प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
बाजार नियामक सेबी रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट्स) को बाजार सूचकांकों में शामिल करने का जायजा ले रहा है ताकि निवेश के इस जरिये में तरलता और संस्थागत निवेश में सुधार हो सके। साथ ही म्युचुअल फंड योजनाओं के कोष का विस्तार करने पर भी विचार किया जा रहा है, जिसमें रीट्स और बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (इनविट्स) निवेश कर सकते हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने शुक्रवार को नई दिल्ली में रीट्स और इनविट्स पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा, सेबी सभी हितधारकों के साथ मिलकर उचित जरिये से रीट्स को सूचकांकों में शामिल करने के लिए काम करेगा। उन्होंने कहा, हम लिक्विड म्युचुअल फंड योजनाओं के कोष का विस्तार करने के प्रस्ताव की जांच कर रहे हैं, जिनमें रीट्स और इनविट्स निवेशकों के हितों की रक्षा करते हुए निवेश कर सकते हैं।
इस महीने की शुरुआत में सेबी ने म्युचुअल फंड नियमों में संशोधन करके रीट्स इकाइयों को स्पष्ट रूप से पात्र इक्विटी निवेश के रूप में वर्गीकृत किया था, जिससे म्युचुअल फंडों को इक्विटी डेरिवेटिव और अन्य साधनों के साथ-साथ उनमें सीधे निवेश करके और अधिक विविधता की इजाजत मिल गई। विशेषज्ञों का कहना है कि इस परिवर्तन से रीट्स के लिए इक्विटी सूचकांकों में प्रवेश का द्वार खुलता है।
भारत में वर्तमान में पांच सूचीबद्ध रीट्स हैं, जिनका बाजार पूंजीकरण 21,000 करोड़ रुपये से 52,700 करोड़ रुपये के बीच है। विश्लेषकों के अनुसार इनमें से सबसे बड़ा नॉलेज रियल्टी ट्रस्ट रीट्स जल्द ही निफ्टी स्मॉलकैप 100 या निफ्टी रियल एस्टेट जैसे सूचकांकों में शामिल होने का पात्र हो सकता है। पांडेय ने कहा, नियामक निर्माणाधीन परिसंपत्तियों को रीट्स पोर्टफोलियो में शामिल करने के विचार कर रहा है, लेकिन ऐसा उचित सुरक्षा उपायों के साथ करना होगा, संभवतः प्रतिशत शेयर के आधार पर। लेकिन उन्होंने इस बारे में अधिक जानकारी नहीं दी।
पांडेय ने कहा कि बाजार नियामक इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या निजी इनविट्स भी पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ ग्रीनफील्ड परियोजनाओं में निवेश कर सकते हैं। उन्होंने कहा, नगरपालिका बॉन्ड और राज्यस्तरीय इनविट्स स्वाभाविक रूप से इस तंत्र के पूरक हैं। महाराष्ट्र सरकार द्वारा महाराष्ट्र इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट बनाने की हालिया घोषणा राज्य स्तर पर बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने रीट्स और इनविट्स के व्यापक विश्लेषक कवरेज की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला, जो निवेशकों को इन योजनाओं में भागीदारी के बारे में शिक्षित करने के बड़े लक्ष्य में सहायक होगा। प्राथमिक बाजार के मामले में पांडेय ने कहा कि सेबी आईपीओ, राइट्स इश्यू, क्यूआईपी और बॉन्ड के माध्यम से पूंजी जुटाने को सरल बनाना जारी रखेगा।
पांडेय ने कहा कि नियामक पहले से ही रीट्स और इनविट्स में संस्थागत निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए उनसे बातचीत कर रहा है। उन्होंने कहा, हम सार्वजनिक संपत्ति के मुद्रीकरण में तेजी लाने के लिए वित्त मंत्रालय और कई राज्य सरकारों के साथ समन्वय कर रहे हैं। हम आईआरडीएआई, पीएफआरडीए और ईपीएफओ के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि उनके दायरे में आने वाली संस्थाओं की भागीदारी बढ़ सके।
सेबी चेयरमैन ने कहा कि नियामक रीट्स और इनविट्स के लिए कारोबारी सुगमता के उपायों का मूल्यांकन कर रहा है, जिसके लिए वह उद्योग के हितधारकों के साथ विचार-विमर्श कर रहा है और यह इन साधनों तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाने की आवश्यकता मानता है। इससे अप्रत्यक्ष रूप से यूनिटधारकों को उच्च मूल्य वाली परिसंपत्तियों तक निवेशकों की पहुंच होगी और वास्तविक व नकद रिटर्न मिलेगा।
उन्होंने कहा, हमारी उम्मीदें स्पष्ट हैं। गवर्नेंस और निवेशकों के हितों पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। अपने संगठनों, अपनी डिजिटल उपस्थिति और अपने नेटवर्क का उपयोग करके निवेशकों को विभिन्न भाषाओं में शिक्षित करें। मजबूत बेंचमार्किंग और डिस्क्लोजर के साथ आप निवेशकों को वह पारदर्शिता दे सकते हैं, जिससे वह निवेश बरकरार रखें।
अक्टूबर 2025 तक रीट्स, इनविट्स और एसएम रीट्स की संयुक्त प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां लगभग 9.25 लाख करोड़ रुपये आंकी गई हैं, जिनमें से 7 लाख करोड़ रुपये इनविट्स में, 2.25 लाख करोड़ रुपये रीट्स और एसएम रीट्स में हैं।