सोना इस समय रिकॉर्ड स्तर के करीब पहुंच गया है और $4,000 प्रति औंस के पास कारोबार कर रहा है। इसका असर सिर्फ अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर ही नहीं, बल्कि भारत में भी देखने को मिल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि सोने की कीमत में यह तेजी और बढ़ सकती है।
अमेरिका में सरकार का शटडाउन होने से वित्तीय अनिश्चितता बढ़ गई है। हाल ही में रिपब्लिकन नियंत्रित सीनेट ने 30 सितंबर तक जरूरी फंडिंग बिल पास नहीं किया। इसके कारण करीब 40% कर्मचारी, यानी लगभग 7.5 लाख लोग बिना वेतन के घर बैठे हैं। निवेशकों को जरूरी आर्थिक आंकड़े नहीं मिल रहे, जिससे लोग सुरक्षित निवेश यानी सोने की ओर बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस महीने US फेडरल रिजर्व 25 बेसिस प्वाइंट की दर में कटौती कर सकता है, जिससे सोने को और मजबूती मिलेगी।
फ्रांस में प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने अपने नए कैबिनेट की घोषणा के कुछ घंटे बाद ही इस्तीफा दे दिया। वहीं, जापान में सना टीकाइची के प्रधानमंत्री बनने की संभावना ने भी वैश्विक बाजार में हलचल पैदा कर दी है। राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता के कारण निवेशक सुरक्षित निवेश यानी सोने की ओर खिंच रहे हैं।
इस साल सोने की कीमत में लगभग 50% की बढ़त देखी गई है। इसका मुख्य कारण है केंद्रीय बैंकों की खरीद, ETF में निवेश की तेजी और डॉलर में कमजोरी। Goldman Sachs ने दिसंबर 2026 के लिए सोने की नई भविष्यवाणी $4,900 प्रति औंस की की है, पहले यह $4,300 थी। विशेषज्ञों का कहना है कि ETF निवेश और केंद्रीय बैंक की खरीद सोने की कीमत को और ऊपर ले जा सकती है।
चीन के केंद्रीय बैंक ने लगातार 11वें महीने सोना खरीदा। सितंबर के अंत तक चीन के सोने के भंडार 74.06 मिलियन औंस हो गए, जो अगस्त के 74.02 मिलियन औंस से ज्यादा है। यह दिखाता है कि बड़े निवेशक सुरक्षित निवेश के लिए सोने की ओर रुख कर रहे हैं।
भारत में सोने का भाव $3,960 प्रति औंस के आसपास था। वैश्विक रुझान और निवेश की बढ़ती मांग के चलते भारतीय बाजार में भी कीमतें बढ़ रही हैं।