापस आने के बाद IDBI बैंक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा है। वित्त वर्ष 2021 में कंपनी का शुद्ध लाभ 2,439 करोड़ रुपये रहा था, जो वित्त वर्ष 2012 में अब तक के सर्वाधिक 2,032 करोड़ रुपये से अधिक है। वित्त वर्ष 2023 में कंपनी का शुद्ध लाभ बढ़कर 3,645 करोड़ रुपये हो गया।

मार्च 2023 में इसका सकल NPA 6.38 प्रतिशत और शुद्ध NPA 0.92 प्रतिशत था। उसने 61,700 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाल दिए। हर साल कम से कम 5,000 करोड़ रुपये के फंसे कर्ज की वसूली में बैंक बेहद आक्रामक रहा है। चूंकि बट्टे खाते में डाले गए कर्ज के विवरण पहले ही उपलब्ध कराए जा चुके हैं इसीलिए इस तरह की वसूली बैंक का मुनाफा बढ़ती है।

बैंक की सेहत के लिए महत्त्वपूर्ण माने जाने वाला, पूंजी पर्याप्तता अनुपात सितंबर 2018 के 6.22 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2023 में 20.44 प्रतिशत हो गया है। वहीं बैंक का प्रावधान कवरेज अनुपात, सितंबर 2018 के 68.72 प्रतिशत से अब 97.94 प्रतिशत है।

बैंक वसूली के अलावा कुछ ऋणों को अपडेट कर रहा है क्योंकि उधारकर्ताओं को भुगतान करने के लिए राजी किया गया है और कुछ खराब निवेश भी हटाए जा रहे हैं। पिछले साल इसने 3,200 करोड़ रुपये के दो फंसे कर्ज, नैशनल ऐसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी को बेचे थे।

सितंबर 2018 में उच्च लागत वाली थोक जमा कुल जमा का 34.72 प्रतिशत और कम लागत वाले चालू एवं बचत खाते (कासा) का 38.13 प्रतिशत थे। मार्च 2023 तक थोक जमा कम होकर कुल जमा का 12.64 प्रतिशत और चालू एवं बचत खाते का 53.02 प्रतिशत तक हो गया था। जमा की लागत 5.41 प्रतिशत से घटकर 3.71 प्रतिशत रह गई है। इसके बाद, सितंबर 2018 और मार्च 2023 के बीच शुद्ध ब्याज मार्जिन1.8 प्रतिशत से बढ़कर 3.72 प्रतिशत हो गया।

बैंक की उच्च आमदनी में योगदान देने वाला एक और महत्त्वपूर्ण कारक है। सितंबर 2018 तक, इसने राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक द्वारा संचालित ग्रामीण अवसंरचना विकास कोष (आरआईडीएफ) में कम से कम 22,000 करोड़ रुपये जमा किए थे। बैंक को ऐसा कदम उठाने की आवश्यकता तब होती है जब वह प्राथमिकता वाले ऋण लक्ष्यों को पूरा करने में असफल रहता है। इस पर आय 3.25-3.5 प्रतिशत थी, जबकि यह थोक जमा पर बहुत अधिक ब्याज दे रही थी। अब आरआईडीएफ निवेश घटकर 8,300 करोड़ रुपये रह गया है।

परिसंपत्ति-उत्तरदायित्व के बेहतर प्रबंधन ने इसके मुनाफे में योगदान दिया है। IDBI बैंक ने भी कॉरपोरेट ऋणों के जोखिम से खुद को मुक्त कर लिया है, जो NPA का प्रमुख कारक बनता है। सितंबर 2018 में 54:46, कॉरपोरेट:खुदरा ऋण संयोजन से यह अनुपात अब 31:69 हो गया है। मैं समझता हूं कि इसका उद्देश्य 40:60, कॉरपोरेट:खुदरा ऋण को संतुलित तरीके से जोड़ना है।

कॉरपोरेट ऋण में सबसे ज्यादा 69,000 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी संपत्ति को गिरवी रखने और उस पर ऋण लेने से जुड़ी है। रिटेल क्षेत्र में वाहन ऋण, निजी ऋण और शिक्षा ऋण के साथ-साथ गोल्ड लोन (10,000 करोड़ रुपये) भी हैं।

यह भारत में पहले रिसीवेबल एक्सचेंज, टीआरईडीएस (ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम) पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों, बड़ी कंपनियों और फाइनैंसरों के बीच लेटर ऑफ क्रेडिट के एवज में छूट वाले बिलों और ट्रेड रिसीवेबल्स की छूट जैसी चीजों को भी बढ़ावा दे रहा है।

दो प्रमुख मापदंडों संपत्ति पर प्रतिफल और इक्विटी पर प्रतिफल के अनुरूप इसका प्रदर्शन कैसा है? ये क्रमशः 1.2 प्रतिशत और 16.15 प्रतिशत हैं, जो इसके कई प्रतिस्पर्धी बैंकों की तुलना में बेहतर हैं। IDBI बैंक के लिए हम कुछ गंभीर दावेदारों को देख सकते हैं।

First Published - June 21, 2023 | 7:44 PM IST

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