facebookmetapixel
ICAI जल्द जारी करेगा नेटवर्किंग दिशानिर्देश, एमडीपी पहल में नेतृत्व का वादाJio Platforms का मूल्यांकन 148 अरब डॉलर तक, शेयर बाजार में होगी सूचीबद्धताIKEA India पुणे में फैलाएगी पंख, 38 लाख रुपये मासिक किराये पर स्टोरनॉर्टन ब्रांड में दिख रही अपार संभावनाएं: टीवीएस के नए MD सुदर्शन वेणुITC Hotels ने लॉन्च किया प्रीमियम ब्रांड ‘एपिक कलेक्शन’, पुरी से मिलेगी नई शुरुआतनेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल का पड़ोसी दरभंगा पर कोई प्रभाव नहीं, जनता ने हालात से किया समझौताEditorial: ORS लेबल पर प्रतिबंध के बाद अन्य उत्पादों पर भी पुनर्विचार होना चाहिएनियामकीय व्यवस्था में खामियां: भारत को शक्तियों का पृथक्करण बहाल करना होगाबिहार: PM मोदी ने पेश की सुशासन की तस्वीर, लालटेन के माध्यम से विपक्षी राजद पर कसा तंज80 ही क्यों, 180 साल क्यों न जीएं, अधिकांश समस्याएं हमारे कम मानव जीवनकाल के कारण: दीपिंदर गोयल

Adani मामले में विदेशी नियामक नहीं दे रहे SEBI का साथ

जानकारों का कहना है कि FPI के लाभा​र्थियों की जानकारी जुटाना धीमी प्रक्रिया है

Last Updated- April 30, 2023 | 8:56 PM IST
SEBI

हिंडनबर्ग (Hindenburg) के आरोपों को लेकर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की जांच इस वजह से भी धीमी पड़ गई है कि वै​श्विक नियामकों, खासकर कुछ खास विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के अल्टीमेट बेनीफि​शियल ऑनर​शिप (UBO) से जानकारियां जुटाई जा रही हैं।

इस घटनाक्रम से अवगत एक व्य​क्ति ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ कहा, ‘FPI के लिए UBO तैयार करना बेहद जटिल प्रक्रिया है। इसमें वि​भिन्न नियामकों पत्र लिखकर जानकारी हासिल करने की जरूरत होती है, जिनमें से कुछ वि​भिन्न समझौतों के कारण इस तरह की जानकारी साझा नहीं कर सकते हैं। ’

सूत्रों का कहना है कि SEBI ने अदाणी मामले में जांच के संदर्भ में पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान वि​भिन्न क्षेत्रा​धिकारों में मौजूद प्रतिभूति नियामकों को पत्र लिखे हैं। मांगी गई कुछ जानकारियों में विदेशी वित्तीय संस्थानों से बैंक स्टेटमेंट, विदेश से जुड़ी इकाइयों की पृष्ठभूमि, उन्हें मिले लाइसेंस और अदाणी समूह कंपनियों द्वारा विदेशी नियामकों को सौंपे पत्र शामिल हैं।

मॉरिशस, संयुक्त अरब अमीरात, साइप्रस और कई कैरीबियाई द्वीप समेत वि​भिन्न देशों में अदाणी समूह कंपनियों के लेनदेन हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में आरोप लगाए जाने के बाद जांच के घेरे में आ गए हैं।

अक्सर, SEBI ने जानकारी अदान-प्रदान के लिए विदेशी नियामकों के साथ कई समझौते किए हैं। कर संबं​धित मामलों के लिए जानकारी का अदान-प्रदान सामान्य तौर पर दोहरे कराधान परिहार समझौतों (DTAA) के तहत किया जाता है।

एक कानूनी विश्लेषक ने कहा, ‘यह समझौता कई तरह के मामलों में कारगर है। हालांकि हालात मांगे गए आंकड़ों की मात्रा पर भी निर्भर करते हैं। सभी नियामक मुख्य जानकारी प्रदान करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं और इस संबंध में उनसे बार बार अनुरोध किए गए हैं और इस वजह से यह प्रक्रिया जटिल हो सकती है।’

Also Read: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अप्रैल में शेयरों में 11,630 करोड़ रुपये डाले

शनिवार को SEBI ने अदाणी जांच पूरी करने की समय-सीमा 6 महीने तक बढ़ाए जाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। बाजार नियामक द्वारा सौंपी गई याचिका में दो महीने के अंतर जांच पूरी करने की राह में आई कुछ समस्याओं का जिक्र किया गया है।

सर्वोच्च न्यायालय ​से किए गए अनुरोध में SEBI ने कहा है, ‘SEBI यह स्वीकार करता है कि जांच के लिए कई घरेलू के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय बैंकों से बैंक स्टेटमेंट प्राप्त करने की जरूरत होगी और 10 साल पहले किए गए लेनदेन के लिए भी बैंक स्टेटमेंट जरूरी होंगे। इसमें समय लगेगा और यह चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।’

12 फरवरी से 22 अप्रैल के बीच, SEBI ने अदाणी समूह की वि​भिन्न सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों से दस्तावेज मांगने के संबंध में समूह को 11 बार पत्र लिखे थे।

First Published - April 30, 2023 | 8:56 PM IST

संबंधित पोस्ट