क्रेडिट जोखिम ऋण वाली ज्यादातर म्युचुअल फंड (MF) योजनाएं और मध्य अवधि वाले कुछ फंड आने वाले वर्षों में 8.5 प्रतिशत से अधिक सालाना प्रतिफल दे सकते हैं क्योंकि फंड प्रबंधक इन श्रेणियों में कम रेटिंग वाली सिक्योरिटीज में निवेश बढ़ा रहे हैं।
अप्रैल के आखिर में क्रेडिट जोखिम फंडों के लिए औसत यील्ड टु मैच्योरिटी (वाईटीएम) 8.4 प्रतिशत और मध्य अवधि वाले फंडों के लिए 7.9 प्रतिशत था। यील्ड टु मैच्योरिटी भविष्य के प्रतिफल का संकेत देता है।
प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों से पता चलता है कि एए और इससे कम रेटिंग वाली प्रतिभूतियों में म्युयुअल फंडों का निवेश दिसंबर 2023 के आखिर में 45,641 करोड़ रुपये था जो अप्रैल 2024 में बढ़कर 51,360 करोड़ रुपये हो चुका है। निवेशकों द्वारा साल 2024 में अब तक क्रेडिट जोखिम फंडों से करीब 1,350 करोड़ रुपये निकाले जाने के बावजूद यह इजाफा हुआ है।
आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल ऐसेट मैनेजमंट कंपनी (एएमसी) के वरिष्ठ फंड प्रबंधक अखिल कक्कड़ ने कहा, ‘हमारे क्रेडिट जोखिम फंड का लक्ष्य वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रतिफल सृजित करना है। इसलिए एए और इससे कम रेटिंग वाली प्रतिभूतियां पोर्टफोलियो का मुख्य हिस्सा हैं क्योंकि उनसे अपेक्षाकृत ज्यादा रिटर्न की उम्मीद है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान निजी निगमों ने कर्ज कम किया है और उनकी बैलेंस शीट अच्छी स्थिति में है। क्षमता उपयोग बढ़ने की वजह से हमें उम्मीद है कि निजी पूंजीगत व्यय में तेजी आएगी, जिसके फलस्वरूप क्रेडिट मांग ज्यादा होगी। हम इन प्रतिभूतियों में फायदे के मौके के अनुसार निवेश जारी रखेंगे।’
ऐक्सिस फंड में प्रमुख (निश्चित आय) देवांग शाह ने कहा, ‘हम पोर्टफोलियो में अपना क्रेडिट आवंटन तय करते समय ज्यादा से कम का नजरिया अपनाते हैं। आज बेहतर कॉर्पोरेट के फायदे, दमदार विकास चक्र और बेहतर मांग परिदृश्य की वजह से हम क्रेडिट चक्र के साथ सहज हैं। एए- और ए- रेटिंग वाली परिसंपत्तियों के लिए स्प्रेड आकर्षक हैं और इस वजह से अच्छे क्रेडिट चक्र और आकर्षक स्प्रेड के मद्देनजर हमने एए- और ए- रेटिंग वाली परिसंपत्तियों में अपना निवेश बढ़ा दिया है।’
हालांकि मध्य से दीर्घावधि वाले ज्यादातर डेट फंडों को पिछले तीन से चार वर्षों के दौरान कमजोर यील्ड और पिछले साल कराधान में बदलाव की वजह से निवेश हासिल करने के लिए जूझाना पड़ा है, लेकिन क्रेडिट जोखिम फंडों को सबसे बड़ा झटका फ्रैंकलिन टेम्पलटन फंड के संकट के बाद लगा।
कोविड-19 संकट की शुरुआती अवधि के दौरान कम रेटिंग वाले ऋण बाजार में तरलता की कमी ने भी फंड प्रबंधकों को क्रेडिट जोखिम वाले फंड में कम जोखिम लेने के लिए मजबूर किया, जिससे अन्य डेट फंडों की तुलना में उनके वाईटीएम अंतर में गिरावट आई।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के नियमों के अनुसार क्रेडिट जोखिम फंडों को एए और इससे कम रेटिंग वाली प्रतिभूतियों में कम से कम 65 प्रतिशत निवेश रखना होता है।