इन्वेसट्मेंट मैंडट्स में समानता होने के कारण दो फंड हाउसों को मजबूरन इसकी घोषणा करनी पड़ी है कि वे अपने मौजूदा स्कीमों का विलय कर लेंगे।
लेकिन इस बाबत निवेश सलाहकारों और पोर्टफोलियो मैनेजरों का मानना है कि इस कदम से उन निवेशकों को आपत्ति हो सकती है जिन्होने शार्ट-टर्म कैपिटल गेन्स के लिए निवेश किया है क्योंकि सालभर से ज्यादा समय तक यूनिटों में पूंजी लगाए रखने पर उन्हें अनावश्यक बोझ उठाना पड़ सकता है।
लिहाजा, आईएनजी लॉयन (लार्ज कैप, इंटरमीडियट कैप, ऑपरचुनिटिज,न्यू ऑफरिंग्स) फंड और आईएनजी कोर इक्विटी फंड विलय कर लिए जाएंगे,क्योंकि दोनों फंडों की निवेश योजनाओं में खासी समानता है। इस प्रकार,आईएनजी लॉयन के बोनस ऑप्शन को इसके ग्रोथ ऑप्शन के साथ और इसी तरह इस फंड के दूसरे ऑप्शन का आईएनजी कोर इक्विटी फंड में विलय कर दिया जाएगा।
हालांकि इंवेस्ट्मेंट ऑब्जेक्टिव और एसेट् एलोकेशन नीतियां जस-की तस रहेंगी। फंड ने स्पष्ट किया है कि वैसे निवेशक, जिन्होनें विलय को मंजूरी नहीं दी है, वे 24 अप्रैल से लेकर 23 मई तक अपने निवेश को वापस निकाल सकते हैं। इसके लिए उन्हें किसी अतिरिक्त कर की अदायगी नहीं करनी पड़ेगी। उधर केनरा रोबैको ने भी यह घोषणा की है कि वह अपनी एक्सपो स्कीम और के नरा रोबैको फॉरच्यून-94 स्कीम को केनरा रोबैको इक्विटी डाइवर्सिफाइड स्कीम में विलय कर देगा।
इससे पहले केनरा रोबैको फंड ने घोषणा की थी कि वह बैलेंस स्कीम और बैलेंस स्कीम-2 को मिलाकर एक फंड बनाएंगे,जिसका संयुक्त नाम केनरा रोबैको बैलेंस रहेगा। यह फंड 40 से 75 फीसदी एसेट्स का निवेश इक्विटी में करेंगे और शेष का निवेश ऋण और मनी मार्केट योजनाओं में किया जाएगा।
दोनों प्लान की समानता यह है कि दोनों का मकसद एक जैसा ही है,के वल एक चीज दोनों में अंतर पैदा करती है। वह यह कि पहले वाले प्लान में शेयर बाजार में 60 फीसदी तक निवेश किया गया है जबकि दूसरे फंड से इक्विटी में 75 फीसदी का।
दूसरी तरफ यूनिट्स होल्डर जिन्होंने इन स्कीमों में निवेश किया है वो भी दूसरी नई स्कीमों की ओर रूख कर सकते हैं। हालांकि नई स्कीमों की योजनाएं पुरानी वालों से अलग होंगी,लिहाजा पुरानी स्कीमों वाले फायदे मिलने की संभावना नई स्कीमों से नहीं होंगी। इसलिए एसेट मैनेजमेंट कंपनियों का मानना है कि स्कीमों के स्थानांतरण को वे पुरानी यूनिटों के रिडम्प्शन के रूप में ले रहे हैं,जबकि नई यूनिटों की ताजा खरीद का मतलब है कि निवेशक कर का भार उठाने को तैयार हैं।
इसके लिए वे कोई भी विकल्प आजमा सकते हैं। दूसरी ओर एक चार्टर्ड एकांउटेंट का कहना है कि फंड हाउसेज केवल छोटे स्कीमों का विलय कर रहे हैं जिनमें पिछले एक साल के दौरान कम कारोबार हुआ है इस प्रकार,सैद्धांतिक रूप से निवेशक स्कीमों के विलय के दौरान करभार उठाने को तैयार हैं पर व्यावहारिक रूप से देखा जाए तो इन योजनाओं के वापसी के चेक तक निवेशकों के खाते में नहीं पहुंच पा रहे हैं।
ज्यादातर स्थितियों में लोग बगैर कर अदा किए हुए निकल पड़ते हैं क्योंकि बाद में उनकी पहचान कर पाना काफी मुश्किल होता है।उधर सेबी के मुताबिक किसी भी स्कीम में एक निवेशक का 25 फीसदी से ज्यादा एक्सपोजर नहीं होना चाहिये और साथ ही प्रत्येक स्कीम में कम से कम 20 निवेशक होने चाहिये।
फंड इंड्रस्टी के अंदरुनी सूत्रों का कहना है कि कुछ स्कीम बहुत ही छोटी हैं और आने वाले समय में इन स्कीमों में अधिक एकीकरण देखा जा सकता है। वर्ष 2005 में सेबी ने कुछ निर्देश जारी किये थे जिसमें एक ऐसे ट्रस्टी की आवश्यकता थी जो कि इस बात की गारंटी ले कि सेबी ने जिस उत्पाद को अनुमति दी है, वह नया है और किसी भी वर्तमान स्कीम का परिवर्तित रुप नहीं है।
हालांकि इन उत्पादों में से अधिकांश को सेबी के दिशा-निर्देशों केप्रभावी होने के पहले ही लांच कर दिया था। दोनों फंड हाउसों का कहना है कि वे स्कीमों को इसलिये मिला रहे हैं क्योंकि उन्हें निवेशकों ने पैसा निवेश के लिए दिया है और वे यही कर रहे हैं। जहां तक आईएनजी की बात है उसने मात्र एलआईओएन (लॉयन) स्कीम के तहत मात्र 48 करोड़ केशेयरों के बोनस, डिविडेंड और ग्रोथ ऑप्शन का प्रबंधन किया।
पिछले साल दिसंबर में आईएनजी ने अपने ग्रोथ फंड को आईएनजी ऑपरचुनिटी लार्ज कैप फंड के साथ मिला दिया था। आईएनजी म्युचुअल फंड के प्रमुख निवेश अधिकारी पारस अदेनवाला का क हना है कि हम उत्पाद संवर्द्धन में लगे हुए थे क्योंकि हमें इस बात का अहसास हुआ कि इंवेस्टमेंट्स थीम लगभग एक जैसे हैं,लिहाजा इसका कोई आधार नहीं था कि अलग – अलग स्कीमों का इस्तेमाल किया जाए।
इसलिए हम अब और स्कीमों का मर्जर नहीं करने जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि रोबेको अपने फंडों को संवर्द्धित कर रहा है। एक्सपो स्कीम में 25.51 करोड़ रुपए के एसेट थे। इस रकम को कंपनी के ग्रोथ और इनकम प्लान के बीच जुटाया गया था। जबकि फार्च्यून स्कीम-94 के तहत कुल 70.1 करोड़ का एसेट जुटाया गया। इक्विटी डाइवर्सीफाइड फंड में इन फंडों को मिलाया गया है जिससे कुल 125 करोड़ रूपये के एसेट जुटाए गये हैं।