हिंडनबर्ग (Hindenburg) के आरोपों को लेकर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की जांच इस वजह से भी धीमी पड़ गई है कि वैश्विक नियामकों, खासकर कुछ खास विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के अल्टीमेट बेनीफिशियल ऑनरशिप (UBO) से जानकारियां जुटाई जा रही हैं।
इस घटनाक्रम से अवगत एक व्यक्ति ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ कहा, ‘FPI के लिए UBO तैयार करना बेहद जटिल प्रक्रिया है। इसमें विभिन्न नियामकों पत्र लिखकर जानकारी हासिल करने की जरूरत होती है, जिनमें से कुछ विभिन्न समझौतों के कारण इस तरह की जानकारी साझा नहीं कर सकते हैं। ’
सूत्रों का कहना है कि SEBI ने अदाणी मामले में जांच के संदर्भ में पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान विभिन्न क्षेत्राधिकारों में मौजूद प्रतिभूति नियामकों को पत्र लिखे हैं। मांगी गई कुछ जानकारियों में विदेशी वित्तीय संस्थानों से बैंक स्टेटमेंट, विदेश से जुड़ी इकाइयों की पृष्ठभूमि, उन्हें मिले लाइसेंस और अदाणी समूह कंपनियों द्वारा विदेशी नियामकों को सौंपे पत्र शामिल हैं।
मॉरिशस, संयुक्त अरब अमीरात, साइप्रस और कई कैरीबियाई द्वीप समेत विभिन्न देशों में अदाणी समूह कंपनियों के लेनदेन हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में आरोप लगाए जाने के बाद जांच के घेरे में आ गए हैं।
अक्सर, SEBI ने जानकारी अदान-प्रदान के लिए विदेशी नियामकों के साथ कई समझौते किए हैं। कर संबंधित मामलों के लिए जानकारी का अदान-प्रदान सामान्य तौर पर दोहरे कराधान परिहार समझौतों (DTAA) के तहत किया जाता है।
एक कानूनी विश्लेषक ने कहा, ‘यह समझौता कई तरह के मामलों में कारगर है। हालांकि हालात मांगे गए आंकड़ों की मात्रा पर भी निर्भर करते हैं। सभी नियामक मुख्य जानकारी प्रदान करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं और इस संबंध में उनसे बार बार अनुरोध किए गए हैं और इस वजह से यह प्रक्रिया जटिल हो सकती है।’
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शनिवार को SEBI ने अदाणी जांच पूरी करने की समय-सीमा 6 महीने तक बढ़ाए जाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। बाजार नियामक द्वारा सौंपी गई याचिका में दो महीने के अंतर जांच पूरी करने की राह में आई कुछ समस्याओं का जिक्र किया गया है।
सर्वोच्च न्यायालय से किए गए अनुरोध में SEBI ने कहा है, ‘SEBI यह स्वीकार करता है कि जांच के लिए कई घरेलू के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय बैंकों से बैंक स्टेटमेंट प्राप्त करने की जरूरत होगी और 10 साल पहले किए गए लेनदेन के लिए भी बैंक स्टेटमेंट जरूरी होंगे। इसमें समय लगेगा और यह चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।’
12 फरवरी से 22 अप्रैल के बीच, SEBI ने अदाणी समूह की विभिन्न सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों से दस्तावेज मांगने के संबंध में समूह को 11 बार पत्र लिखे थे।