सक्रिय इक्विटी म्युचुअल फंडों में जनवरी में शुद्ध निवेश बढ़कर 12,546 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो मासिक आधार पर 70 फीसदी ज्यादा है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
इक्विटी श्रेणियों में ज्यादा निवेश सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी (SIP) में बढ़ते निवेश की पृष्ठभूमि में हुआ, जहां लगातार चौथे महीने निवेश 13,000 करोड़ रुपये से ऊपर बना रहा।
एसआईपी में निवेश जनवरी में 13,856 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया, जो दिसंबर में 13,570 करोड़ रुपये रहा था। माह के दौरान 22.6 लाख नए एसआईपी खाते खुले, वहीं 13.5 लाख खाते परिपक्व हो गए या उन्हें बंद करा दिया गया।
निवेश हासिल करने के लिहाज से इक्विटी फंडों की विभिन्न उप-श्रेणियों में स्मॉलकैप की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 2,256 करोड़ रुपये रही। इसके बाद लार्ज व मिडकैप फंडों और मल्टीकैप फंडों का स्थान रहा।
एम्फी के मुख्य कार्याधिकारी एनएस वेंकटेश ने कहा, पिटे हुएबाजार में निवेशक स्मॉलकैप में वैल्यू देख रहे हैं। चूंकि ये निवेश लंबी अवधि के लिए होते हैं, लिहाजा निवेशकों का मानना है कि ये गिरावट लाभ में बदलेंगे और उन्हें फायदा होगा।
जनवरी में बाजारों को लगातार दूसरे महीने फिसलने के बावजूद यह निवेश देखने को मिला। बेंचमार्क निफ्टी पिछले महीने 2.5 फीसदी टूटा जबकि दिसंबर में 3.5 फीसदी की गिरावट आई थी।
बाजार में गिरावट के कारण हालांकि इंडेक्स फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) पर असर पड़ा। व्यापक बाजार में गिरावट के बीच इंडेक्स फंडों में निवेश लगातार तीसरे महीने घटा। जनवरी में कुल निवेश 5,813 करोड़ रुपये रहा और मासिक आधार पर उसमें 13.7 फीसदी की गिरावट आई।
एसआईपी के जरिए हो रहा निवेश विदेशी संस्थागत निवेशकों की तरफ से हो रही निवेश निकासी को लगातार संतुलित बनाता रहा।
फायर्स के शोध प्रमुख गोपाल कावलीरेड्डी ने कहा, तीन महीने तक शुद्ध निवेश घटने के बाद इक्विटी श्रेणी में निवेश 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा। शेयर बाजारों में उतारचढ़ाव के बावजूद निवेशकों ने इक्विटी म्युचुअल फंडों पर भरोसा बनाए रखा।
विशेषज्ञों ने कहा, उतारचढ़ाव वाले बाजार में भी मासिक निवेश में निरंतरता रहना उद्योग व म्युचुअल फंड वितरकों की तरफ से वित्तीय अनुशासन को लेकर की जा रही कोशिश को प्रतिबिंबित करता है।
मोतीलाल ओसवाल एएमसी के चीफ बिजनेस अफसर अखिल चतुर्वेदी ने कहा, बाजारों में उतारचढ़ाव वाले महीने में मजबूत निवेश निवेशकों की बढ़ती परिपक्वता का संकेत देता है और वे इक्विटी म्युचुअल फंडों में अपना आवंटन बनाए हुए हैं।
इक्विटी फंडों में निवेश हालांकि दो महीने पहले 21 महीने के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद सुधरा लेकिन डेट श्रेणी में निवेश निकासी जारी रही।
जनवरी में डेट म्युचुअल फंडों से शुद्ध रूप से 10,316 करोड़ रुपये की निकासी हुई। इनकम व डेट योजनाओं से भारी निकासी का यह दूसरा महीना है।
ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी के साथ निवेशकों ने लिक्विड, लॉन्ग ड्यूरेशन फंडों और कॉरपोरेट बॉन्ड फंडों से निवेश निकासी की। वेंकटेश ने कहा, हमारा मानना है कि जब ब्याज दरें सर्वोच्च स्तर पर पहुंच जाएगी तब हम लॉन्ग ड्यूरेशन फंडों में और रकम आते देखेंगे। हमारा मानना है कि दरों में एक बार और बढ़ोतरी हो सकती है। हम अप्रैल 2023 से शुरू हो रही तिमाही में ड्यूरेशन फंडों में रकम आते देखेंगे।
जनवरी के आखिर में म्युचुअल फंड उद्योग की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) 39.62 लाख करोड़ रुपये रही। इक्विटी एयूएम 15.1 लाख करोड़ रुपये और डेट एयूएम 12.37 लाख करोड़ रुपये रहा।