प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
अमेरिकी कोर्ट ने बायजू के फाउंडर बायजू रवींद्रन के खिलाफ डिफॉल्ट जजमेंट जारी करते हुए उन्हें व्यक्तिगत तौर पर एक अरब डॉलर से अधिक की राशि चुकाने का आदेश दिया है। यह फैसला डेलावेयर बैंकरप्सी कोर्ट ने 20 नवंबर 2025 को सुनाया। मामला बायजू की अमेरिकी कंपनी BYJU’s Alpha और अमेरिकी लेंडर GLAS ट्रस्ट कंपनी LLC की याचिका से जुड़ा है।
कोर्ट के अनुसार रवींद्रन ने उसके डिस्कवरी ऑर्डर का पालन नहीं किया और कई बार जानकारी देने से बचते रहे। कोर्ट ने कहा कि रवींद्रन के खिलाफ डिफॉल्ट जजमेंट जारी किया जा रहा है, जिसमें 533 मिलियन डॉलर की पहली राशि और काउंट II, V और VI के तहत 540,647,109.29 डॉलर की अतिरिक्त राशि चुकानी होगी।
कोर्ट ने रवींद्रन को निर्देश दिया है कि वे BYJU’s Alpha से जुड़े फंड्स और उनकी पूरी मूवमेंट का पूरा व सही हिसाब दें। इसमें Camshaft LP Interest जैसे एसेट्स और उनसे जुड़े हर ट्रांसफर तथा हर लेन-देन की जानकारी शामिल है। हालांकि, इसपर रवींद्रन का पक्ष जानने के लिए उनके अधिकृत एजेंसी को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला।
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BYJU’s Alpha का गठन तब हुआ था जब रवींद्रन थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड (TLPL) का मैनेजमेंट संभाल रहे थे। TLPL ने अमेरिकी लेंडर्स से 1 बिलियन डॉलर का टर्म लोन B लिया था। बता दें कि टर्म लोन B एक प्रकार का लंबी अवधि वाला लोन होता है, जिसे आमतौर पर बड़ी कंपनियां प्राइवेट इक्विटी फर्मों या संस्थागत निवेशकों से लेती हैं। बाद में लेंडर्स ने आरोप लगाया कि BYJU’s Alpha ने लोन की शर्तों का उल्लंघन किया और 533 मिलियन डॉलर को अवैध रूप से अमेरिका से बाहर ट्रांसफर किया।
GLAS Trust ने डेलावेयर कोर्ट में केस दायर किया और BYJU’s Alpha पर नियंत्रण हासिल किया। इसके बाद दोनों पक्षों ने डेलावेयर बैंकरप्सी कोर्ट में 533 मिलियन डॉलर और उससे जुड़े लेन-देन की डिस्कवरी के लिए याचिका दायर की।
कोर्ट ने पाया कि रवींद्रन को डिस्कवरी ऑर्डर की पूरी जानकारी थी, लेकिन उन्होंने जानबूझकर पालन नहीं किया। उन्हें पहले ही कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का दोषी ठहराते हुए 10,000 डॉलर प्रतिदिन का जुर्माना लगाया गया था, जिसे उन्होंने अब तक नहीं भरा।
कोर्ट ने कहा कि रवींद्रन विदेश में रहते हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि वे न तो जुर्माना भरने के इच्छुक हैं और न ही कोर्ट के आदेशों का पालन करने के। इसलिए केवल आर्थिक दंड पर्याप्त नहीं है, और इसीलिए डिफॉल्ट जजमेंट जैसी सख्त कार्रवाई जरूरी है।
(PTI के इनपुट के साथ)